केरल में एक और दुःखद घटना सामने आई है जहाँ कोझिकोड जिले में 14 वर्षीय मृदुल की दुर्लभ 'दिमाग खाने वाले' अमीबा, नेगलेरिया फाउलेरी के संक्रमण के कारण मृत्यु हो गई है। यह घटना पिछले दो महीनों में इस प्रकार की तीसरी मौत है। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि मृदुल को बुधवार रात करीब 11:20 बजे मौत ने अपने घेरे में लिया। यह मामला तब सामने आया जब मृदुल ने तालाब में नहाने के बाद उलटी और सिरदर्द की शिकायत की।
यह संक्रमण अमूमन तब होता है जब संक्रमित पानी से यह अमीबा नाक के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करता है और मस्तिष्क तक पहुँचता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अमीबा स्वतंत्र रूप से जीवन जीने वाला, परजीवी नहीं है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, उलटी और दौरे शामिल हैं। बाद के चरणों में यह गंभीर लक्षण जैसे कड़ापन गर्दन में, भ्रम, संतुलन खोना, और मतिभ्रम उत्पन्न कर सकता है।
यह अनोखा मामला पिछले दो महीनों की तीसरी घटना है, जिसमें केरल की मल्लपुरम में एक पांच वर्षीय लड़की और कन्नूर में एक तेरह वर्षीय लड़की की ऐसे ही संक्रमण से मृत्यु हो चुकी है। मल्लपुरम में यह घटना 21 मई को और कन्नूर में 25 जून को दर्ज की गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि यह संक्रमण अत्यंत घातक है और इसमें जान बचने की संभावनाएँ बहुत कम हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए सतर्कता बरतने की सलाह दी है। विशेष रूप से तालाब या अन्य किसी सार्वजनिक जलाशय में नहाने के दौरान सतर्क रहना चाहिए। कोझिकोड के तालाब में नहाने वाले अन्य लोगों को भी सलाह दी जा रही है कि वे किसी भी असामान्य स्वास्थ्य लक्षण को हल्के में न लें और तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि इस प्रकार के संक्रमण के मामले पहले भी हो चुके हैं। 2017 और 2023 में तटीय अलप्पुझा जिले में भी इस संक्रमण के मामले दर्ज हुए थे। विशेषज्ञों के अनुसार, यह संक्रमण अत्यंत गंभीर है और इसमें मृत्यु दर लगभग 100% है। इसलिए, किसी भी संक्रमित पानी में नहाने से बचना ही सबसे महत्वपूर्ण है।
केरल के अन्य जिलों में भी स्वास्थ्य तथा नागरिक सुरक्षा विभाग को सतर्क कर दिया गया है। तालाबों तथा नदियों में नहाने के बारे में विशेष निर्देश जारी किए गए हैं ताकि लोगों को इस खतरनाक संक्रमण से बचाया जा सके।
इस प्रकार की घटना न केवल चारों तरफ चिंता का विषय बनी हुई है बल्कि यह स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए भी चुनौती बन गई है। उचित उपाय और जागरूकता के माध्यम से ही इस संक्रमण से बचा जा सकता है और लोगों की जान बचाई जा सकती है।