इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया ने बिहार में सभी सरकारी अधिकारियों की ट्रांसफर‑पोस्टिंग प्रक्रिया को 6 अक्टूबर तक पूर्ण करने का निर्देश दिया है। यह कदम आगामी 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारियों को तेज करने के लिए उठाया गया है। डेडलाइन के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ग्यानेश कुमार बिहार की यात्रा करेंगे, जहाँ वे राज्य की चुनाव‑तैयारी की बारीकी से समीक्षा करेंगे।
तारीख़ें, चरण और तैयारी
ऑफ़िशियल घोषणा के बाद, बिहार विधानसभा चुनाव की तिथियों की आधिकारिक घोषणा 6 अक्टूबर के बाद की जाएगी। अनेक स्रोतों ने संकेत दिया है कि यह घोषणा लगभग 4 अक्टूबर को भी हो सकती है, जिससे पार्टी‑जुड़ावों को अभियान‑शुरू करने का समय मिल सकेगा। चुनाव का शेड्यूल मुख्य रूप से दो प्रमुख त्योहार‑सीजन—छठ पूजा और दीपावली—के आसपास केंद्रित रहेगा, जो 18 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक चलेंगे। इन तिथियों को ध्यान में रखते हुए मतदान अक्सर नवंबर के पहले दो हफ्तों में दो‑तीन चरणों में बँटा जाएगा।
- पहला चरण: 3‑9 नवंबर
- दूसरा चरण: 10‑16 नवंबर
- तीसरा चरण (यदि आवश्यक हो): 17‑23 नवंबर
वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर, 2025 को समाप्त हो रहा है, इसलिए नया विधानसभा इस तिथि से पहले ही गठित हो जाना अनिवार्य है। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (MCC) की घोषणा तिथि के साथ ही लागू हो जाएगी, जिससे सभी सरकारी स्थानांतरण, नई योजनाओं की शुरुआत और प्रचार‑भवन पर रोक लग जाएगी। इस दिशा‑निर्देश का पालन सुनिश्चित करने के लिये बिहार के मुख्य सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों को अक्टूबर 6 तक सभी प्रशासनिक तैयारियों को पूरा करने का आदेश दिया गया है।

मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता
इस चुनाव में वर्तमान में केंद्र‑शासित भाजपा‑जदयू गठबंधन का सामना महागठबंधन (महागथबंध) से होगा, जिसमें कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और अन्य छोटे दल शामिल हैं। 243 विधानसभा सीटों पर लड़ाई होगी, और दोनों पक्षों ने अपनी‑अपनी रणनीतियों को पहले ही तैयार करना शुरू कर दिया है। भाजपा‑जदयू के पास पिछले दो वर्षों में विकास‑कार्य और सामाजिक कल्याण योजनाओं की उपलब्धियों को दिखाने का अवसर है, जबकि महागठबंधन अपने लोकल मुद्दों और प्रतिवादी सरकार की नीतियों को बारीकी से उजागर करना चाह रहा है।
इस बार मतदान का माहौल विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह बिहार की राजनीति में फिर से संतुलन बदल सकता है। चुनाव आयोग, दोनों पक्षों और मतदाताओं के लिए यह अवधि संवेदनशील होगी, जहाँ प्रत्येक कदम का असर भविष्य की नीति‑निर्धारण पर पड़ेगा।