भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़ा परिवर्तन आया है। न केवल उद्देश्य बल्कि निष्पादन में भी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, जिनका हाल ही में पारित किया गया है, अब देश के कानूनी ढांचे का हिस्सा बन चुके हैं। इन नए कानूनों के कारण भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नई दिशात्मक और सामयिक परिवर्तन आया है।
कई दशकों से चले आ रहे क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC), भारतीय दंड संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का अब इतिहास हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन पुराने कानूनों ने ब्रिटिश शासन को मजबूती प्रदान करने के ज्यादा काम किए थे बजाय न्याय की वितरण के। पुराने कानूनों के जरिए भारतीय समाज को नियंत्रित करने की कोशिश की गई थी, जो अब नए कानूनों के साथ समाप्त कर दी गई है।
कानून में किए गए परिवर्तन के अनुसार, धोखाधड़ी से संबंधित मामलों को अब नई धारा 318 के तहत लाया गया है, जो कि पहले धारा 420 के तहत आता था। इस नई धारा के अंतर्गत धोखाधड़ी के मामलों में सजा के प्रावधान और कठोर होंगे, जिससे इस प्रकार के अपराधों में कमी आने की संभावना है। यह परिवर्तन न केवल तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि इससे कानून के अमल में भी सुधार होगा।
हत्या के मामलों में भी बड़े बदलाव किए गए हैं। अब इस तरह के अपराधों को धारा 103 के तहत वर्गीकृत किया गया है। यह धारा न केवल सजा के प्रावधानों में बदलाव लाती है बल्कि न्याय प्रक्रिया को भी त्वरित और अधिक प्रभावशाली बनाती है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हत्यारे को जल्द से जल्द और सख्त से सख्त सजा मिले, ताकि समाज में न्याय प्रणाली के प्रति विश्वास बना रहे।
इन नए कानूनों को पार्लियामेंट में पिछले वर्ष पारित किया गया था, और 1 जुलाई से इनका क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है। पुराने कानूनों को हटाकर नए कानूनों को लाना एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, जो न केवल कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह नैतिक और सामाजिक सुधार की दिशा में भी एक कदम है।
इन नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य केवल कानून के विस्तार और उसको लागू करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि इससे आम जनता की सुरक्षा, न्याय की त्वरित व्यवस्था, और अपराध की रोकथाम की दिशा में भी बड़े सुधार होंगे। यह कानूनों का नया ढांचा भारत की न्याय प्रणाली को और भी प्रभावशाली बनाएगा और न्याय की परिभाषा को नए सिरे से संरचित करेगा।
इस प्रकार, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने भारत की न्याय प्रणाली में एक नई सुबह ला दी है। यह न केवल कानून के हिसाब से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी एक सकारात्मक परिवर्तन है।