अगर आपने कभी वैशाख पूर्णिमा का नाम सुना है तो सोचते होंगे कि ये कौन सा त्यौहार है और कब मनाते हैं। सरल शब्दों में कहें तो यह वसंत ऋतु के प्रवेश को दर्शाने वाला एक बड़ा दिन है, जब सूर्य उत्तरायण करता है और धरती पर दिन बड़े होते जाते हैं। इस कारण से लोग इसे ख़ुशी‑ख़ुशी मनाते हैं.
पुराणों में कहा गया है कि वैष्णव राजा हरिश्चन्द्र ने अपने राज को बचाने के लिये यह दिन विशेष रूप से पूजा किया था। बाद में इस दिन पर सूर्य देव की आराधना और अन्नकुंडली (अग्नि) जलाना शुरू हुआ। आजकल इसे ‘हिंदू कैलेंडर’ में बैसाखी या बसंत पंचमी भी कहा जाता है, लेकिन वैशाख पूर्णिमा का अपना अलग महत्व है – यह सूर्य के उत्तरायण की शुरुआत दर्शाता है और कृषि कार्यों के लिये शुभ माना जाता है.
सबसे पहले आप सुबह उठते ही स्नान कर साफ‑सुथरे कपड़े पहनें। फिर घर की सफ़ाई करें, विशेषकर पूजा स्थल को धूली या हवन कुंड के आसपास. एक छोटी सी घी‑दीप जलाएँ और सूर्य देवता को अर्पित करने के लिये चन्दन, कस्तूरी और फूल रखें. मुख्य बात यह है कि सूरज का प्रकाश सीधे घर में आए; इसलिए खिड़कियों को खोलकर धूप को अंदर आने दें.
भोजन में अक्सर ‘केसरिया हलवा’, ‘गुझिया’ या ‘आलू के पराठे’ बनाते हैं। ये पकवान सूर्य की ऊर्जा को दर्शाते हैं – पीले‑सुनहरी रंग वाले. बच्चों को पतंग उड़ाने का भी बड़ा शौक होता है, तो यदि आपके पास खुला मैदान है तो पतंग उड़ा सकते हैं; यह वैशाख पूर्णिमा के साथ जुड़े ‘उत्थान’ प्रतीक को दिखाता है.
अगर आप चाहते हैं कि इस दिन की पूजा अधिक प्रभावी रहे तो कुछ आसान मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं – जैसे ‘ॐ सूर्याय नमः’। इसे दो‑तीन बार उच्चारित करने से मन शांत रहता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. साथ ही, दान‑धर्म भी महत्वपूर्ण है; जरूरतमंद को खाने‑पीने की चीज़ें देने से आपका पुण्य बड़ता है.
सारांश में कहें तो वैशाख पूर्णिमा सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि प्रकृति के बदलाव और जीवन में नई ऊर्जा लाने का अवसर है. इस दिन सूर्य की रोशनी को अपने घर में बुलाएँ, सरल पूजा‑पाठ करें और खुशियों भरे भोजन से आत्मा को पोषण दें. ऐसा करने से न केवल आप त्यौहार का असली अर्थ समझेंगे बल्कि मन भी हल्का होगा.
गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की खुशी में बौद्ध समुदाय 23 मई 2024, गुरुवार को बुद्ध पूर्णिमा मनाएगा। हिंदू कैलेंडर में यह दिन वैशाख पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने और विशेष पूजा अनुष्ठान करने का विधान है।