छत्रगांठा का महत्व और जन्म कथा
नवरात्रि के नौ रूपों में से तीसरा रूप, माँ छत्रगांठा, शक्ति और शांति का प्रतिरूप है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब राक्षस असुरों ने देवी को मारने की पूरी कोशिश की, तो उन्होंने अपनी छाती पर घनघोर घंटी (छत्र) धारण किया, जिससे वह शत्रु के हृदय को कांप देती थीं। इस कारण वह ‘छत्र‑गांठा’ के नाम से जानी जाती हैं। वह शक्र (शिव) के साथ युद्ध में जीत हासिल करने के बाद अपने शत्रुओं को डराने के लिए गर्जन करती थीं।
यह रूप साहस, स्पष्टता और निडरता का प्रतीक है। जो भक्त इन गुणों की भावना धारण करना चाहते हैं, वे इस दिन की पूजाई में भारी मन से सम्मिलित होते हैं।

तीसरे दिन की पूजा विधि, रंग और मंगल‑दोष के उपाय
समय‑समय पर मुहूर्त
- ब्राह्म मुहूर्त: 04:39 से 05:25 सुबह
- प्रातः संध्या: 05:02 से 06:11 सुबह
- अभिजित मुहूर्त: 12:00 से 12:50 दोपहर
- विजय मुहूर्त: 14:30 से 15:20 दोपहर
इन समयों में यदि आप स्नान, शुद्धता और मनन करें, तो पूजा के फल दो गुना मिलते हैं।
रंग का महत्व
एक लहर में सफ़ेद शुद्धता और शांति का रंग माना जाता है, जबकि दूसरे में लाल ऊर्जा, प्रेम और उत्साह का प्रतीक है। यदि आप बचपन से सफ़ेद वस्त्र पहनते हैं तो साफ‑सुथरा कपड़ा चुनें, अन्यथा लाल रंग की साड़ी या कुर्ता भी उपयुक्त है।
पूजा चरण
- सकाळ ब्राह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ़ कपड़े पहनें।
- एक साफ़ चौकी बनाकर माँ छत्रगांठा की मूर्ति या फोटो रखें।
- दीपकों में गhee की रोशनी जलाएँ, धूप और अगरबत्ती का प्रयोग करें।
- सफ़ेद और पीले गेंदे के फूल, कुमकुम, चावल और पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) अर्पित करें।
- भोग के रूप में केसर‑मिश्रित दूध, खीर और घी‑आधारित मिठाई रखें।
- मुख्य मंत्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं छत्रगांठायै नमः" को 108 बार जपें, साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
पूजा के बाद साफ़ जल से स्नान करके शुद्धिकरण किया जाता है।
मंगल‑दोष निवारण
अग्नि‑राशि (मेष) के लोगों को इस दिन दो बार सरसों के तेल की दीया जलाने की सलाह दी जाती है। शाम के समय, लाल वस्त्र पहनकर गणेश जी की प्रतिमा के सामने धूप अर्पित करें। इससे मंगल ग्रह की तेज़ी कम होती है और वैवाहिक जीवन में शांति आती है।
राशि‑विशिष्ट उपाय
- वृषभ: कुमकुम और काली दर्पण से घर की पूजा करें।
- मिथुन: ज्योतिषीय ताबीज़ को माँ के सामने रखकर जपें।
- कर्क: सफ़ेद वस्त्र पहने पानी के लगे कलश को पूजन में रखें।
- धनु: धन्यगुड़ और शहद का मिश्रण अर्पित करें।
इन छोटे‑छोटे अनुष्ठानों से न केवल ग्रह‑दोष कम होते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भी बढ़ता है।
आध्यात्मिक लाभ
नियमित रूप से माँ छत्रगांठा की पूजा करने से मन में भय कम होता है, आत्म‑विश्वास बढ़ता है और निर्णय‑क्षमता तेज़ होती है। लोग कहते हैं कि उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और साहस मिलता है। साथ ही, इस पूजा से परिवार में सौहार्द बढ़ता है और आर्थिक‑स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान मिलता है।