Apple और Samsung ने Xiaomi को शर्तारहित विज्ञापन पर कानूनी नोटिस जारी

Apple और Samsung ने Xiaomi को शर्तारहित विज्ञापन पर कानूनी नोटिस जारी
Shubhi Bajoria 27 सितंबर 2025 0 टिप्पणि

विज्ञापन विवाद की पृष्ठभूमि

मार्च और अप्रैल 2025 में भारत के प्रमुख दैनिकों में Xiaomi ने अपने नए फ़्लैगशिप, Xiaomi 15 Ultra, को प्रमोट करने के लिए कई सेंसेशनल विज्ञापन लॉन्च किए। एक विज्ञापन 1 अप्रैल को, यानी अप्रैल फूल्स डे पर, सीधे iPhone 16 Pro Max की कैमरा क्षमता पर सवाल उठाता है। उसने पाठकों को ‘हैप्पी अप्रैल फूल्स डे’ कहकर इशारा किया कि अगर वे मानते हैं कि iApple का कैमरा Xiaomi के Ultra से बेहतर है तो वे मज़ाक में फँस गए हैं।

एक और विज्ञापन में iPhone 16 Pro Max के ट्रिपल‑लेन्स सेट‑अप को ‘क्यूट’ कहा गया और पूछा गया कि क्या यह सच में बेस्‍ट है। उसी विज्ञापन में Xiaomi 15 Ultra की कैमरा स्पेसिफिकेशन को उजागर करते हुए कहा गया कि उनका फ़ोन अधिक पिक्सेल, तेज़ फोकस और कम कीमत पर उपलब्ध है। टैगलाइन ‘शायद अब सही लेंस के जरिए देखना चाहिए’ के साथ Apple की फ़ोटोग्राफी दावी को सीधे चुनौती दी गई। Samsung के फ़ोन और टेलीविजन को भी इसी तरह ख़राब दिखाने वाले विज्ञापन चलाए गए, जिससे Samsung भी इस पहल से प्रभावित हुआ।

इन विज्ञापनों ने भारतीय उपभोक्ताओं के बीच बड़ी चर्चा बटोरी। कई उपयोगकर्ता सोशल मीडिया पर इन विज्ञापनों की सटीकता और अभिप्राय पर बहस करने लगे, जबकि कुछ ने Xiaomi की ‘बोल्ड’ मार्केटिंग को सराहा। However, Apple और Samsung ने इस ‘बोल्ड’ को ‘अमान्य’ कहा और तुरंत कानूनी कार्रवाई का रुख अपनाया।

कानूनी कार्रवाई और संभावित प्रभाव

कानूनी कार्रवाई और संभावित प्रभाव

Apple और Samsung ने अलग‑अलग cease‑and‑desist नोटिस जारी किए, जिसमें Xiaomi को तुरंत इन विज्ञापनों को रोकने का आदेश दिया गया। उनका तर्क है कि भारतीय विज्ञापन नियमन में तुलना‑आधारित विज्ञापन तभी मान्य है जब वह तथ्य‑आधारित और निष्पक्ष हो। Xiaomi के विज्ञापन, उनका कहना है, न सिर्फ़ तथ्यात्मक नहीं हैं, बल्कि उन्होंने Apple और Samsung की ब्रांड छवि को दुषित करने का इरादा दिखाया है।

व्यावसायिक रणनीति विशेषज्ञ हरिश बीज़ूर ने कहा, “यह मामला ‘एम्बश मार्केटिंग’ का क्लासिक उदाहरण है, जहाँ एक ब्रांड अपने प्रतिद्वंद्वी को बिना अनुमति के उल्लेख करके ध्यान आकर्षित करता है। आज कंपनियों के लिए ब्रांड वैल्यू बहुत कीमती है, इसलिए वे ऐसी हरकतों को रोके बिना नहीं रह सकते।”

  • Apple का मुख्य आरोप: iPhone 16 Pro Max की कैमरा क्षमताओं को ‘cute’ कर देना और उसे बेज़बीयाद चुनौती देना।
  • Samsung का मुख्य आरोप: उसके फ़ोन और टेलीविजन को भी मार्जिनल रूप में पेश करना।
  • Xiaomi का बचाव: विज्ञापन तथ्यों पर आधारित हैं और प्रतिस्पर्धी बाजार में जागरूकता बढ़ाते हैं।
  • कानून की स्थिति: भारतीय विज्ञापन कोड में तुलना‑आधारित विज्ञापन की अनुमति है, बशर्ते वह सही और निंदात्मक न हो।

भारतीय प्रीमियम स्मार्टफ़ोन बाजार में Apple और Samsung दोनों का हिस्सा काफी बड़ा है। iPhone और Galaxy श्रृंखलाओं की कीमतें अक्सर 80,000 रुपये से ऊपर रहती हैं, जबकि Xiaomi 15 Ultra को 65,000 रुपये के आसपास लॉन्च किया गया है। इस मूल्य अंतर को उजागर करने वाले विज्ञापन, यदि अतिशयोक्तिपूर्ण हों, तो उपभोक्ताओं के ब्रांड भरोसे को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इस कारण दोनों दिग्गज कंपनियों ने अपने ब्रांड की रक्षा के लिए कानूनी कदम उठाए।

भविष्य में इस प्रकार के विज्ञापन पर क्या प्रतिबंध लगेंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यदि Xiaomi इन नोटिसों को अनदेखा करता है, तो मामला कोर्ट तक पहुंच सकता है, जहाँ विज्ञापन की सामग्री, तथ्यात्मकता और ब्रांड को नुकसान पहुंचाने की मापदंडों का गहन मूल्यांकन किया जाएगा।

वहीं, Xiaomi ने कहा कि वह विज्ञापन को संशोधित करेगा और कानूनी नोटिस के अनुसार कार्य करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि उनका लक्ष्य केवल प्रतिस्पर्धी ब्रांड के साथ तुलना करना था, न कि उनका अपमान।

इस विवाद से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय उपभोक्ता बाजार में ब्रांड छवि को लेकर प्रतिस्पर्धा कितनी तीव्र है। कंपनियां अब केवल प्रोडक्ट फीचर पर नहीं, बल्कि कानूनी और इमेज‑मैनेजमेंट रणनीतियों पर भी बड़ा दांव लगा रही हैं। इस कदम से आगे देखना यह रहेगा कि क्या Xiaomi जैसी कंपनियां अपने बैनर के तहत रचनात्मक (और कानूनी) मार्केटिंग ढूँढ पाएँगी, या फिर बड़े ब्रांडों की दया‑भावना के कारण इस तरह की ‘हिट‑एंड‑रन’ विज्ञापनों की सीमाएँ तय होंगी।