कर्नाटक के बल्लारी जिले के तुंगभद्रा बांध का गेट नंबर 19 एक गंभीर तकनीकी खराबी के कारण शनिवार देर रात तूटा गया, जिससे भारी मात्रा में पानी का निर्बाध प्रवाह हो रहा है। घटना के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन और आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय किया गया है।Saturday Night. विकट स्थिति में, गेट के टूटने से लगभग 100,000 क्यूसेक पानी बह रहा है, जिसके कारण नदियों और निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है।
गेट नंबर 19 को सुरक्षित रखने वाली चेन लिंक के टूट जाने के बाद बांध का यह गेट भारी बाढ़ के प्रभाव से बह गया। यही कारण है कि आसपास के निर्जन स्थानों और क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
तत्कालीन उपायों के तहत, उन सभी लोगों को चेतावनी दी गई है जो कर्नूल जिले के क्षेत्रों जैसे कोसिरी, मण्ट्रालयम, नंदवरम, और कौथालम में रहते हैं। संबंधित अधिकारियों ने सभी निवासियों को सीमाओं और छोटी नदियों के पार नहीं जाने की सलाह दी है।
बांध की सुरक्षा को लेकर एक आपातकालीन मीटिंग आयोजित की गई, जिसमें सांसदों, विधायकों और तुंगभद्रा बोर्ड के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि नदी में 200,000 से 300,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके।
डैम की 33 गेट अभी खुली हुई हैं ताकि पानी का बहाव नियंत्रित रह सके। प्रशासन ने सभी प्रभावित जिलों जैसे बल्लारी, कोप्पल, होस्पेट और रायचूर में हाई अलर्ट जारी किया है और निवासियों को उचित सावधानियां बरतने का आग्रह किया है।
कोप्पल जिले के मंत्री शिवराज तंगड़गी ने बताया कि गेट नंबर 19 की मरम्मत शुरू करने से पहले लगभग 65 टीएमसी पानी छोड़ना आवश्यक है। ये पहला बड़ा हादसा है जो 70 साल में पहली बार देखा गया है। अधिकारियों का मुख्य लक्ष्य है पानी के प्रवाह को नियंत्रित करते हुए जोखिम को कम करना।
प्रशासन के अनुसार, अभी 33 गेट खोले जा चुके हैं जिससे पानी का बहाव संतुलित किया जा सके। मरम्मत का काम तभी शुरू होगा जब बांध से लगभग 60 टीएमसी पानी बाहर निकाला जाएगा।
जिला प्रशासन ने निवासियों को आवश्यक सावधानियों और सुरक्षात्मक कदम उठाने का परामर्श दिया है। यह सुनिश्चित करना बेहद आवश्यक है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।
स्थानीय प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और सारे आवश्यक कदम उठा रहा है ताकि इस प्राकृतिक आपदा से बचाव किया जा सके और जनहानि को न्यूनतम किया जा सके।
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि बांध और आंतरिक संरचना की नियमित निरीक्षण और रखरखाव कितना महत्वपूर्ण है। किसी भी थोड़ी सी खामी से बड़ा हादसा उत्पन्न हो सकता है, जिसे समय रहते नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। स्थानीय निवासियों ने भी अपनी सुरक्षा को लेकर प्रशासन से आश्वासन मागा है और निकट भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की मांग की है।