निजी निवेश के शुरुआती कदम

अगर आपको लगता है कि पैसा बचाने से ज्यादा कुछ नहीं हो रहा, तो निजी निवेश का समय अब है। बहुत सारा पैसा सिर्फ बैंक में रख देना ठीक नहीं, क्योंकि महँगी महंगाई आपके बचत को धीरे‑धीरे घटा देती है। यहाँ हम ऐसे सरल उपाय बताएंगे जो आपकी आमदनी को बढ़ा सकते हैं बिना जटिल गणित के.

बजट बनाकर निवेश शुरू करें

सबसे पहले अपने मासिक खर्चों की सूची बनाइए – किराया, खाने‑पीने, गैस, मोबाइल आदि। फिर देखिए कि आप कितना बचा सकते हैं। आम तौर पर 10‑15 % बचत को सीधे निवेश में लगाना शुरू करना सुरक्षित रहता है। अगर आपका लक्ष्य बड़ा है तो इस प्रतिशत को धीरे‑धीरे बढ़ाते जाएँ.

बजट बनाने के बाद एक आसान तरीका है स्वचालित ट्रांसफ़र सेट करना। महीने की तिथि पर आपके सैलरी खाते से बचत खाते या म्यूचुअल फंड अकाउंट में पैसे खुद‑ब-खुद चले जाते हैं, जिससे खर्च करने का मन नहीं करता.

विविधीकरण से जोखिम कम रखें

सिर्फ एक जगह पैसा लगाना खतरनाक हो सकता है। शेयर बाजार, बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉज़िट, रियल एस्टेट या गोल्ड जैसे विकल्पों को मिलाकर पोर्टफोलियो बनाइए। अगर शेयर में थोड़ा जोखिम है तो बॉण्ड या FD में स्थिर रिटर्न रख सकते हैं.

शुरुआत में बड़े‑बड़े कंपनियों के शेयर (ब्लूचिप) खरीदना बेहतर रहता है क्योंकि उनका उतार‑चढ़ाव कम होता है। आप म्यूचुअल फंड भी चुन सकते हैं – ये आपके पैसे को कई कंपनियों में बाँट देते हैं, इसलिए जोखिम अपने आप घट जाता है.

रियल एस्टेट में निवेश करने से पहले लोकेशन और भविष्य की विकास योजनाओं को देखिए। छोटे अपार्टमेंट या प्रोजेक्ट के लिए शुरुआती राउंड‑ऑफ़ कम कीमत पर मिल सकते हैं – इससे आपका ROI बेहतर हो सकता है.

लघु-समय के लक्ष्य और दीर्घकालिक योजना

यदि आप अगले 1‑2 साल में कोई बड़ा खर्च (जैसे कार या शादि) की सोच रहे हैं, तो सुरक्षित विकल्प जैसे फिक्स्ड डिपॉज़िट या रिवॉल्विंग लोन पर ध्यान दें। ये आपको तय समय में निश्चित ब्याज देते हैं.

लंबी अवधि के लिए आप पेंशन फंड, इक्विटी म्यूचुअल फंड और सिस्टमिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) को प्राथमिकता दे सकते हैं। 5‑10 साल बाद ये निवेश आपका मूलधन कई गुना बढ़ा सकते हैं.

टैक्स बचत के साथ निवेश

इन्कम टैक्स में छूट पाने वाले प्लान जैसे ELSS, PPF और सुकन्या समृद्धि योजना का उपयोग करें। इनका रिटर्न अक्सर सामान्य FD से बेहतर मिलता है और साथ ही आप टैक्स कम भी देते हैं.

साल के अंत में अपने पोर्टफोलियो की जाँच करें – कौन‑से एसेट्स बढ़ रहे हैं, कौन‑से घट रहे हैं। जरूरत पड़े तो रीबैलेंसिंग करके जोखिम को फिर से संतुलित कर लीजिए.

निवेश सीखते रहें

आखिर में याद रखें, निवेश कोई जादू नहीं है; यह लगातार सीखने और सही निर्णय लेने की कला है। वित्तीय न्यूज़ पढ़ें, यूट्यूब चैनल फॉलो करें या छोटे‑छोटे ऑनलाइन कोर्स करें। जितना आप समझेंगे, उतनी ही आत्मविश्वास के साथ पैसा लगाएंगे.

तो अभी से शुरू करें – बजट बनाइए, थोड़ा-थोड़ा बचत निवेश में डालें और समय के साथ देखिए आपका धन कैसे बढ़ता है. यही निजी निवेश का असली मज़ा है.

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