यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) के वर्तमान अध्यक्ष, डॉ. मनोज सोनी ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पद संभाले हुए अभी एक वर्ष ही हुआ था। व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए और अपने सामाजिक-धार्मिक योगदान को बढ़ावा देने हेतु, उन्होंने राष्ट्रपति को अपने इस्तीफे का पत्र सौंपा है।
सोनी ने अपने इस्तीफे में प्रमुख रूप से कुछ व्यक्तिगत कारणों का उल्लेख किया है। अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि वे विशेषकर 'अनूपम मिशन' जैसे सामाजिक और धार्मिक कार्यों में अपनी सक्रियता बढ़ाना चाहते हैं। यह एक ऐसा गैर-लाभकारी संगठन है जो स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। इसका उद्देश्य समाज सेवा और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
इस्तीफे की यह खबर ऐसे समय में आई है जब आईएएस प्रबोशनर पूजा खेड़कर का मामला चर्चा में है। खेड़कर पर आरोप है कि उन्होंने नागरिक सेवा में चयन के लिए जाली पहचान का इस्तेमाल किया था। इस विवाद के चलते यूपीएससी ने उनके खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करवाई है। माना जा रहा है कि इस विवाद से उत्पन्न तनाव का भी सोनी के इस्तीफे में कुछ योगदान हो सकता है।
डॉ. मनोज सोनी एक प्रतिष्ठित शिक्षा विशेषज्ञ हैं। 2017 में यूपीएससी में सदस्य के रूप में शामिल हुए थे और पिछले वर्ष अध्यक्ष बने थे। उनकी शिक्षा एवं प्रशासन में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए, उन्हें 2005 में महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी, बड़ौदा का उप-कुलपति बनाया गया था, इस पद पर नियुक्ति के समय वे सबसे युवा उप-कुलपति थे। इसके बाद उन्होंने डॉ. बाबासाहब आंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, गुजरात में भी दो कार्यकाल पूरे किए हैं।
मनोज सोनी का इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है और सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ दिनों में स्थिति और स्पष्ट हो सकती है और संभव है कि सरकार स्थिति को संभालने के लिए कुछ नए कदम उठाए।
यूपीएससी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थान है जो देश के सर्वोच्च नागरिक सेवाओं के लिए अधिकारियों का चयन करती है। ऐसे में इसके अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देना असामान्य बात है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस दिशा में क्या निर्णय लेती है और किसे नया अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है।
यूपीएससी के नए अध्यक्ष की नियुक्ति करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। नए अध्यक्ष को न केवल नागरिक सेवाओं की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की जिम्मेदारी होगी, बल्कि उन्हें सोशल मीडिया और आधुनिक तकनीकों के बढ़ते प्रभाव को भी ध्यान में रखना होगा।
नए अध्यक्ष को इस संस्थान की साख को बनाए रखने और सुधारने के लिए अपने प्रशासनिक कौशल का पूरा इस्तेमाल करना होगा।