बुद्ध पूर्णिमा 2024: 22 या 23 मई? वैशाख पूर्णिमा व्रत तिथि, विधि और महत्व जानें

बुद्ध पूर्णिमा 2024: 22 या 23 मई? वैशाख पूर्णिमा व्रत तिथि, विधि और महत्व जानें
Shubhi Bajoria 21 मई 2024 9 टिप्पणि

प्रत्येक वर्ष वैशाख पूर्णिमा के शुभ अवसर पर दुनिया भर के बौद्ध धर्मावलंबी गौतम बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं का जश्न मनाते हैं। यह दिन बुद्ध के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं - उनका जन्म, ज्ञान प्राप्ति (निर्वाण) और महापरिनिर्वाण को चिह्नित करता है। 2024 में बुद्ध पूर्णिमा 23 मई, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व बौद्ध समुदाय से परे है, क्योंकि यह हिंदू कैलेंडर में वैशाख पूर्णिमा के साथ मेल खाता है। यह पूर्णिमा का दिन हिंदुओं के लिए भी धार्मिक महत्व रखता है, जिनमें से कई व्रत रखते हैं और विशिष्ट अनुष्ठान करते हैं।

बुद्ध पूर्णिमा 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त:

  • पूर्णिमा तिथि - गुरुवार, 23 मई 2024
  • पूर्णिमा तिथि आरंभ - 22 मई 2024 को शाम 6:47 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त - 23 मई 2024 को शाम 7:22 बजे
  • स्नान-दान का शुभ समय - 23 मई 2024 को सुबह 4:04 बजे से 5:26 बजे तक

बुद्ध पूर्णिमा पर क्या करें:

बौद्ध धर्मावलंबी बुद्ध पूर्णिमा को विभिन्न तरीकों से मनाते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. मंदिर दर्शन: लोग बौद्ध मंदिरों और विहारों में जाकर बुद्ध की मूर्ति या पादुका (पैर के निशान) की पूजा करते हैं।
  2. दान और परोपकार के कार्य: इस दिन दान देना, जरूरतमंदों की मदद करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह बुद्ध की करुणा के संदेश को दर्शाता है।
  3. सजावट और उत्सव: घरों, मंदिरों को सजाया जाता है और कई जगहों पर उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

हिंदू परंपरा में वैशाख पूर्णिमा:

हिंदू धर्म में भी वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने की परंपरा है। कई हिंदू देवी-देवताओं की पूजा के लिए भी यह दिन शुभ माना जाता है।

इस दिन दान-पुण्य करना, गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने का विधान है। स्नान करके प्रातः काल सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही व्रत रखकर भगवान विष्णु और बुद्ध की विशेष पूजा की जाती है।

बुद्ध के प्रमुख उपदेश:

धार्मिक परंपराओं से परे, बुद्ध पूर्णिमा हमें बुद्ध की मूल शिक्षाओं - शांति, करुणा और प्रज्ञा की याद दिलाता है। यह आत्म-चिंतन, व्यक्तिगत विकास और उन सिद्धांतों को अपनाने का समय है जो एक अधिक प्रबुद्ध जीवन की ओर ले जाते हैं।

बुद्ध ने अपने उपदेशों के माध्यम से मानव जीवन के मूल सत्यों और दुखों से मुक्ति पाने के मार्ग को समझाया। उनके प्रमुख शिक्षाओं में शामिल हैं:

  • चार आर्य सत्य: दुख का सत्य, दुख के कारण का सत्य, दुख के निरोध का सत्य, और दुख निरोध के मार्ग का सत्य (अष्टांगिक मार्ग)
  • अष्टांगिक मार्ग: सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्मांत, सम्यक आजीविका, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि
  • मध्यम मार्ग: अतिवाद और अल्पवाद से बचना, जीवन में संतुलन बनाए रखना

बुद्ध की ये शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं। बुद्ध पूर्णिमा का दिन हमें इन मूल्यों का पालन करने और एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है।

तो आइए, इस बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर हम सभी बुद्ध के संदेशों पर चिंतन करें और उनके बताए मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बनाने का संकल्प लें। सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!

9 टिप्पणि
MANOJ PAWAR मई 21 2024

बुद्ध पूर्णिमा का ये संगम हिंदू और बौद्ध परंपराओं के बीच अद्भुत है। मैं हर साल इस दिन सुबह नदी किनारे जाता हूँ, एक फूल डालता हूँ, और शांति से बैठ जाता हूँ। कोई न बोले, कोई न छलके - बस श्वास और शांति।

Pooja Tyagi मई 22 2024

अरे भईया! ये सिर्फ एक तिथि नहीं है - ये एक जीवन जीने का तरीका है! बुद्ध ने जो बताया, वो आज भी सबसे ज्यादा काम आता है! आप भी आज से ही अष्टांगिक मार्ग पर चलना शुरू कर दीजिए! आपकी जिंदगी बदल जाएगी! जय बुद्ध! 🙏🙏🙏

Kulraj Pooni मई 23 2024

ये सब बकवास है। बुद्ध क्या जानते थे? उन्होंने तो दुख को भागने का रास्ता बताया, न कि उसे समझने का। और अब हम इसे धर्म बना रहे हैं? बुद्ध तो धर्म के खिलाफ थे! तुम सब बस रिट्यूर्न ऑन इंवेस्टमेंट ढूंढ रहे हो - दान देकर कर्म का बदला लेने की चाहत! ये तो अंधविश्वास है।

Hemant Saini मई 25 2024

मैंने पिछले साल बुद्ध पूर्णिमा पर एक छोटा सा व्रत रखा - एक दिन बिना फोन के। असल में, ये बहुत ज्यादा बदल गया। मैंने अपने दिमाग को पहली बार सुना। बुद्ध की बात असल में यही है - अपने भीतर जाना। जब आप बाहर की शोर बंद कर देते हैं, तो शांति खुद आ जाती है।

Nabamita Das मई 26 2024

स्नान-दान का शुभ समय 4:04 से 5:26 तक? ये कौन बनाया? ये टाइमिंग तो ज्योतिषी ने बनाई है, बुद्ध ने नहीं! बुद्ध ने कहा था - 'अप्प दीपो भव' - अपना दीप बनो। अगर आपको देवताओं के लिए अर्घ्य देना है, तो वो तो भगवान विष्णु की बात है - बुद्ध ने तो ईश्वर को नकारा है!

chirag chhatbar मई 27 2024

बुद्ध तो बस एक आदमी था, ना कि भगवान। उसकी बात सुनो, लेकिन उसके लिए मंदिर ना बनाओ। मैंने एक बार लखनऊ में एक बौद्ध विहार देखा - वहां तो मूर्ति के सामने दीपक जल रहे थे! ये तो हिंदू बन गए! बुद्ध को तो ये देखकर उल्टा निर्वाण हो जाता!

Aman Sharma मई 28 2024

23 मई? नहीं। ये गलत है। बुद्ध पूर्णिमा 22 मई को होनी चाहिए। वैशाख पूर्णिमा का असली समय जब चंद्रमा पूर्ण हुआ, वो था 22 मई को शाम को। ये 23 मई वाली तिथि तो अधिकारियों की बनाई हुई रिपोर्ट है। आप लोग बस गूगल पर टाइप कर लेते हैं - और फिर धर्म का नाम लेते हैं।

sunil kumar मई 28 2024

अगर आप अपने जीवन में अष्टांगिक मार्ग को अपनाना चाहते हैं - तो ये बुद्ध पूर्णिमा आपके लिए एक स्टार्टिंग पॉइंट है! शुरुआत करें - आज से सम्यक वाणी पर फोकस करें! बिना झूठ के बोलें! बिना गाली दिए बात करें! बिना जजमेंट के सुनें! ये एक लाइफ-चेंजर है! आपको इसकी जरूरत है! आप इसे डिस्कवर कर चुके हैं - अब एक्शन लें! जय बुद्ध! 🚀

Arun Kumar मई 30 2024

तुम सब बुद्ध के बारे में बात कर रहे हो, लेकिन क्या तुमने उनकी चार आर्य सत्य को समझा? दुख है - तुम इसे नहीं मानते। दुख का कारण है - तुम अपने इच्छाओं को छिपाते हो। दुख का निरोध है - तुम अभी भी सोच रहे हो कि दान देने से दुख जाएगा। और मार्ग? तुम तो फोन पर बुद्ध पूर्णिमा की डिस्क्रिप्शन पढ़ रहे हो। असली बुद्ध तुम्हारे भीतर है - अगर तुम उसे ढूंढने की कोशिश करो।

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