Agnikul Cosmos: कैसे भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स कर रहे हैं सफलता की ओर उड़ान

Agnikul Cosmos: कैसे भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स कर रहे हैं सफलता की ओर उड़ान
Shubhi Bajoria 31 मई 2024 14 टिप्पणि

अग्निकुल कॉसमॉस: अंतरिक्ष में नई उड़ान

भारत के अंतरिक्ष स्टार्टअप्स ने पिछले कुछ वर्षों में काफी तरक्की की है। अग्निकुल कॉसमॉस, एक स्टार्टअप जो आईआईटी मद्रास में स्थापित हुआ, ने एक विशेष मील का पत्थर हासिल किया है। इसने 30 मई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित निजी लॉन्चपैड धनुष से भारत का पहला रॉकेट प्रारंभ किया। इस रॉकेट का नाम अग्निबान SOrTeD है, जो एक सेमी-क्रायोजेनिक इंजन से संचालित है और छोटे उपग्रहों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें 30 किलोग्राम से 300 किलोग्राम के बीच की भार क्षमता है।

इस मिशन ने भारत के बढ़ते अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी खिलाड़ियों के लिए नए द्वार खोले हैं। अग्निकुल कॉसमॉस की इस सफलता के पीछे उनके द्वारा विकसित की गई अत्याधुनिक तकनीक का बड़ा योगदान है। इस रॉकेट में दुनिया का पहला 3डी-प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन इस्तेमाल किया गया है, जिसे कंपनी ने खुद विकसित किया है। अग्निकुल कॉसमॉस अब इस वित्तीय वर्ष के अंत तक एक ऑर्बिटल मिशन की तैयारियों में लगी हुई है और उनके ग्राहकों के लिए 2025 से फ्लाइट्स शुरू करने की योजना है।

सरकार का सहयोग और भारतीय अंतरिक्ष नीति

सरकार का सहयोग और भारतीय अंतरिक्ष नीति

अग्निकुल कॉसमॉस की सफलता भारत सरकार द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए किये गए प्रयासों का भी परिणाम है। मई 2020 में, सरकार ने IN-SPACe की स्थापना की, जो कि निजी क्षेत्र को ISRO की संपत्तियों से लाभान्वित होने का अवसर प्रदान करता है। अप्रैल 2023 में केंद्र सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 को मंजूरी दी, जो इस क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करती है।

सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को भी अनुमति दी है, जिसने निजी क्षेत्र को और भी बड़ा उत्कर्ष प्रदान किया है। अत्याधुनिक कंपनियाँ जैसे कि गॉडरेज, एचएएल, अनंत टेक्नोलॉजीज़ और डेटा पैटर्न्स ISRO के अंतरिक्ष उपकारों के लिए घटक प्रदान करती हैं। वहीं, नवोदित स्टार्टअप्स जैसे ध्रुवा स्पेस, स्काईरूट और अग्निकुल कॉसमॉस अंतरिक्ष क्षेत्र में नई और नवाचारी तकनीकें ला रहे हैं।

IN-SPACe की भूमिका

IN-SPACe की भूमिका

IN-SPACe निजी अंतरिक्ष गतिविधियों को नियमित करता है और इस बात को सुनिश्चित करता है कि कोई रणनीतिक और सुरक्षा हितों का उल्लंघन न हो। इसके माध्यम से निजी कंपनियाँ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुभव और संसाधनों का लाभ उठा सकती हैं, जिससे उनकी तकनीकी प्रगति में तेजी आती है।

भारतीय अंतरिक्ष उद्योग का भविष्य

भारतीय अंतरिक्ष उद्योग का भविष्य

भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के स्टार्टअप्स की संख्या 2014 में एक से बढ़कर 2023 में 189 हो गई है और इसमें कुल निवेश $124.7 मिलियन तक पहुँच गया है। भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का आकार 2023 में $8.4 बिलियन से बढ़कर 2033 तक $44 बिलियन और 2040 तक $100 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है।

इन सबके बीच अग्निकुल कॉसमॉस का यह कदम केवल शुरुआत है। यहाँ से आगे और भी अनेक स्टार्टअप्स इस दिशा में कदम रखेंगे और अंतरिक्ष में भारत की धाक जमाएंगे। अब सवाल उठता है कि क्या यह भारतीय अंतरिक्ष यात्रा की नई कहानी का आरंभ है? जिस तरह से तकनीक और नीति में सुधार हो रहे हैं, ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय अंतरिक्ष उद्योग का भविष्य उज्ज्वल है।

14 टिप्पणि
Kulraj Pooni जून 1 2024

ये सब तो बहुत अच्छा है... पर असली सवाल ये है कि हमारे यहाँ इतने सारे बेकार के नेता हैं, जो बस अपने नाम के लिए तस्वीरें खिंचवाते हैं! अग्निकुल का ये काम तो बहुत बड़ा है, पर क्या सरकार इसे असली तौर पर सपोर्ट कर रही है? या फिर बस ट्वीट करके फेमस बनना चाहती है?!

Hemant Saini जून 2 2024

देखो, ये सिर्फ एक रॉकेट नहीं, ये एक नई पीढ़ी की उम्मीद है। हमने अपने बच्चों को बस इंजीनियर बनने को कहा, पर अब हम उन्हें अंतरिक्ष में जाने का सपना दिखा रहे हैं। ये तकनीक जो आज 3डी प्रिंट हो रही है, कल हमारे बच्चे उसे बचपन में खेल के रूप में समझेंगे। ये बदलाव सिर्फ टेक्नोलॉजी का नहीं, दिमाग का है।

Nabamita Das जून 3 2024

3डी-प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन? ये तो दुनिया का पहला है! और आप लोग अभी तक बात कर रहे हैं कि ये कितना महंगा है? भाई, इसकी कीमत तो एक एयरपोर्ट टर्मिनल के बराबर है, लेकिन इसका रिटर्न अगले 50 सालों में आएगा। ISRO के साथ काम करना, निजी कंपनियों को नियमित करना, ये सब बहुत बड़ी बात है। अब बस अपने बजट में इसे प्राथमिकता दो!

chirag chhatbar जून 5 2024

yaar yeh sab kya hai? 3d print kiya? kya yeh koi toy hai? isko toh isro ne hi banaya hona chahiye... aur abhi tak koi rocket bhi nahi chala paa raha... bas ek baar chala diya aur phir? abhi tak koi satellite bhi nahi bheja... bas hype hai!

Aman Sharma जून 5 2024

अग्निबान SOrTeD? ये नाम कौन रखा? क्या ये कोई रॉकेट है या कोई ब्रांडेड एनर्जी ड्रिंक? और ये सारे स्टार्टअप्स... अगर इनका इंजीनियरिंग इतना बढ़िया है, तो क्यों नहीं बना दिया एक ऐसा रॉकेट जो भारत को चाँद पर ले जा सके? नहीं? तो फिर ये सब केवल एक बड़ा टेक्नोलॉजी शो है।

sunil kumar जून 5 2024

ये जो हुआ है, वो सिर्फ एक लॉन्च नहीं, ये एक टर्निंग पॉइंट है! इंडियन स्पेस इंडस्ट्री अब डायनामिक, डिस्रप्टिव, डिसिज़न-ड्रिवन हो गया है! अग्निकुल के टीम ने इंजीनियरिंग एक्सीलेंस को न्यू डेफिनिशन दे दी है! ये निजी सेक्टर का जीत है, ये इंडिया का जीत है! अब बस इनके साथ जुड़ो, इन्वेस्ट करो, इनका सपोर्ट करो! इस रास्ते पर चलो! जय हिंद!

Arun Kumar जून 6 2024

तुम सब ये क्यों बात कर रहे हो? क्या तुम्हें पता है कि ये रॉकेट कितने सेकंड तक उड़ा? 150 सेकंड? और फिर गिर गया? इसे ऑर्बिट में नहीं पहुँचाया गया! तुम लोग इसे सफलता क्यों कह रहे हो? अगर तुम्हारा गाड़ी चली और रास्ते में टूट गई, तो क्या तुम उसे सफल कहोगे? इसका नाम तो अग्निबान है, लेकिन अग्नि तो बर्न करता है, न कि बस धुआँ निकालता है!

Snehal Patil जून 6 2024

बस एक रॉकेट उड़ा दिया... और सब बहुत बड़ी बात बन गई 😭😭😭 अब तो ये भारत का न्यू ग्रेटनेस है! और ये रॉकेट जिसका नाम SOrTeD है... ये तो बस एक टेस्ट है, ऑर्बिट में नहीं पहुँचा! अब तो ये लोग इसे नोबेल पुरस्कार के लिए नामित कर देंगे! 🤦‍♀️

Vikash Yadav जून 7 2024

भाई, ये तो बस शुरुआत है! जब तक हम अपने घर में बैठे टीवी देखते रहेंगे, तब तक ये सब बस कहानी रहेगी। लेकिन जब कोई युवा लड़का अपने गाँव के बाहर एक रॉकेट बनाने की कोशिश कर रहा है, तो ये तो बस एक रॉकेट नहीं... ये तो एक दिल की धड़कन है! जिसे हमें गले लगाना चाहिए, न कि उसकी उड़ान के लंबाई को नापना!

sivagami priya जून 9 2024

अग्निकुल कॉसमॉस ने जो किया, वो बहुत बड़ा है! 🌟 ये न सिर्फ तकनीकी जीत है, बल्कि भारत की युवा पीढ़ी की आत्मविश्वास की जीत है! अब तो हर छोटा सा बच्चा सोचेगा - मैं भी कर सकता हूँ! 💪🚀 और हाँ, इंडिया का भविष्य अब अंतरिक्ष में है!

Anuj Poudel जून 10 2024

मैं यहाँ एक सवाल उठाना चाहता हूँ - क्या हम इस तरह की सफलताओं के लिए नीति को बदल रहे हैं, या बस इसके बारे में बात कर रहे हैं? IN-SPACe का नियमन अच्छा है, लेकिन क्या हमारे पास इन स्टार्टअप्स के लिए वास्तविक फंडिंग और टेस्टिंग फैसिलिटीज़ हैं? या फिर हम बस एक रॉकेट उड़ाकर खुश हो गए? इस बात को सुनिश्चित करना जरूरी है कि ये सफलता स्थायी हो।

Aishwarya George जून 12 2024

इस उपलब्धि का महत्व इस बात में है कि भारत अब एक निर्माता बन गया है - न कि केवल एक उपभोक्ता। 3डी-प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन जैसी तकनीक न केवल लागत कम करती है, बल्कि विकास की गति भी बढ़ाती है। यह एक ऐसा बिंदु है जहाँ भारतीय अनुसंधान और निजी उद्यमशीलता एक साथ आ गए हैं। अगर हम इस राह पर बने रहें, तो 2040 तक $100 बिलियन का लक्ष्य बिल्कुल वास्तविक है।

Vikky Kumar जून 12 2024

यह एक तकनीकी विफलता है। रॉकेट का ऑर्बिटल मिशन नहीं हुआ। इसका नाम अग्निबान है, लेकिन यह तो बस एक धुआँ था। इस तरह की घोषणाएँ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए नुकसानदेह हैं। इन निजी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार परीक्षण किया जाना चाहिए, न कि बस एक नाम देकर खुश हो जाना। यह एक निर्माण नहीं, एक नाटक है।

manivannan R जून 13 2024

yo bro, yeh sab real hai? 3d print engine? kya yeh real ya fake? isro ne toh kuch nahi kaha... kya yeh sab hype hai? par bhai, agar yeh sach hai toh toh badi baat hai! abhi tak koi indian startup nahi chala paa raha tha... ab toh humne apna rocket bhi chala diya! jai hind! 🚀🔥

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