बाली में निजी स्कूल बस टक्कर में 25 वर्षीय युवक की मौत, विधायक ने दी प्रतिक्रिया

बाली में निजी स्कूल बस टक्कर में 25 वर्षीय युवक की मौत, विधायक ने दी प्रतिक्रिया
Shubhi Bajoria 9 दिसंबर 2025 12 टिप्पणि

शनिवार दोपहर को सेसली गांव, बाली उपखंड के एक शांत मोड़ पर एक अचानक टक्कर ने एक जीवन को बंद कर दिया। रवि मेघवाल, 25, जो अपने पिता पुनाराम मेघवाल के साथ इसी गांव में रहता था, उसकी जान चली गई जब फालना की निजी स्कूल बस ने उसे पुनाडिया-लुणावा सड़क पर टक्कर मार दी। घटना का समय 1 नवंबर 2025, दोपहर करीब 2:30 बजे था। कोई आवाज़ नहीं, कोई ब्रेक नहीं—बस बस आ गई। और फिर चुप्पी।

एक गांव का शोक, एक परिवार का टूटना

सेसली के लोग आज भी याद कर रहे हैं कि रवि कैसे रोज़ सुबह 6 बजे उठता था, अपनी पुरानी साइकिल पर सवार होकर बाली शहर के एक छोटे से ऑटो वर्कशॉप में काम करने जाता था। वो कभी शिकायत नहीं करता था। अपने छोटे भाई की पढ़ाई के लिए अपनी तनख्वाह बचाता था। अब उसकी साइकिल अभी भी घर के बाहर लटक रही है—बिना किसी के आने का इंतज़ार करते हुए।

गांव के एक बुजुर्ग ने कहा, "हमें लगता था ये बसें बच्चों के लिए होती हैं, न कि युवाओं के लिए।" वास्तव में, फालना की निजी स्कूल बस ने इस साल अपनी रूट बदल दी थी—अब ये सिर्फ बच्चों को नहीं, बल्कि गांवों से शहर जाने वाले युवाओं को भी ले जाती थीं। ड्राइवर का नाम अभी तक नहीं आया। कोई बताता नहीं कि वो नशे में था या सो रहा था। कोई बताता नहीं कि बस का ब्रेक खराब था या सिर्फ लापरवाही।

विधायक की प्रतिक्रिया: शब्द तो बने, पर कार्रवाई नहीं

घटना के अगले दिन, विधायक ने एक बयान जारी किया। यह बयान प्रेस रिलीज़ में नहीं, बल्कि एक छोटे से सामाजिक कार्यक्रम में बोला गया। "यह दुखद घटना हम सभी के लिए एक सबक है," उन्होंने कहा। लेकिन कौन थे वो? किस विधानसभा क्षेत्र के? कौन सी पार्टी? कोई नहीं बता पाया। प्रेस के सवालों के जवाब में केवल एक फोटो और एक छोटा सा बयान जारी किया गया—कोई जांच का आश्वासन नहीं, कोई नियमों की समीक्षा का वादा नहीं।

इसी तरह की घटनाएं पिछले तीन साल में बाली जिले में कम से कम आठ बार हुईं। 2023 में एक निजी बस ने एक लड़की को मार डाला, जिसके बाद एक ट्रैफिक चेकपोस्ट लगाया गया—पर दो महीने बाद ही उसे हटा दिया गया। अब ये बसें फिर से अपनी आज़ादी में हैं।

पोस्टमार्टम और अगले कदम

रवि का शव 1 नवंबर को बाली जिला अस्पताल ले जाया गया। 2 नवंबर 2025 को पोस्टमार्टम किया गया, जिसका रिपोर्ट अभी तक जारी नहीं हुआ। पुलिस ने एक आम रिपोर्ट दर्ज की है—"टक्कर के कारण निधन"—लेकिन किसकी गलती? क्या बस ओवरलोड थी? क्या ड्राइवर के पास लाइसेंस था? कोई जवाब नहीं।

स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि "निजी स्कूल बसें राज्य के नियमों के बाहर चल रही हैं।" लेकिन कोई उन्हें रोकने के लिए नहीं आया। कोई ट्रैकिंग सिस्टम नहीं, कोई जांच टीम नहीं, कोई फाइन नहीं। बसें चलती रहीं। लोग मरते रहे।

क्या बदलेगा?

रवि के परिवार ने अभी तक कोई शिकायत नहीं दर्ज की। उनके पास पैसे नहीं, न कानूनी मदद। गांव के लोग कहते हैं, "जब तक ये बसें बच्चों के लिए नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए चल रही हैं, तब तक ये दुर्घटनाएं बंद नहीं होंगी।"

एक राजस्थान ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट ने कहा, "हमारे यहां निजी बसों की लाइसेंसिंग का कोई डिजिटल रिकॉर्ड नहीं है। बस का नंबर देखकर भी पता नहीं चलता कि ये किसकी है, किसके नाम पर रजिस्टर्ड है।"

इसलिए जब एक युवक मर जाता है, तो वो सिर्फ एक आंकड़ा बन जाता है। एक खबर। एक दिन के लिए चर्चा। और फिर खामोशी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

रवि मेघवाल की मौत के बाद क्या कानूनी कार्रवाई हुई?

अभी तक कोई आधिकारिक कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस ने सामान्य दुर्घटना रिपोर्ट दर्ज की है, लेकिन ड्राइवर की पहचान, बस का रजिस्ट्रेशन या उसकी तकनीकी जांच का कोई विवरण जारी नहीं किया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है।

फालना की निजी स्कूल बस कैसे चल रही है, जबकि इसकी लाइसेंसिंग स्पष्ट नहीं है?

राजस्थान में निजी स्कूल बसों के लिए कोई एकीकृत डिजिटल रजिस्ट्री नहीं है। कई बसें अनुमति के बिना चलती हैं, और अक्सर वे स्कूलों के नाम पर चलती हैं, लेकिन वास्तव में आम नागरिकों को भी ले जाती हैं। ट्रैफिक पुलिस इनकी जांच नहीं करती।

इस तरह की घटनाएं बाली में कितनी बार हुई हैं?

पिछले तीन साल में बाली जिले में कम से कम आठ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां निजी बसों ने युवाओं या बच्चों को टक्कर मारी। 2023 में एक लड़की की मौत के बाद एक चेकपोस्ट लगाया गया था, लेकिन दो महीने बाद ही हटा दिया गया।

विधायक ने इस घटना पर क्या कहा था?

विधायक ने एक छोटे से सामाजिक कार्यक्रम में कहा कि "यह दुखद घटना हम सभी के लिए एक सबक है," लेकिन उनका नाम, पार्टी या विधानसभा क्षेत्र स्रोतों में उल्लिखित नहीं है। कोई आश्वासन नहीं, कोई जांच का ऐलान नहीं।

पुनाडिया-लुणावा सड़क क्यों खतरनाक है?

यह सड़क एक बड़ा ग्रामीण रास्ता है जहां न तो रोशनी है, न ही बर्ड ब्रेक, न ही गति सीमा के निशान। यहां निजी बसें, ट्रक और गाड़ियां आमतौर पर 80-100 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती हैं। इसके बावजूद, राज्य ने इसकी निगरानी के लिए कोई ट्रैफिक कैमरा या चेकपोस्ट नहीं लगाया।

रवि के परिवार को क्या सहायता मिल रही है?

अभी तक कोई सरकारी या सामाजिक सहायता नहीं मिली है। परिवार के पास कोई आर्थिक स्रोत नहीं है, और कोई कानूनी सहायता नहीं मिल पा रही। गांव के लोग अपनी जेब से दान एकत्र कर रहे हैं, लेकिन यह तो सिर्फ अंतिम संस्कार के लिए है—जीवन का नुकसान नहीं भर सकता।

12 टिप्पणि
M Ganesan दिसंबर 11 2025

ये सब बसें चलती हैं क्योंकि सरकार और पुलिस एक साथ बैठकर चाय पी रहे होते हैं। जब तक बस वाले नेताओं के रिश्तेदार नहीं होते, तब तक कोई जांच नहीं होगी। ये टक्कर नहीं, ये योजना है-अगर गरीब युवा मर जाएं तो उनकी नौकरी का दबाव कम हो जाता है।

ankur Rawat दिसंबर 11 2025

रवि की साइकिल अभी भी घर के बाहर लटकी हुई है और हम सब बसों के नंबर देखकर बातें कर रहे हैं। ये जिंदगी नहीं, एक ट्रैफिक रिपोर्ट है। हम लोगों को याद रखना चाहिए कि ये लड़का कोई आंकड़ा नहीं, एक इंसान था। उसकी मौत के बाद कोई बदलाव नहीं हुआ, तो हम सब उसकी मौत के साथी हैं।

Vraj Shah दिसंबर 11 2025

यार ये बस वाले तो बच्चों के लिए बनी है लेकिन अब गांव के लोग भी इसमें सवार हो रहे हैं। ड्राइवर को न तो ट्रेनिंग मिली है न ही ब्रेक चेक किए जाते हैं। बस चल रही है और लोग मर रहे हैं। इसका कोई नाम नहीं है बस ये है कि हमारी जिंदगी की कीमत बहुत कम है।

Kumar Deepak दिसंबर 13 2025

विधायक ने कहा 'यह एक सबक है'-मतलब अब तुम जान गए कि बस चलती है तो लोग मरते हैं। अब तुम्हें अपनी साइकिल छोड़ देनी चाहिए या फिर अपने घर से निकलना बंद कर देना चाहिए। ये सबक सिर्फ तब सीखा जाता है जब तुम्हारा बेटा नहीं रह जाता।

Ganesh Dhenu दिसंबर 14 2025

हम लोग तो बस के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन ये सड़क का नाम ही नहीं है। जिस जगह लोग मर रहे हैं, वहां कोई निशान नहीं, कोई रोशनी नहीं, कोई चेकपोस्ट नहीं। ये नहीं कि बस खराब है, ये है कि हमारी सड़कें मर चुकी हैं।

Yogananda C G दिसंबर 15 2025

एक युवक की मौत के बाद जो जांच होनी चाहिए वो नहीं हुई, पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई, ड्राइवर की पहचान नहीं हुई, बस का रजिस्ट्रेशन नहीं चेक हुआ, कोई फाइन नहीं लगाया गया, कोई ट्रैकिंग सिस्टम नहीं लगाया गया, कोई चेकपोस्ट नहीं लगाया गया, कोई नियम नहीं बनाया गया, कोई नेता नहीं आया, कोई सरकारी आश्वासन नहीं दिया गया, और अब हम यही बात कर रहे हैं कि अगली बार कब होगी, क्योंकि ये जानते हैं कि ये दुर्घटना एक बार नहीं, बल्कि एक नियम है।

Divyanshu Kumar दिसंबर 17 2025

पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर दी है, अब ये काम खत्म हो गया। बस के नंबर का पता नहीं चल रहा, तो क्या करें? ये तो राजस्थान में है, जहां बस चलती है तो लोग मरते हैं। ये नियम है। अगर आपको लगता है कि ये गलत है, तो आप शहर जाएं और अपनी बस खुद चलाएं।

Mona Elhoby दिसंबर 18 2025

तुम सब ये बातें कर रहे हो कि बस खराब है, ड्राइवर नशे में है, लेकिन तुमने कभी सोचा कि ये बसें चल रही हैं क्योंकि नेता अपने भाई की बस चला रहे हैं? ये सब एक बड़ा धोखा है-जिसमें तुम भी शामिल हो। तुम भी इस बस में सवार होते हो, और अब जब एक लड़का मर गया, तो तुम रो रहे हो।

Arjun Kumar दिसंबर 19 2025

मैंने भी इसी सड़क से गाड़ी चलाई थी। ड्राइवर ने मुझे बताया-‘ये बस बच्चों के लिए है’। मैंने सोचा, ठीक है, लेकिन अगर तुम बच्चों के लिए हो तो फिर ये लोग कौन हैं जो रोज़ सवार हो रहे हैं? इसलिए मैंने अगली बार बस नहीं ली।

Ayushi Kaushik दिसंबर 20 2025

रवि की साइकिल अभी भी बाहर लटकी है। उसके परिवार को एक रुपया भी नहीं मिला, लेकिन जिस बस ने उसे मारा, उसका ड्राइवर अभी भी अपनी बस चला रहा है। ये दुनिया में ऐसा ही होता है-जब तक तुम नहीं मरते, तब तक तुम अनदेखे हो।

Basabendu Barman दिसंबर 21 2025

तुम सब बसों की बात कर रहे हो, लेकिन क्या तुमने सोचा कि ये बसें इतनी आज़ाद क्यों हैं? क्योंकि राज्य ने अपने नियमों को डिजिटल रिकॉर्ड करने के बजाय, अपने भाई को बस चलाने का अधिकार दे दिया। ये सिर्फ बस नहीं, ये एक बड़ा नेटवर्क है-जिसमें तुम भी शामिल हो।

dinesh baswe दिसंबर 23 2025

हमें बसों की जांच करने की जरूरत नहीं, हमें उन लोगों की जरूरत है जो इन बसों को चलाते हैं। एक ड्राइवर को ट्रेनिंग दी जाए, एक बस को रेगुलर चेकअप किया जाए, एक नंबर जिससे पता चले कि ये किसकी है। ये सब तो बहुत आसान है-लेकिन कोई नहीं करता। क्यों? क्योंकि जब तक कोई नहीं मरता, तब तक कोई नहीं देखता।

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