2024 में सोना सबसे ज्यादा कमाई कराने वाला एसेट बना। घरेलू बाजार में इस साल सोने ने 20% से ज्यादा रिटर्न दिया, वहीं इंटरनेशनल मार्केट में रिटर्न 27% तक पहुंच गया। इस दौरान शेयर बाजार के दिग्गज इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी महज 12% के आसपास ही टिके रह गए। यानि जिसने भी इस साल सोने में निवेश किया, उसका फायदा शेयर में लगे निवेशकों से ज्यादा रहा।
पिछले तीन सालों से सोना लगातार दमदार परफॉर्म कर रहा है। 2023 में 15%, 2022 में 14.38%, 2020 में 28.24% और 2019 में 24.59% का रिटर्न दर्ज किया गया। यानी सोने की चमक बदस्तूर बनी हुई है। ये सिलसिला नई बात नहीं, बल्कि बीते पांच सालों का ट्रेंड यही बता रहा है कि जब-जब बाजार में अस्थिरता आई या हालात बिगड़े, तो निवेशकों ने सोने को गले लगाया।
विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस-यूक्रेन जंग, पश्चिम एशिया में तनाव, महंगाई का डर और डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी – इन चार वजहों से सोना नए शिखर पर पहुंचा है। दुनियाभर के सेंट्रल बैंक भी इन दिनों बड़े पैमाने पर सोना खरीद रहे हैं। इससे इसकी कीमत में लगातार उछाल देखने को मिला।
अगर आप सोचते हैं कि सिर्फ सोना ही चमका, तो थोड़ा ठहरिए। चांदी ने भी कमाल दिखाया है। बीते चार सालों में चांदी ने निवेशकों की रकम लगभग दोगुनी कर दी। बैंक FD जहां बीते सालों में 6% तक रिटर्न दे रही थीं, वहीं बॉन्ड में 7-8%, पर सोने-चांदी ने इन दोनों को आसानी से पछाड़ दिया।
एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी मानते हैं कि सोना निवेशकों को लॉन्ग टर्म में शानदार बचाव देता है। खासकर जब बाजार में उथल-पुथल हो, तो सोना सुरक्षित विकल्प बन जाता है। वहीं JM फाइनेंशियल के प्रणव मेर बताते हैं कि सोने को शेयर बाजार से सीधा कम्पेयर नहीं किया जा सकता, क्योंकि दोनों का रोल अलग है। पर हां, पोर्टफोलियो में संतुलित तरीके से सोना-चांदी, शेयर और बॉन्ड रखने से बाजार के उतार-चढ़ाव में भी बड़ा नुकसान नहीं होता।
मौजूदा दौर में गोल्ड-सिल्वर फिर निवेशकों को बाजार की उठापटक और महंगाई से सुरक्षा का मजबूत कवच दे रहे हैं। शेयर बाजार बहुत तेज भागता है, लेकिन गिरावट का डर भी बना रहता है। ऐसे में सोने-चांदी जैसी सेफ हैवन एसेट्स को पोर्टफोलियो में शामिल करना समझदारी है।