उड़ीसा में अंतिम चरण के चुनाव के दौरान 62.66% मतदान दर्ज हुआ। यह चुनाव छह लोकसभा क्षेत्रों में संपन्न हुआ, जो कोस्टल क्षेत्र में स्थित हैं। इसमें मायूरभंज, बालासोर, भद्रक, जाजपुर, केंद्रपाड़ा और जगातेसिंहपुर क्षेत्र शामिल थे। मतदान के अंतिम क्षणों में लंबी कतारों को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि अंतिम मतदान प्रतिशत 75% तक पहुंच सकता है।
इस चुनाव में लोकसभा की छह सीटों और विधानसभा की 42 सीटों के लिए 66 और 394 उम्मीदवारों का भविष्य इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में सुरक्षित हो गया। चुनावों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि कोस्टल क्षेत्र को बीजू जनता दल (बीजद) का गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार पार्टी को एंटी-इनकम्बेंसी की भावना का सामना करना पड़ा।
इस बार चुनाव में कई प्रमुख उम्मीदवारों ने भाग लिया। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत जेना और प्रताप सारंगी, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा और वरिष्ठ बीजद नेता राजश्री मलिक शामिल थे। विधानसभा चुनावों में भी कुछ प्रमुख हस्तियों ने अपनी दावेदारी जताई, जैसे कि स्पीकर प्रमिला मलिक, मंत्री अतनु सब्यसाची नायक, प्रताप देब, तुषारकांति बेहेरा और प्रीतिरंजन घडाई। उड़ीसा भाजपा प्रमुख मनमोहन समल ने भी राज्य विधानसभा के चुनावों में हिस्सा लिया।
चुनावों के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन और हिंसा की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी देखी गई। मुख्य चुनाव अधिकारी निकुंज बिहारी ढाल ने बताया कि चार चरणों के चुनाव में 60% की गिरावट दर्ज की गई। चुनावों के दौरान ₹280 करोड़ मूल्य के प्रेरक वस्त्र, जैसे कि ड्रग्स, शराब, और नकदी जब्त की गई, जिनमें नकद जब्ती ₹28.52 करोड़ थी।
इस बार का चुनाव बेहद रोमांचक और चुनौतीपूर्ण रहा, जहां मतदाताओं ने भीषण गर्मी के बावजूद बड़े उत्साह से भाग लिया। नई सरकार और पसंदीदा उम्मीदवारों को चुनने के लिए उड़ीसा के लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया और लोकतंत्र का हिस्सा बने।