उत्तर प्रदेश के हाथरस में 'सत्संग' में भगदड़ से 27 लोगों की मौत

उत्तर प्रदेश के हाथरस में 'सत्संग' में भगदड़ से 27 लोगों की मौत
Shubhi Bajoria 3 जुलाई 2024 19 टिप्पणि

हाथरस में 'सत्संग' के दौरान भगदड़ से 27 की मौत

उत्तर प्रदेश के हाथरस में धार्मिक सभा के दौरान हुई त्रासदी ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। 'सत्संग' में शामिल होने आए लोगों ने सोचा भी नहीं होगा कि यह धार्मिक आयोजन उनके जीवन का अंतिम दिन साबित होगा। यह घटना उस समय हुई जब अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। इस हादसे में 27 लोगों की जान चली गई, जिनमें अधिकांश महिलाएं शामिल थीं।

एटा जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) उमेश कुमार त्रिपाठी ने पुष्टि की कि पोस्ट-मॉर्टम हाउस में 27 शव लाए गए हैं, जिनमें से 25 महिलाएं और 2 पुरुष हैं। सीएमओ ने बताया कि इस घटना के बाद 150 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। शवों की संख्या में वृद्धि हो सकती है क्योंकि कई घायलों की हालत गंभीर है।

सत्संग में कैसे हुआ हादसा?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, हाथरस के इस धार्मिक आयोजन में सुरक्षा व्यवस्था का उचित प्रबंध नहीं था। अत्यधिक भीड़ के कारण आयोजन स्थल पर लोगों का संतुलन बिगड़ गया और भगदड़ मच गई। कुछ लोगों को धक्का-मुक्की का शिकार होना पड़ा और वे नीचे गिर गए। अन्य लोग घबराहट में भागने लगे, जिससे भगदड़ ने और भी विकराल रूप धारण कर लिया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताया शोक

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे तुरंत राहत कार्यों में जुट जाएं और घायलों को हर संभव चिकित्सा सहायता प्रदान करें। मुख्यमंत्री ने राज्य प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों और धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं।

स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया

हाथरस के जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कदम उठाए हैं। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इस घटना की जांच की जा रही है और भीड़ प्रबंधन में हुई किसी भी प्रकार की कमी या गलती के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

अस्पतालों की स्थिति

घटना के बाद घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। अस्पतालों में डॉक्टर और चिकित्सा कर्मचारी घायलों का इलाज करने में जुट गए हैं। हाथरस के सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी घायलों को भर्ती किया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि अधिकांश घायलों की हालत गंभीर है और उन्हें विशेष चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।

स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया

स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर गुस्सा और निराशा है। कई लोगों का मानना है कि अगर सुरक्षा व्यवस्था का उचित प्रबंध किया गया होता तो यह हादसा टल सकता था। लोगों ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि वह भविष्य में इस प्रकार की त्रासदियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए।

घटनास्थल पर सेवाभावी संस्थाओं की पहल

घटना के बाद कई सेवाभावी संस्थाएं और स्वयंसेवक तत्काल राहत कार्यों में जुट गए हैं। उन्होंने घायलों को चिकित्सा सहायता पहुंचाने, भोजन और पानी की व्यवस्था करने का बीड़ा उठाया है। ये संस्थाएं और लोग घायलों के परिवारों के प्रति भी सहयोग और संवेदनाएं प्रकट कर रहे हैं।

धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा की आवश्यकता

यह घटना यह स्पष्ट करती है कि धार्मिक आयोजनों में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था होना अनिवार्य है। इस प्रकार के आयोजनों में भीड़ का एकत्रित होना सामान्य बात है, और इसके लिए पहले से ही उपयुक्त तैयारियां की जानी चाहिए। लोकल प्रशासन को भीड़ नियंत्रित करने के लिए विशेष प्रबंध करने चाहिए और आयोजकों को भी सुरक्षा के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।

निष्कर्ष

हाथरस की इस त्रासदी ने न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा की अनदेखी से जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है। यह समय है, जब हमें सबक लेना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों। हर व्यक्ति की जान बहुमूल्य है और राज्य प्रशासन तथा आयोजनकर्ताओं का दायित्व है कि वे लोगों की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहें।

19 टिप्पणि
Amar Khan जुलाई 4 2024

ये सब तो बस नाम का सत्संग है... असल में तो भीड़ भरकर लोगों को दबोच लिया जाता है। कोई सुरक्षा? कोई नियंत्रण? बस फोटो खींचने के लिए बड़े बड़े बाबा आते हैं।

Roopa Shankar जुलाई 5 2024

इस तरह की त्रासदी में बस एक ही बात सच है - जिस दिन हम भीड़ को धार्मिक आयोजन का हिस्सा मानने लगेंगे, उस दिन हम अपने आप को खो देंगे। ये लोग जान बचाने के लिए नहीं, बल्कि फोटो खींचने के लिए आते हैं।

shivesh mankar जुलाई 5 2024

इस घटना के बाद अगर कोई भी सुधार नहीं हुआ तो ये दोबारा होगा। बस जगह बदल जाएगी। लोगों को शिक्षित करना जरूरी है - धर्म का मतलब भीड़ नहीं, शांति है।

avi Abutbul जुलाई 7 2024

क्या ये सब बाबा अपने घर में भी इतनी भीड़ लगाते हैं? नहीं ना? तो फिर ये सब क्यों? क्या लोगों की जान बेकार है?

Hardik Shah जुलाई 9 2024

ये लोग तो बस अपने नाम के लिए भीड़ लगाते हैं। जिसने भी ये आयोजन किया, उसे जेल भेज देना चाहिए। ये लोग धर्म के नाम पर इंसान कत्लेआम करते हैं।

manisha karlupia जुलाई 10 2024

कभी कभी लगता है कि धर्म का असली मतलब ही भूल गए हम... जब भीड़ में एक औरत गिर जाती है तो कोई उसे उठाने के बजाय भाग जाता है... क्या हम इतने अहंकारी हो गए हैं?

vikram singh जुलाई 11 2024

ये सत्संग नहीं, सत्संग का अंत हुआ है! भीड़ का अंधाधुंध नाच, बिना एंबुलेंस के बाबा का बार-बार आना, और फिर दो घंटे बाद मीडिया को फोन करना... ये तो बॉलीवुड की स्क्रिप्ट है जिसे असलियत बना दिया गया।

balamurugan kcetmca जुलाई 13 2024

इस तरह की घटनाओं के बाद हमें सिर्फ शोक व्यक्त करना नहीं चाहिए, बल्कि सिस्टम में बदलाव लाना चाहिए। हर धार्मिक आयोजन के लिए एक निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल होना चाहिए - जैसे एयरपोर्ट या स्टेडियम में होता है। भीड़ के लिए एंट्री लिमिट, एमरजेंसी एक्सिट, फर्स्ट एड स्टेशन, और ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। ये सब तो संभव है, बस इच्छा नहीं है।

Arpit Jain जुलाई 14 2024

अगर ये सब बाबा असली ज्ञानी होते तो इतनी भीड़ नहीं लगाते। ज्ञान का अर्थ तो शांति होती है, न कि दौड़ लगाना।

Karan Raval जुलाई 15 2024

इस तरह की घटनाओं में जिन लोगों की जान चली गई उनके परिवारों को जो भी सहारा दिया जा सके वो देना चाहिए। ये लोग बस अपने भगवान को देखने आए थे... उन्हें जान देने का कोई हक नहीं था

divya m.s जुलाई 16 2024

ये सब बाबा अपने घर पर तो बैठे रहते हैं और लोगों को भीड़ में दबोच देते हैं। जब तक लोग इनके चरणों में धूल चढ़ाते रहेंगे, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।

PRATAP SINGH जुलाई 17 2024

हमारे देश में धर्म का अर्थ ही बदल गया है। अब धर्म का मतलब है भीड़, धोखा और अहंकार। ये सब बाबा अपने आप को देवता समझते हैं।

Akash Kumar जुलाई 18 2024

यह घटना भारतीय संस्कृति के गहरे दुर्भाग्य को दर्शाती है। जब आध्यात्मिकता को द्रव्यमय आयोजन में बदल दिया जाता है, तो इसका परिणाम अनिवार्य रूप से विनाशकारी होता है।

Shankar V जुलाई 19 2024

ये सब एक योजना है। भीड़ इतनी भरने के लिए जानबूझकर लोगों को आमंत्रित किया गया। फिर भगदड़ हो गई। अब लोगों को भयभीत किया जा रहा है। ये सब जानबूझकर हुआ है।

Aashish Goel जुलाई 20 2024

मैंने देखा... जब भीड़ भागी, तो कुछ लोग अपने फोन निकाल रहे थे... और कुछ लोग बस बाबा के लिए फोटो ले रहे थे... क्या ये धर्म है? क्या ये भक्ति है? ये तो बस एक शो है... जिसमें लोगों की जान बेच दी जा रही है।

leo rotthier जुलाई 21 2024

हमारे देश में धर्म के नाम पर हर चीज़ ठीक हो जाती है। अगर ये एक फुटबॉल मैच होता तो पूरा देश उठ खड़ा होता। लेकिन ये धर्म है... तो चलो भीड़ भर दो, लोग मर जाएं, कोई नहीं पूछेगा।

Karan Kundra जुलाई 22 2024

हमें इस तरह की घटनाओं के बाद गुस्सा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अगर हम खुद इन आयोजनों में नहीं जाते तो ऐसी घटनाएं नहीं होतीं।

Vinay Vadgama जुलाई 22 2024

इस त्रासदी के बाद भी अगर हम लोग इन आयोजनों में जाते रहेंगे, तो यह दुखद घटना दोहराई जाएगी। धर्म का सच्चा अर्थ शांति और जिम्मेदारी में है, भीड़ में नहीं।

Pushkar Goswamy जुलाई 23 2024

ये सब बाबा अपने नाम के लिए लोगों को भीड़ में दबोच रहे हैं। अगर ये लोग असली ज्ञानी होते तो इतनी भीड़ नहीं लगाते। ये तो बस एक बिजनेस है।

कुछ कहो