अगर आपको कभी सुना हो कि पेट में दर्द, दस्त या बुखार लगातार नहीं रुक रहा, तो यह सिर्फ साधारण गैस की समस्या नहीं हो सकती। कुछ मामलों में ये अमीबिक मेनिंगोएन्सेफ़ैलाइटिस नाम के इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है। इस बीमारी में एंटेम्बा हिनडली (Entamoeba histolytica) नाम के एक छोटा परजीवी बड़ी आंत और कभी‑कभी मस्तिष्क तक पहुँच जाता है, जिससे गंभीर लक्षण दिखते हैं। आमतौर पर यह साफ‑सफ़ाई की कमी या दूषित पानी से फैलता है, इसलिए बचाव आसान है – बस हाथ धुने और सुरक्षित पेय लेना याद रखें।
परजीवी मुख्यतः फाइलॉइडली (फ़ाइले) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। अगर आप असुरक्षित जल स्रोत या खराब सफ़ाई वाले खाने‑पीने की चीज़ें लेते हैं, तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग अधिक प्रभावित होते हैं। साथ ही, यात्रा के दौरान जहाँ स्वच्छता मानक कम हो, वहाँ इस बीमारी के केस ज्यादा दिखते हैं। इसलिए जब आप बाहर खाने या पानी पीने जाएँ, तो बोतल वाला साफ़ जल चुनें और खाने से पहले हाथ अच्छी तरह धोएँ।
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफ़ैलाइटिस के लक्षण अलग‑अलग हो सकते हैं। शुरू में पेट दर्द, दस्त (कभी रक्त वाला), बुखार और थकान आम है। अगर परजीवी मस्तिष्क तक पहुँचा तो सिरदर्द, उल्टी, भ्रम या चेतना में बदलाव दिख सकता है – इसे तुरंत डॉक्टर को बताएं। घर पर आराम करना, पर्याप्त पानी पीना और हल्का भोजन जैसे खिचड़ी या उबला चावल मदद करता है। लेकिन दवाइयों के बिना नहीं चलाया जा सकता; आम तौर पर मीट्रोनिडाज़ोल या टिनिडाज़ोल जैसी एंटी‑अमीबिक दवाएँ दी जाती हैं, जो डॉक्टर तय करेंगे।
यदि आप देखते हैं कि लक्षण दो हफ़्ते से ज़्यादा चल रहे हैं या खून वाली दस्त है, तो देर न करके अस्पताल जाएँ। समय पर इलाज से जटिलताएँ जैसे यकृत में घाव या मस्तिष्क संक्रमण रोकी जा सकती हैं। डॉक्टर संभवतः मल परीक्षण या रक्त जांच करेंगे और फिर सही दवा लिखेंगे।
रोकथाम के लिए सबसे आसान तरीका है स्वच्छता बनाये रखना। खाना बनाने से पहले और टॉयलेट के बाद हाथ साबुन से 20 सेकंड तक धोएँ, साफ़ पानी पीएँ, बिखरे कचरे को तुरंत निपटाएँ और अगर बाहर खाने जाएँ तो स्टॉल की सफ़ाई देख कर ही खाएं। छोटे बच्चों को बोतल‑वाले दूध या प्यूरी देना सुरक्षित रहता है।
समझदारी से कदम उठाने पर यह बीमारी आसानी से रोकी जा सकती है, इसलिए जागरूक रहें और अपने आसपास के लोगों को भी बताएँ। याद रखें, स्वच्छता ही सबसे बड़ा डॉक्टर है।
केरल के कोझिकोड में 14 वर्षीय मृदुल की दिमाग खानेवाले अमीबा, नेगलेरिया फाउलेरी से मृत्यु हो गई। यह पिछले दो महीनों में तीसरी ऐसी मौत है। इससे पहले मल्लपुरम और कन्नूर में ऐसे ही मामलों में पांच और तेरह साल की लड़कियों की जान गई थी। स्वास्थ्य अधिकारियों ने तालाब में नाहनेवालों को सतर्क रहने की सलाह दी है।