तुंगभद्रा बांध के गेट टूटा, स्थानीय निवासियों के लिए हाई अलर्ट जारी

तुंगभद्रा बांध के गेट टूटा, स्थानीय निवासियों के लिए हाई अलर्ट जारी
Shubhi Bajoria 11 अगस्त 2024 5 टिप्पणि

तुगंभद्रा बांध का गेट टूटा: जनता के लिए हाई अलर्ट

कर्नाटक के बल्लारी जिले के तुंगभद्रा बांध का गेट नंबर 19 एक गंभीर तकनीकी खराबी के कारण शनिवार देर रात तूटा गया, जिससे भारी मात्रा में पानी का निर्बाध प्रवाह हो रहा है। घटना के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन और आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय किया गया है।Saturday Night. विकट स्थिति में, गेट के टूटने से लगभग 100,000 क्यूसेक पानी बह रहा है, जिसके कारण नदियों और निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है।

बाढ़ का कहर और सुरक्षा उपाय

गेट नंबर 19 को सुरक्षित रखने वाली चेन लिंक के टूट जाने के बाद बांध का यह गेट भारी बाढ़ के प्रभाव से बह गया। यही कारण है कि आसपास के निर्जन स्थानों और क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

तत्कालीन उपायों के तहत, उन सभी लोगों को चेतावनी दी गई है जो कर्नूल जिले के क्षेत्रों जैसे कोसिरी, मण्ट्रालयम, नंदवरम, और कौथालम में रहते हैं। संबंधित अधिकारियों ने सभी निवासियों को सीमाओं और छोटी नदियों के पार नहीं जाने की सलाह दी है।

आपातकालीन मीटिंग और बैठकों में लिए गए फैसले

बांध की सुरक्षा को लेकर एक आपातकालीन मीटिंग आयोजित की गई, जिसमें सांसदों, विधायकों और तुंगभद्रा बोर्ड के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि नदी में 200,000 से 300,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके।

जिला प्रशासन की तैयारियां

डैम की 33 गेट अभी खुली हुई हैं ताकि पानी का बहाव नियंत्रित रह सके। प्रशासन ने सभी प्रभावित जिलों जैसे बल्लारी, कोप्पल, होस्पेट और रायचूर में हाई अलर्ट जारी किया है और निवासियों को उचित सावधानियां बरतने का आग्रह किया है।

जा रही सुरक्षा सावधानियां और मरम्मत कार्य

कोप्पल जिले के मंत्री शिवराज तंगड़गी ने बताया कि गेट नंबर 19 की मरम्मत शुरू करने से पहले लगभग 65 टीएमसी पानी छोड़ना आवश्यक है। ये पहला बड़ा हादसा है जो 70 साल में पहली बार देखा गया है। अधिकारियों का मुख्य लक्ष्य है पानी के प्रवाह को नियंत्रित करते हुए जोखिम को कम करना।

प्रशासन के अनुसार, अभी 33 गेट खोले जा चुके हैं जिससे पानी का बहाव संतुलित किया जा सके। मरम्मत का काम तभी शुरू होगा जब बांध से लगभग 60 टीएमसी पानी बाहर निकाला जाएगा।

स्थानीय निवासियों के लिए निर्देश

जिला प्रशासन ने निवासियों को आवश्यक सावधानियों और सुरक्षात्मक कदम उठाने का परामर्श दिया है। यह सुनिश्चित करना बेहद आवश्यक है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।

स्थानीय प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और सारे आवश्यक कदम उठा रहा है ताकि इस प्राकृतिक आपदा से बचाव किया जा सके और जनहानि को न्यूनतम किया जा सके।

इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि बांध और आंतरिक संरचना की नियमित निरीक्षण और रखरखाव कितना महत्वपूर्ण है। किसी भी थोड़ी सी खामी से बड़ा हादसा उत्पन्न हो सकता है, जिसे समय रहते नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। स्थानीय निवासियों ने भी अपनी सुरक्षा को लेकर प्रशासन से आश्वासन मागा है और निकट भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की मांग की है।

5 टिप्पणि
Roshni Angom अगस्त 12 2024

ये बांध तो 70 साल पुराना है... क्या कोई सोचता है कि इतने साल बाद भी हम इतने बुनियादी चीजों की अनदेखी कर रहे हैं? मरम्मत का खर्च निकालने के बजाय, हम लोगों की जान बचाने के लिए पहले रखरखाव करते।
क्या हमें एक और त्रासदी का इंतजार करना है जब तक कुछ नहीं होता?

jijo joseph अगस्त 14 2024

33 गेट्स ओपन, 200K-300K cusecs discharge - ये ऑपरेशनल रिस्पॉन्स तो नॉर्मल है, लेकिन फेल्योर पॉइंट तो डिज़ाइन लाइफसाइकिल का है।
क्या हमने कभी डैम मॉनिटरिंग सिस्टम में IoT इंटीग्रेशन पर इन्वेस्ट किया? नहीं।
हम तो बाद में बचाव करने की कोशिश करते हैं, न कि प्रीवेंशन।
ये एक सिस्टमिक फेल्योर है।

Nisha gupta अगस्त 15 2024

हम लोग बांधों को इतना भूल गए कि अब जब गेट टूट जाता है, तो हम उसे एक आपदा कह देते हैं।
ये आपदा नहीं, अवहेलना है।
क्या तुम्हें लगता है कि ये पहली बार हुआ? नहीं।
हर साल एक नया रिपोर्ट आता है - 'गेट्स की कमजोरी', 'कॉरोशन', 'चेन लिंक्स की फेल्योर' - और हम सब इसे अपने फोन की स्क्रीन पर स्क्रॉल कर देते हैं।
हम लोग बचाव के बजाय बचाव की बातें करने में माहिर हो गए हैं।
हमारी जिम्मेदारी बर्बाद हो रही है।
कोई नेता नहीं जो इसके लिए जिम्मेदार ठहरे।
कोई बांध नहीं जो इतना पुराना हो और अभी तक कोई मरम्मत न हो।
ये सिस्टम तो अब बहुत टूट चुका है।
हम लोग इसे बचाने के बजाय, इसके बारे में बात करने का आदी हो गए हैं।
अब तो बाढ़ के बाद भी हम अपने घरों में बैठकर फेसबुक पर लिखते हैं - 'अरे भाई, ये तो बहुत बुरा हुआ'।
हमारी चेतना बहुत धीमी हो गई है।
इस बार बच गए, अगली बार नहीं बचेंगे।
और जब नहीं बचेंगे, तो कोई नहीं याद करेगा कि हमने कितनी बार चेतावनी दी थी।

vicky palani अगस्त 16 2024

तुम सब बहुत बड़े दिख रहे हो... लेकिन ये बांध किसने बनवाया? कौन बजट लाया? कौन लाइसेंस दिया? कौन इंजीनियर को नियुक्त किया? कौन निरीक्षण नहीं करवाया? तुम सब बाहर से रो रहे हो - अंदर का गंदा नहीं देख रहे।
ये बांध तो राजनीतिक लाभ के लिए बनाया गया था, न कि सुरक्षा के लिए।
हर बार जब बाढ़ आती है, तो सरकार बयान देती है - 'हम लोग तैयार हैं'।
अब बताओ, तुम्हारे बाप के घर का छत टूट रही है और तुम बाहर बैठकर बोल रहे हो - 'अरे, ये तो बहुत बुरा हुआ' - तो क्या तुम बचाओगे? नहीं।
तुम तो बस बाहर से देख रहे हो।
इस बार भी वही होगा - एक बयान, एक फोटो, एक ट्वीट, और फिर भूल जाओगे।
क्या तुम्हें लगता है कि ये बांध तुम्हारे लिए बना है? नहीं।
ये तो उन लोगों के लिए बना है जिन्होंने इसे बनवाया।

Manvika Gupta अगस्त 17 2024

मैं डर गई।
अब क्या होगा।

कुछ कहो