सूर्य देव: भारतीय संस्कृति और विज्ञान में उसकी भूमिका

जब हम सूर्य देव, हिन्दू धर्म में सूर्य को जीवन‑दायी प्रकाश और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, सूर्य भगवान, सूर्य की बात करते हैं, तो साथ ही हिन्दू धर्म, भारत की मुख्य धार्मिक प्रणाली जिसमें कई देवता और अनुष्ठान सम्मिलित हैं और सौर ऊर्जा, सूर्य के प्रकाश से प्राप्त विद्युत और थर्मल शक्ति जो आधुनिक ऊर्जा उत्पादन में उपयोग होती है को भी याद करते हैं। ये तीनों इकाइयाँ आपस में जुड़ी हैं: सूर्य देव सौर ऊर्जा का स्रोत है, हिन्दू धर्म सूर्य को आस्थावान जीवन के आधार के रूप में सम्मान देता है, और सूर्य पूजा इस संबंध को साकार करने का साधन है। इस त्रिकोणीय संबंध को समझने से हमें धार्मिक, वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण मिलते हैं।

सूर्य देव का उल्लेख न केवल धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, बल्कि दैनिक समाचारों में भी अक्सर बिखरता है। उदाहरण के रूप में मौसम विभाग की सर्दी‑गरमी की चेतावनी, क्रिकेट स्टेडियम में धूप के कारण पिच की बदलती गति, या फिर ऊर्जा नीति में सौर पैनलों के विस्तार को देखकर स्पष्ट होता है कि सूर्य का प्रभाव हर पहलू में है। राजधानी दिल्ली में हल्की बारिश के साथ सुहावने सवेरा, मुंबई में भारी बारिश के बाद तेज़ धूप, या कोलकाता के तेज़ बवंडर से पहले सूर्य की रोशनी‑का‑ज़रूर‑संदेह‑आधार, सभी समाचारों में सूर्य की वही भूमिका दिखती है। इसलिए इस टैग पेज में हम सूर्य देव से जुड़े विभिन्न पहलुओं को संकलित कर रहे हैं – चाहे वह धार्मिक अनुष्ठान हों, विज्ञान‑आधारित सौर ऊर्जा परियोजनाएँ, या सामाजिक‑राजनीतिक चर्चा जहाँ सूर्य का प्रतीकात्मक उपयोग किया गया हो।

मुख्य पहलुओं का संक्षिप्त परिचय

सूर्य पूजा भारत में काफी प्रचलित है; यह सुबह के समय सूर्य को अर्घ्य देने, मंत्रों का उच्चारण और विशेष खाद्य पदार्थों से किया जाता है। संक्रांति, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तो इसे सबसे बड़ा वार्षिक सूर्य समारोह माना जाता है। इस दिन लोग गंगा स्नान, कच्ची घी के दीपक जलाते और विशेष दानों का वितरण करते हैं। इसके अलावा, सूर्य देव को लेकर वैदिक गणित में कई सिद्धांत मिलते हैं, जैसे कि दिन‑रात के अंतराल की गणना, जो आज भी एफ़रियल सिमुलेशन में इस्तेमाल होती है। सौर ऊर्जा के आधुनिक प्रयोग में बड़े‑पैमाने पर सुदूर क्षेत्रों में सौर पैनल लगाकर बिजली उत्पादन किया जा रहा है, जो ग्रामीण electrification और जलवायु परिवर्तन के मुकाबले में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उपरोक्त सभी बिंदुओं को मिलाकर देखें तो स्पष्ट होता है कि सूर्य देव सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि विज्ञान, पर्यावरण और सामाजिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। नीचे आप पाएँगे ऐसे लेखों की सूची जो इन सभी आयामों को अलग‑अलग रूप में उजागर करती है – चाहे वह क्रिकेट में धूप का असर हो, राजनीति में सूर्य के नाम पर चल रहे अभियान, या तकनीकी जगत में सौर ऊर्जा के नवाचार। तैयार हो जाइए, इन विविध कहानियों के माध्यम से सूर्य देव के प्रत्येक रूप को करीब से समझने के लिए।

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