हर साल जब नया नेता शपथ लेता है, तो देश भर में चर्चा शुरू हो जाती है। आप भी जानना चाहते हैं कि इस बार क्या खास बात है? हम यहाँ आसान भाषा में बता रहे हैं कि कौन‑कौन सी बातें ध्यान देने लायक हैं और उनका असर किस तरह पड़ सकता है।
शपथ का कार्यक्रम अक्सर कई जगहों से जुड़ा होता है – राजभवन, राष्ट्रपति भवन या कभी विदेश में भी। इस साल की शपथ में प्रमुख अतिथियों की सूची, राष्ट्रीय गीत और वचन पर विशेष जोर दिया गया। समारोह के दौरान ली गई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए, जिससे जनता को तुरंत जानकारी मिली।
साथ ही नई नीति घोषणाओं का संकेत भी मिला। कई बार शपथ लेने वाले नेता अपने प्रमुख एजेंडे जैसे रोजगार, स्वास्थ्य या शिक्षा को छोटे‑छोटे वाक्यों में उजागर करते हैं। इससे हमें यह अंदाज़ा मिलता है कि अगले साल सरकार की प्राथमिकताएँ क्या होंगी।
शपथ ग्रहण के बाद राजनीति का माहौल तुरंत बदलता है। विपक्षी पार्टियों से सवाल‑जवाब सत्र शुरू हो जाता है, और अक्सर नई गठबंधन की सम्भावनाएँ उभरती हैं। अगर शपथ लेने वाले ने कोई नया गठबंधन बनाया है, तो यह देश के विभिन्न क्षेत्रों में नीति परिवर्तन को तेज़ कर सकता है।
समाज पर भी असर पड़ता है। कई लोग इस अवसर को राष्ट्रीय एकजुटता का प्रतीक मानते हैं और छोटे‑छोटे समारोहों में भाग लेते हैं। शपथ के बाद सरकारी योजनाओं की घोषणा अक्सर लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी को सीधे छूती है, जैसे कि किसानों के लिए नई सब्सिडी या छात्रों के लिए स्कॉलरशिप।
आजकल मीडिया इस घटना को लाइव स्ट्रीम करके हर कोने तक पहुंचा देता है। इससे आम जनता को तुरंत जानकारी मिलती है और वे अपने सवालों के जवाब भी पा लेते हैं। सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग हैशटैग्स जैसे #ShapathGrahhan, #NewLeadership आदि जल्दी ही लोकप्रिय हो जाते हैं।
यदि आप शपथ ग्रहण से जुड़ी कोई खास बात देखना चाहते हैं – जैसे कि राष्ट्रपति का भाषण या नई नीति की पहली झलक – तो हमारी साइट पर रोज़ अपडेट मिलते रहते हैं। यहाँ आप विस्तृत रिपोर्ट, वीडियो और विशेषज्ञों के विश्लेषण एक ही जगह पा सकते हैं।
अंत में, शपथ ग्रहण सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है; यह देश की दिशा तय करने का पहला कदम है। इसलिए इसे समझना जरूरी है कि इस वचनबद्धता से क्या उम्मीदें जुड़ी हैं और कैसे ये आपके जीवन को प्रभावित करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपने मंत्रिपरिषद के साथ इस्तीफा सौंप दिया। राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए नवीनतम सरकार के कार्यभार ग्रहण करने तक प्रशासन को कार्य जारी रखने का निर्देश दिया। मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ 8 जून को लेने की उम्मीद है।