IMD ने 3 दिसंबर 2025 से 7 दिसंबर 2025 तक उत्तर भारत के लिए शीतलहर और घने कोहरे का अलर्ट जारी किया है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में तापमान अचानक गिरने की आशंका है, जिससे स्वास्थ्य और परिवहन दोनों पर गंभीर असर पड़ सकता है। बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह समय खतरनाक हो सकता है — और ये सिर्फ एक ठंडी रात नहीं, बल्कि एक लंबे समय तक चलने वाली ठंड की शुरुआत है।
किन जगहों पर क्या हो रहा है?
3 दिसंबर से 5 दिसंबर तक पंजाब और उत्तर मध्य महाराष्ट्र में शीतलहर की संभावना है। इसी दौरान दिल्ली के आईटीओ, चांदनी चौक, अक्षरधाम, साकेत विहार और आनंद विहार जैसे घने आबादी वाले इलाकों में विजिबिलिटी 100 मीटर से भी कम हो सकती है। ये कोहरा सिर्फ दिखने में अजीब नहीं — ये जीवन को रोक सकता है।
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ और मुरादाबाद में रात के तापमान 5°C तक गिर चुके हैं। यहां के डॉक्टर्स का कहना है कि इस साल इन जिलों में सांस संबंधी बीमारियों के मामले पिछले साल की तुलना में 40% ज्यादा हैं।
क्यों इतनी ठंड? पीछे का विज्ञान
ये ठंड सिर्फ एक अचानक ठंडी हवा का नतीजा नहीं। IMD के अनुसार, उत्तर-पश्चिम भारत में हवाओं का पैटर्न बदल रहा है। हिमालय के ऊपर जमी ठंडी हवाएं अब अधिक तेजी से नीचे उतर रही हैं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तापमान शून्य से नीचे है — और ये ठंड अब मैदानी इलाकों में घुल रही है।
मध्य भारत में भी बदलाव दिख रहा है। 2 दिसंबर की रात भोपाल और इंदौर में न्यूनतम तापमान 10°C से नीचे चला गया — ये अक्सर जनवरी का दौर होता है, न कि दिसंबर का। अब मध्य प्रदेश में 5-6 दिसंबर तक शीतलहर की स्थिति बन सकती है।
राजस्थान और पंजाब: अलर्ट लाल, पीला और हरा
राजस्थान में चूरू, झुंझुनूं और सीकर के लिए शीतलहर के लिए पीला अलर्ट जारी किया गया है। ये जिले अक्सर दिसंबर में गर्म रहते हैं — लेकिन इस बार रात के तापमान 3-4°C तक गिर सकते हैं।
पंजाब के किसानों को भी चिंता है। बीजों के लिए ठंड अच्छी है, लेकिन जब तापमान -2°C तक जाता है, तो नवजात फसलें मर जाती हैं। एक किसान ने कहा, “हम तो बर्फ के बाद बर्फ देख रहे हैं — ये बारिश नहीं, ये जमाव है।”
यातायात का अंधेरा: कोहरे का असर
घना कोहरा सिर्फ ठंड नहीं — ये राष्ट्रीय राजमार्गों, रेलवे और हवाई अड्डों के लिए बड़ी समस्या है। दिल्ली एयरपोर्ट में 3 दिसंबर को 70 फ्लाइट्स रद्द हो सकती हैं। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और मेरठ के बीच रेलगाड़ियां घंटों फंसी रह सकती हैं।
एक ट्रक ड्राइवर ने बताया, “मैं रोज दिल्ली से लखनऊ जाता हूं। आज सुबह 6 बजे तक मैं एक बार भी गाड़ी नहीं चला पाया। दो घंटे बाद भी आगे की राह नहीं दिख रही थी।”
स्वास्थ्य पर गहरा असर
इस शीतलहर का सबसे खतरनाक असर उन लोगों पर पड़ेगा जिनके पास बचाव का कोई रास्ता नहीं। IMD के विश्लेषण के अनुसार, बुजुर्गों, बच्चों और हृदय, फेफड़े या जोड़ों की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए यह समय खतरनाक हो सकता है।
दिल्ली के एक सार्वजनिक अस्पताल में 1 दिसंबर से 2 दिसंबर तक 127 लोगों को सांस लेने में तकलीफ के कारण भर्ती किया गया — जिसमें से 89 बुजुर्ग थे। एक डॉक्टर ने कहा, “हम अभी तक इस तरह की बढ़त को इस वक्त नहीं देखा। ये बस ठंड नहीं, ये एक चिकित्सकीय आपातकाल है।”
दिसंबर से फरवरी: ठंड बनी रहेगी
ये सिर्फ एक सप्ताह की बात नहीं। IMD के नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार, दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक उत्तर और मध्य भारत में न्यूनतम तापमान सामान्य से कम रहने की पूरी संभावना है। शीतलहर के दिनों की संख्या पिछले 10 सालों की तुलना में 20-25% ज्यादा हो सकती है।
पूर्वोत्तर भारत और हिमालय की तलहटी में अधिकतम तापमान सामान्य से थोड़ा अधिक रह सकता है — लेकिन ये भी बहुत कम है। यानी, यहां के लोग भी ठंड से बच नहीं पाएंगे।
तमिलनाडु और श्रीलंका: दूसरा तूफान
उत्तर की ठंड के बीच, दक्षिण में भी बड़ी बातें हो रही हैं। तमिलनाडु और पुडुचेरी में IMD ने रेड अलर्ट जारी किया है — अत्यधिक बारिश की आशंका है। इसी बीच, श्रीलंका में चक्रवात ‘दितवाह’ ने 153 लोगों की जान ले ली। भारत ने आपरेशन सागर बंधु शुरू किया है — बचाव बेड, दवाइयां और खाना भेजा जा रहा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शीतलहर क्या होती है और यह कैसे पहचानी जाती है?
शीतलहर तब होती है जब किसी क्षेत्र का न्यूनतम तापमान सामान्य से 4.5°C या अधिक कम हो जाए, और यह स्थिति कम से कम दो दिन तक बनी रहे। IMD इसे तापमान डेटा और लंबे समय के औसत के आधार पर घोषित करता है। उत्तर भारत में यह अक्सर दिसंबर-जनवरी में आती है, लेकिन इस बार यह पहले से शुरू हो गई है।
घना कोहरा क्यों इतना खतरनाक है?
घना कोहरा न केवल दृश्यता को 100 मीटर तक कम कर देता है, बल्कि यह वायु प्रदूषण को भी जमा करता है। दिल्ली जैसे शहरों में कोहरे के साथ PM2.5 का स्तर 300 µg/m³ तक पहुंच जाता है — जो WHO के निर्देशों से छह गुना ज्यादा है। यह बच्चों और बुजुर्गों के फेफड़ों के लिए जानलेवा हो सकता है।
क्या यह ठंड जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है?
हां, वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय की बर्फ का पिघलना और उत्तरी ध्रुव की गर्मी का बढ़ना हवाओं के पैटर्न को बदल रहा है। इसके कारण ठंडी हवाएं अचानक और तेजी से दक्षिण की ओर धकेली जा रही हैं — जिससे शीतलहर अधिक अक्सर और अधिक तीव्र हो रही है।
किस तरह के लोगों को सबसे अधिक खतरा है?
65 साल से अधिक आयु के लोग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और हृदय, फेफड़े या जोड़ों की बीमारी से जूझ रहे लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इनमें तापमान में तेज गिरावट दिल के दौरे, सांस लेने में तकलीफ और जोड़ों में दर्द को बढ़ा सकती है। एक अध्ययन के अनुसार, शीतलहर के दौरान मृत्यु दर 15-20% तक बढ़ जाती है।
क्या रेलवे और हवाई सेवा को पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा?
नहीं, लेकिन अगर कोहरे की दृश्यता 50 मीटर से कम हो जाए, तो रेलवे गाड़ियां अस्थायी रूप से रोक दी जाती हैं। हवाई अड्डे भी उड़ानों को लंबे समय तक रोक सकते हैं — जैसे 2023 में दिल्ली में 140 फ्लाइट्स रद्द हुई थीं। यात्री अपने यात्रा प्लान को लचीला रखें और हर घंटे अपडेट चेक करें।
सामान्य लोग क्या कर सकते हैं?
घर में गर्म पानी पीएं, बाहर जाने से पहले गर्म कपड़े पहनें, खासकर गर्दन और सिर को ढकें। बुजुर्गों के लिए घर में गर्मी का इंतजाम करें — बिजली कटने पर गर्म कंबल और गर्म पानी के बोतल तैयार रखें। बच्चों को बाहर न निकालें, और अगर कोहरा हो तो बाहर जाने से बचें।