आर्थिक सर्वे 2025: वेतन असमानता से मांग पर खतरा, मुनाफे में विसंगति

आर्थिक समाचार 1 फ़रवरी 2025 प्रियंका कश्यप

आर्थिक सर्वे 2025 ने कई प्रमुख मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया है, जिनमें मुनाफे और वेतन के बीच का बढ़ता अंतर शामिल है। इस साल का सर्वे यह बताता है कि बड़ी कंपनियों के मुनाफे पिछले 15 वर्षों में सबसे ऊंचे स्तर पर हैं, लेकिन उसके विपरीत वास्तविक वेतन में कोई महत्वपूर्ण बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। यह स्थिति सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से चिंता का विषय बन गई है क्योंकि आय और व्यय के बीच बढ़ता हुआ अंतर कई दीर्घकालिक समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। इस असमानता से न केवल उपभोग की मांग पर असर पड़ता है बल्कि यह आर्थिक विकास के लिए भी बड़े खतरे को संकेत करती है।

आय असमानता और उसके प्रभाव

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि जब कंपनियां मुनाफे में उछाल का अनुभव कर रही हैं, तो इसके विपरीत वास्तविक वेतन में स्थिरता चिंता का विषय है। यह असमानता न केवल आय वृद्धि को प्रभावित कर सकती है बल्कि विभिन्न वर्गों के बीच बढ़ती असमानता को भी प्रदर्शित करती है। इस समस्या से निपटने के लिए सुझाव दिया गया है कि कंपनियों को वेतन वृद्धि पर ध्यान देना चाहिए ताकि आय में असमानता को कम किया जा सके और अर्थव्यवस्था में उपभोग को प्रोत्साहित किया जा सके।

निजी क्षेत्र की भूमिका और उत्तरदायित्व

सरकार ने अवसंरचना क्षेत्र में बड़ी मात्रा में पूंजी का निवेश किया है। अब, समय आ गया है कि निजी क्षेत्र भी इसका सकारात्मक उत्तरदायित्व दिखाए। सर्वे के अनुसार, इसे ध्यान में रखते हुए, बड़ी कंपनियों को अपने लाभ में से एक हिस्सा वेतन वृद्धि के माध्यम से पुनर्निवेश करना चाहिए। यह केवल कर्मचारियों के स्तर को बढ़ाने का काम नहीं करेगा बल्कि यह आर्थिक चक्र को पुनर्जीवित करने में मददगार होगा।

इसके अलावा, जब हम आर्थिक नवाचार की बात करते हैं, तो निजी कंपनियों के लिए यह अहम है कि वे अपने उत्पादकता में सुधार करें और प्रतियोगिता को ध्यान में रखते हुए अपना व्यवसाय संचालित करें। यही नहीं, जबकि सरकार ने बड़े निवेश किए हैं, निजी क्षेत्र के लिए यह जरूरी है कि वे अपने सामाजिक और आर्थिक उत्तरदायित्व को ध्यान में रखते हुए कार्य करें।

देर से उद्योग अनुकूलन और प्रतियोगिता

देर से उद्योग अनुकूलन और प्रतियोगिता

सरकार के द्वारा व्यवसाय में आंकड़िकरण और प्रतियोगिता का प्रोत्साहन समय की मांग है। यह केवल कंपनियों की आर्थिक स्थिति को मजबूत नहीं करेगा बल्कि यह उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने में भी मदद करेगा। आर्थिक सर्वे में की गई सिफारिशों में से एक प्रमुख बिंदु यह है कि सरकार को व्यवसायिक क्षेत्र में 'दिवालियापन' जैसे कांपीटिशन कानूनों का पालन कराने की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाना चाहिए ताकि नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिले।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उदय उत्तरदायी क्षेत्र में बड़े प्रभाव डाल सकता है, विशेषकर उन देशों में जहां श्रम की अधिकता है। इस स्थिति में सरकार को 'टेक्स हेतु हस्तक्षेप' की संभावनाओं पर विचार करना चाहिए, जिससे बड़ी कंपनियों के मुनाफों को कंट्रोल किया जा सके जब श्रम विस्थापन के कारण ये अप्रत्याशित लाभ हासिल करती हैं।

यह सर्वे भारतीय जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.3% से 6.8% के बीच FY26 के लिए करता है। यह प्रक्षेपित दर एक स्थिर आर्थिक वृद्धि को दर्शाती है। हालांकि, इसके बावजूद यह महत्वपूर्ण है कि कंपनियां आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कर्मचारियों के वेतन की वृद्धि और उनकी स्थिति के सुधार पर ध्यान केंद्रित करें।

कुछ कहो