नेवऋती के पहले दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित होती है। इस देवी को पृथ्वी की पहली पुत्री माना जाता है, इसलिए उनका नाम ‘शैल‑पुत्री’ (पहाड़ की बेटी) रखा गया है। अगर आप भी घर में शैलपुत्री का उत्सव मनाना चाहते हैं तो नीचे दी गई आसान विधि मदद करेगी।
पुराणों के अनुसार, माँ शैलपुत्री ने शिव जी को बंधन में से मुक्त किया था। वह त्रिनेत्र वाले भगवान के साथ लड़ते समय अपने हाथों से पहाड़ को उठाकर दुश्मनों को हराती थी। यही कारण है कि उन्हें ‘पहाड़ी देवी’ कहा जाता है और उनका व्रत शक्ति, धैर्य तथा स्वास्थ्य बढ़ाता है।
1. साफ‑सुथरा स्थान चुनें और माँ की तस्वीर या मूर्ति रखें।
2. कलश, घी, चावल, फूल और नारियल तैयार रखें। कलश को जलाकर उसके ऊपर धूप रखें; यह शुद्धि का प्रतीक है।
3. सुबह 6‑7 बजे गंगाजल से स्नान कर साफ कपड़े पहनें। फिर घी के दीप को जलाएँ और मंत्र ‘ॐ आद्या काली सिद्धि प्रचण्डा’ दोहराएँ।
4. कलश में चावल, दाल, शक्कर, नमक डालकर पाँच प्रकार की वस्तुएँ (फल, फूल, धूप, अक्षत, नारियल) को क्रम से रखें। यह सृष्टि के पाँच तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।
5. अंत में 108 बार ‘ओं ह्रीं शैलपुत्री नमः’ मंत्र का जप करें या रिकॉर्डेड भजन चलाएँ। जप समाप्त होने पर मिठाई बाँटें और सभी को आशीर्वाद दें।
पूजा के बाद घर की साफ‑सफ़ाई, भोजन में हल्दी व शहद डालना तथा सुबह जल्दी उठकर योग करना लाभकारी माना जाता है। इन छोटे‑छोटे कदमों से आप माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आपका समय कम हो तो आप सिर्फ दीप जलाकर मंत्र जप कर ही शुरुआत कर सकते हैं। मुख्य बात यह है कि दिल से भक्ति और शुद्ध मन से पूजा करनी चाहिए। ऐसे में शैलपुत्री आपके घर में सुख‑शांति लाएगी, स्वास्थ्य बेहतर होगा तथा आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।
समाप्ति के समय कुछ लोग अपने परिवार को छोटी-छोटी दान राशि देकर भी भाग्य बढ़ाते हैं। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है और आज भी बहुत प्रभावी मानी जाती है। तो इस नेवऋती में माँ शैलपुत्री को याद रखें, सरल पूजा करें और जीवन में सकारात्मक बदलाव देखें।
प्रधानमंत्री मोदी ने चैत्र नवरात्रि 2024 के अवसर पर मां शैलपुत्री की प्रशंसा की और इसे शक्ति व आध्यात्मिक विकास का प्रतीक बताया। राहुल गांधी और शिवराज सिंह चौहान ने भी इस पावन पर्व पर अपनी शुभकामनाएं दीं। यह आयोजन नव संवत्सर के साथ जुड़ा, जो राष्ट्रीय एकता और आध्यात्मिक पुनर्नव सर्जन का प्रतीक माना जाता है।