सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नसीहत दी, नामपटल विवाद पर लिया सख्त निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को नसीहत दी, नामपटल विवाद पर लिया सख्त निर्णय
Shubhi Bajoria 22 जुलाई 2024 19 टिप्पणि

सुप्रीम कोर्ट का योगी सरकार को झटका

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार की उस नीति के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दुकानों और भोजनालयों के मालिकों को नामपटल लगाने का निर्देश दिया गया था। इस फैसले को पलटते हुए कोर्ट ने इस आदेश के क्रियान्वयन को तत्काल स्थगित कर दिया और दोनों राज्य सरकारों के साथ मध्य प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी कर उत्तर देने के लिए कहा है।

संविधान का उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि यह निर्देश संविधान के अंतर्गत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी दुकानदार को अपने नाम का प्रदर्शन करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यह नीति अद्वितीयता और निजता का उल्लंघन है। इसके माध्यम से व्यापारियों पर अनुचित दबाव डाला जा रहा है। इस नीति की स्थिति में सुधार की दिशा में दोनों राज्य सरकारों को सुझाव दिए गए हैं।

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की प्रतिक्रिया

यूपी और उत्तराखंड सरकार के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर योगी सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि यह कदम सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। वहीं, कांग्रेस ने भी इस कदम को व्यापारियों के अधिकारों पर सीधा हमला करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आदेशों से व्यापारिक समुदाय में संभेदना पैदा होती है और सरकार को इस दिशा में ज्यादा संवेदनशील होना चाहिए।

कांवड़ यात्रा मार्ग पर पारदर्शिता

सरकार का यह निर्णय कांवड़ यात्रा मार्ग पर पारदर्शिता बनाए रखने के मकसद से लिया गया था। कांवड़ यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं और सरकार की मंशा थी कि उन्हें लोकप्रिय और प्रतिष्ठित दुकानों की पहचान में आसानी हो। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया है कि इसके बजाय दुकानों को अपने खाद्य पदार्थों की सूची प्रदर्शित करनी चाहिए ताकि यात्रियों को उनके विकल्प और गुणवत्ता के बारे में जानकारी मिल सके। यह पारदर्शिता बनाए रखने का एक अधिक व्यावहारिक और प्रभावी तरीका हो सकता है।

आगे की राह

इस निर्णय का प्रभाव आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा क्योंकि कोर्ट ने संबंधित सरकारों को 26 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है। देखना दिलचस्प होगा कि यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारें सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं। यह मामला भविष्य के लिए महत्वपूर्ण दृष्टान्त स्थापित करेगा और ऐसी नीतियों के निर्माण में दिशानिर्देशक साबित हो सकता है।

योगी सरकार के लिए यह एक बड़ा झटका है और भविष्य में ऐसी नीतियों की क्रियान्वयन में ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। इससे सरकार की जिम्मेदारी और पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता को भी नई परख मिलती है। अब देखना होगा कि सरकारें इस फैसले को किस तरह से लेती हैं और क्या कदम उठाती हैं जिससे की यात्रियों की सुविधा भी बनी रहे और किसी के मौलिक अधिकारों का भी हनन न हो।

19 टिप्पणि
Gayatri Ganoo जुलाई 24 2024

ये सब नामपटल का झंडा तो बस एक ढोंग है... असल में जो लोग ये नीति बना रहे हैं वो खुद भी जानते हैं कि ये सिर्फ धोखा है। अब तो सुप्रीम कोर्ट भी उनकी चाल को पकड़ गया। लेकिन ये तो बस शुरुआत है... अगला कदम क्या होगा?

harshita sondhiya जुलाई 25 2024

इस योगी सरकार को तो बस दिखावा करना है और भीड़ को बहकाना है! नामपटल लगाने का बहाना बनाकर व्यापारियों को डरा रहे हैं... ये तो बस एक धार्मिक डर का खेल है! अब कोर्ट ने इसे रोक दिया तो अब तो वो चुप हो जाएंगे!

Balakrishnan Parasuraman जुलाई 26 2024

कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है। हमारे संविधान में व्यक्ति की निजता का अधिकार है। ये नामपटल का झंडा तो एक राष्ट्रवादी निर्देश नहीं, बल्कि एक अनुचित अतिक्रमण है। जिसने ये नीति बनाई उसे शिक्षा की जरूरत है।

Animesh Shukla जुलाई 27 2024

क्या हम वाकई इस बात पर विचार कर रहे हैं कि एक दुकानदार के लिए अपना नाम लिखना उसकी पहचान का हिस्सा है? अगर वो चाहे तो अपना नाम छिपा सकता है, अगर वो चाहे तो लिख सकता है... लेकिन बाध्य करना? ये तो आजादी के खिलाफ है। और ये जो कांवड़ यात्रा का बहाना बना रहे हैं... वो तो बस एक नाटक है। अगर वास्तविक पारदर्शिता चाहिए तो खाद्य गुणवत्ता की जानकारी दो, न कि नाम।

Abhrajit Bhattacharjee जुलाई 28 2024

ये फैसला बहुत अच्छा है। सरकार को अपनी नीतियों को लोगों के अधिकारों के साथ समझौता करके बनाना चाहिए। ये नामपटल का मुद्दा छोटा लगता है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत बड़ा है। अब देखते हैं कि सरकार कैसे जवाब देती है।

Raj Entertainment जुलाई 30 2024

भाई ये सब बहुत बड़ा मुद्दा बना रखा है... लेकिन सच तो ये है कि जब तक हम अपने व्यापारियों की जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तब तक ऐसे झगड़े चलते रहेंगे। दुकानदार भी अपने खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के बारे में जागरूक हों, और सरकार भी उन्हें बाध्य न करे। दोनों को साथ चलना होगा।

Manikandan Selvaraj अगस्त 1 2024

अब तो बस ये देखोगे कि योगी कितना जल्दी इस फैसले को निरस्त कर देता है... ये लोग तो अपनी बात चलाने के लिए कुछ भी कर लेते हैं... अब कोर्ट ने रोक दिया तो अब तो वो चुप हो जाएंगे ना?

Naman Khaneja अगस्त 2 2024

अच्छा हुआ! अब तो दुकानदारों को आराम मिलेगा... अब वो अपना नाम चाहे तो लिखेंगे चाहे नहीं... बस खाना अच्छा देंगे और यात्री खुश रहेंगे 😊

Gaurav Verma अगस्त 3 2024

ये सब बहाना है। जब तक ये सरकार चलेगी, तब तक ऐसे निर्णय आएंगे। अब कोर्ट ने रोका... अगला क्या? अगला तो नामपटल के बजाय आधार कार्ड लगाने का आदेश आएगा।

Fatima Al-habibi अगस्त 5 2024

वाह... एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने देश के लिए सही फैसला सुनाया। क्या ये देश में अब सिर्फ एक राजनीतिक दल के लिए नहीं, बल्कि संविधान के लिए भी जी रहा है?

Nisha gupta अगस्त 6 2024

संविधान का अधिकार नहीं तो क्या है? ये नामपटल का आदेश एक असंवैधानिक शक्ति का प्रयोग है। अगर ये नीति चल गई तो अगला कदम क्या होगा? क्या अगले वर्ष यात्रियों को बताना पड़ेगा कि ये दुकान किसकी है? ये तो अब एक नियंत्रण का खेल बन गया है।

Roshni Angom अगस्त 6 2024

कोर्ट का फैसला बहुत सही है... लेकिन अगर हम सोचें तो ये नीति बनाने वालों का भी एक अर्थ था... लेकिन अर्थ के लिए गलत तरीका अपनाना बुरा है। अगर वो दुकानों की गुणवत्ता की जानकारी देते तो बहुत बेहतर होता... अब तो देखते हैं कि कैसे नया तरीका बनता है।

vicky palani अगस्त 7 2024

ये सब बहुत अच्छा लग रहा है... लेकिन अगर ये फैसला बाद में उलट दिया गया तो? क्या आप विश्वास करते हैं कि ये सरकार इस फैसले को समझेगी? ये तो बस एक नाटक है... जब तक लोग चुप रहेंगे, तब तक ये चलता रहेगा।

jijo joseph अगस्त 8 2024

इस मामले में एक गैर-संवैधानिक निर्णय के विरुद्ध एक वैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इसके अलावा, एक असंगठित व्यापारिक समुदाय के लिए एक अनियंत्रित नियम के तहत एक नियमित निर्णय की आवश्यकता थी।

Manvika Gupta अगस्त 9 2024

मुझे नहीं पता कि इसका क्या मतलब है... लेकिन अगर ये नामपटल नहीं होगा तो फिर क्या होगा? मुझे डर लग रहा है...

leo kaesar अगस्त 11 2024

अब तो बस ये देखोगे कि योगी कितना जल्दी इस फैसले को उलट देता है। ये लोग तो कभी नहीं मानते।

Ajay Chauhan अगस्त 12 2024

ये सब बहुत बड़ा मुद्दा बना रखा है... लेकिन असल में कौन फिर इसकी परवाह करता है? बस एक नामपटल... अब तो बस देखते हैं कि कौन बाहर आएगा और इसे बड़ा बनाएगा।

Taran Arora अगस्त 13 2024

ये फैसला बहुत अच्छा है। ये देश की विविधता को समझता है। एक दुकानदार को अपना नाम लिखने की जरूरत नहीं है... उसकी गुणवत्ता ही उसकी पहचान है। ये तो हमारी संस्कृति है।

Atul Panchal अगस्त 15 2024

कोर्ट का ये फैसला देश के लिए एक बड़ी जीत है। ये नामपटल का मुद्दा बस एक छोटा उदाहरण है... असल में ये सरकार ने एक असंवैधानिक नियम बनाने की कोशिश की थी। अब तो ये फैसला सबके लिए एक दृष्टांत बन गया है।

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