विश्व संगीत दिवस पर एक लेखक की यात्रा: संगीत की चुनौतियों पर विजय

विश्व संगीत दिवस पर एक लेखक की यात्रा: संगीत की चुनौतियों पर विजय
Shubhi Bajoria 21 जून 2024 9 टिप्पणि

प्रस्तावना

विश्व संगीत दिवस पर, मैं अपनी संगीत यात्रा पर सोच रहा हूँ। बचपन से ही संगीत मेरे घर के माहौल का बड़ा हिस्सा रहा है, लेकिन मैं कभी इसमें सफल नहीं हो पाया। मेरे लिए संगीत हमेशा से एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र रहा है, जिसमें न तो मैं तालमेल बिठा पाया और न ही सुर। यह अनुभव मेरा आत्मविश्वास हिला देने वाला था, खासकर जब मेरे चारों ओर सभी संगीत में निपुण थे।

बचपन का संघर्ष

बचपन का संघर्ष

मेरे बचपन की शुरुआत संगीत से ही हुई। मेरी मां एक सशक्त गायिका थीं और पापा तबला बजाने में माहिर थे। रविवार की सुबह हमारे घर में रियाज़ का समय होता था, जब मां अपने सुर में गाना गाती थीं और पापा तबला पर ताल देते थे। ऐसे माहौल में बड़ा होना, एक अनोखा अनुभव था, लेकिन मैंने कभी संगीत के प्रति अपनी रुचि महसूस नहीं की।

पियानो की कक्षाएं

मेरे माता-पिता ने मुझे पियानो की कक्षाओं में दाखिल कराया, यह सोचकर कि शायद मुझे भी उनके जैसा बनने का मौक़ा मिलेगा। कक्षाएं शुरू' हुईं, लेकिन मेरे लिए हर दिन स्कूल के बाद पियानो की कक्षा जाना एक संघर्ष बन गया। धीरे-धीरे, यह मेरे लिए एक बोझिल कर्यकलाप बन गया, जिसमें मैं केवल असफलताएं ही देख पा रहा था।

स्वयं की तलाश

स्वयं की तलाश

जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ी, मेरी संगीत चिंता भी बढ़ती गई। कॉलेज में, जब दूसरे विद्यार्थी अपने दोस्तों के साथ गिटार या बांसुरी बजाते थे, मैं उनसे दुरी रखने में ही अपनी भलाई समझता। आत्म-सन्देह का भय इतना प्रबल हो गया था कि मैंने हमेशा यह सोचा की लोग मुझे जज करेंगे।

समझदारी और स्वीकृति

मेरे इस आत्म-सन्देह के बीच, एक महत्वपूर्ण बात मुझे समझ में आई। एक दिन, मैंने खुद से यह सवाल पूछा कि क्या मैं सच में संगीत में निपुण होना चाहता हूँ या यह केवल समाजिक दबाव है? यह समझ पाना कि मेरी खुद की रुचियां और क्षमताएं अलग हैं, मुझे आत्म-दृढ़ता देने में मददगार साबित हुआ।

नई राह

नई राह

मेरे इस आत्म-साक्षात्कार के बाद मैंने संगीत से भरे अपने जीवन को एक नयी दिशा दी। मैंने अपने आप से कहना शुरू किया कि संगीत मेरे लिए नहीं है, और यह भी ठीक है। मुझे लेखन और पत्रकारिता में रुचि थी, इसलिए मैंने उस दिशा में अपना ध्यान केंद्रित किया और उसे अपना करियर बनाया।

समापन

आज, जब बहुत सारे लोग संगीत का आनंद लेते हैं और उसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं, मैं अपनी कलम के माध्यम से दुनिया से जुड़ता हूँ। मैंने समझा कि आत्म-साक्षात्कार और आत्म-स्वीकृति ही सबसे बड़ी ताकत हैं। हर किसी के पास अलग-अलग क्षमताएं और रूचियां होती हैं, और यही चीज़ इंसान को अनूठा बनाती हैं।

इस विश्व संगीत दिवस पर, मैं यही संदेश देना चाहूंगी कि अपनी कमियों को स्वीकार करना और अपनी ताकतों को पहचानना भी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

9 टिप्पणि
manivannan R जून 23 2024

bro, ye toh main bhi feel kiya tha... piano ke baad se maine har instrument se doori banayi thi. ab main bhi coding kar raha hoon, aur haan, music ki jagah code ki rhythm bhi acchi hoti hai 😅

sonu verma जून 24 2024

yeh toh bahut sahi baat hai... kabhi-kabhi apne aap ko accept karna hi sabse badi jeet hoti hai. maine bhi apne aap ko music ke liye nahi samjha, lekin drawing mein apna space banaya. sabke liye alag-alag raah hoti hai.

chayan segupta जून 26 2024

🔥 YEH TOH BAHUT POWERFUL HAI! Tumne jo likha hai, woh sirf ek story nahi, ek movement hai. Har koi apni chhoti chhoti jagah pe apni pehchaan banata hai. Keep writing, bro!

Uday Rau जून 28 2024

इस लेख को पढ़कर मुझे भारतीय संस्कृति के बारे में एक नया दृष्टिकोण मिला। हम सब बचपन से ही किसी न किसी के आदर्श के आगे झुक जाते हैं - गायक, डॉक्टर, इंजीनियर - लेकिन जब कोई अपनी आत्मा की आवाज़ सुनता है, तो वही सच्ची सफलता है। आपकी कलम आपकी आत्मा की आवाज़ है।

Vikky Kumar जून 28 2024

The psychological implications of familial pressure on artistic expression are profound. One cannot overlook the socio-cultural hegemony embedded in the expectation of multi-instrumental proficiency as a metric of personal worth. The author's trajectory exemplifies a paradigmatic shift from external validation to internal epistemology - a rare and commendable act of ontological autonomy.

praful akbari जून 28 2024

संगीत नहीं, लेखन है तो भी बहुत अच्छा है। क्योंकि आवाज़ का एक अलग रूप है - शब्दों का।

King Singh जून 29 2024

मैंने भी बचपन में बांसुरी सीखने की कोशिश की थी... लेकिन एक दिन बस रुक गया। अब मैं गाने सुनता हूँ, बस। और वो भी बहुत खुशी से।

Siddharth Varma जुलाई 1 2024

wait so u mean u never liked music or u just hated the pressure? i ask bc i feel the same but i still hum tunes when alone lol

Dev pitta जुलाई 1 2024

जब तक तुम खुद को ठीक महसूस कर रहे हो, तब तक दूसरे क्या सोचते हैं, उसकी कोई बात नहीं। तुम्हारी कलम तुम्हारी आवाज़ है। बहुत अच्छा लिखा है।

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