प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने मंत्रिपरिषद के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को औपचारिक रूप से अपना इस्तीफा सौंपा। इस महत्वपूर्ण घटना के बाद, राष्ट्रपति मुर्मू ने वर्तमान प्रशासन को नई सरकार के गठन तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का निर्देश दिया। मोदी को 8 जून की शाम को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने की संभावना है।
इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 292 सीटों पर जीत हासिल की है, जो कि जरूरी 272 सीटों के बहुमत के आंकड़े से अधिक है। हालांकि, बीजेपी अपने दम पर पूर्ण बहुमत से थोड़ी सी पीछे रह गई, जिससे उन्हें अपने सहयोगियों की मदद की आवश्यकता हो रही है।
एनडीए में शामिल प्रमुख दलों के नेताओं ने चुनावी परिणामों और सरकार के गठन पर चर्चा करने के लिए बैठक का आह्वान किया है। जिनमें जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, टीडीपी अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के नवागत मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू शामिल हैं।
भाजपा के सहयोगियों की भूमिका इस बार सरकार में पहले से ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाली है। यहां तक कि नए सरकार के गठन के वक्त, सहयोगी दलों को उचित प्रतिनिधित्व देने की योजना बनाई जा रही है। टीडीपी, जेडीयू, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) क्रमशः 16, 12, 7, और 5 सीटें जीती हैं। इसलिए, वे सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
जनता के नये जनादेश के बाद, भाजपा और उसके सहयोगी दल बीजेपी की नीतियों को धरातल पर उतारने के लिए तैयार हैं। गठबंधन का स्वरूप भी बदलने की संभावना है, जिसमें बीजेपी के सहयोगियों की संख्या और उनके मंत्रालयों में हिस्सेदारी में वृद्धि हो सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी की तीसरी बार शपथ ग्रहण की शपथ एक ऐतिहासिक घटना होगी। उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है और उनके नेतृत्व को जनता की भारी समर्थन मिलता है। हालांकि, उन्हें अब अपने सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल बनाकर राजनीति को एक नया आयाम देने की आवश्यकता होगी।
विश्लेषकों का मानना है कि इस बार सरकार में क्षेत्रीय दलों की भागीदारी ज्यादा होने से नीतियों में विविधता और देश की विभिन्न समस्याओं के समाधान में व्यापकता आएगी। NDA की रणनीति को देखते हुए, यह निश्चित है कि आगामी समय में राजनीति के सुर और स्वरूप में काफी परिवर्तन आएगा।
प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व में नयी सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं। सामाजिक और आर्थिक सुधारों को लागू करने का कार्य एक बड़ा मुद्दा है। मौजूदा समय में देश की आर्थिक स्थिति, बेरोजगारी और महंगाई जैसी समस्याओं को सरकार को तुरंत ठीक करने की आवश्यकता है। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी उन्हें महत्वपूर्ण सुधार करने होंगे।
इसके साथ ही ग्रामीण विकास, किसानों की समस्याओं का समाधान और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सरकार को अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभाना होगा। इन मुद्दों पर नये विचारों और योजनाओं के साथ काम करने की आशा की जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रधानमंत्री मोदी को कई बड़े फैसले लेने की आवश्यकता होगी। वैश्विक मंच पर भारत की छवि को मजबूत बनाना और विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और भी सुदृढ़ करना उनका प्रमुख लक्ष्य होगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक, मोदी की कूटनीति औऱ विदेश नीति ने अब तक भारत को वैश्विक प्लेटफार्म पर एक मजबूत स्थिति मिली है। लेकिन भविष्य में और भी बड़े कदम उठाने की जरुरत होगी।
इस बार चुनाव में जनता ने जिस प्रकार मोदी और एनडीए पर विश्वास जताया है, उसका महत्व सरकार के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी की तरह है। जनता को मोदी से कई बड़ी अपेक्षाएं हैं और उन्हें उम्मीद है कि यह सरकार पूर्व सरकारों की तुलना में और भी ज्यादा सशक्त प्रदर्शन करेगी।
फिलहाल देश के लोगों की निगाहें 8 जून को होने वाले इस महत्वपूर्ण शपथ ग्रहण समारोह पर टिकी हैं, जहां से देश की राजनीति और नीतियों का नया अध्याय आरंभ होगा।