अगर आप संगीत के शौकीन हैं तो शायद आपने "संगीत दिवस" का नाम सुना होगा। यह दिन हर साल दुनिया भर में धुनों, तालों और गीतों को सलाम करने के लिए रखा गया है। यहाँ हम बताएँगे कि यह दिन कब शुरू हुआ, क्यों महत्वपूर्ण है और आप इसे घर या बाहर कैसे एंजॉय कर सकते हैं। पढ़ते रहिए, आपके अगले संगीत‑दिन की योजना बन जाएगी।
संगीत दिवस पहली बार 21 जून को मनाया गया था, जब यूनेस्को ने विश्व संगीत विरासत को संरक्षित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय अभियान शुरू किया। तब से हर साल इस दिन पर विभिन्न देशों में कॉन्सर्ट, वर्कशॉप और स्कूल प्रोजेक्ट्स होते हैं। उद्देश्य सरल है – लोगों को संगीत की ताकत दिखाना और स्थानीय कलाकारों को मंच देना। भारत में भी कई शैक्षणिक संस्थान और सांस्कृतिक संगठनों ने इसे अपनाया है, जिससे बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको भाग लेने का मौका मिलता है।
आप घर पर छोटे‑छोटे कदम उठा सकते हैं: परिवार के साथ गाना सुनें, कोई नया राग सीखें या अपने बच्चे को संगीत वाद्ययंत्र आज़माने का मौका दें। अगर बाहर जाना चाहते हैं तो शहर में हो रहे लाइव इवेंट्स की जानकारी स्थानीय समाचार साइट या सोशल मीडिया से ले लीजिए। कई बार मुफ्त कंसर्ट होते हैं, जहाँ आप बिना टिकट के भी माहौल महसूस कर सकते हैं।
एक और मज़ेदार आइडिया है ‘प्लेलिस्ट बनाना’। अपने पसंदीदा बॉलीवुड गीत, क्लासिकल राग या इंडी बैंड्स को एक सूची में जोड़ें और पूरे दिन उस प्लेलिस्ट को सुनते रहें। इससे न सिर्फ आपका मूड बेहतर रहेगा बल्कि नए कलाकारों की पहचान भी होगी।
अगर आप थोड़ा क्रिएटिव महसूस कर रहे हैं तो अपने फोन पर ‘रिकॉर्डिंग एप’ खोलें और खुद गाकर या बजा कर रिकॉर्ड करें। इसे दोस्तों के साथ शेयर करने से आपके रिश्ते में भी नया जुड़ाव आएगा। कई बार ऐसे छोटे‑छोटे वीडियो ऑनलाइन वायरल होते हैं, जिससे आपको एक छोटा स्फूरत मिल सकता है।
संगीत दिवस को खास बनाने का सबसे आसान तरीका है – खुद को रुकावटों से मुक्त रखें। काम के बीच में थोड़ी देर ब्रेक लेकर गाने सुनें या धुन पर थिरकें। इससे तनाव कम होता है और दिमाग ताज़ा हो जाता है। याद रखिए, संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक उपचार भी है।
अंत में यह कहा जा सकता है कि संगीत दिवस हर किसी को अपने अंदर के कलाकार से जोड़ता है। चाहे आप गायक हों, वाद्ययंत्र बजाते हों या बस श्रोता – इस दिन का मज़ा लेना आसान है। तो अगली बार जब 21 जून आए, तो एक प्लान बनाइए और धुनों में डूब जाइए!
विश्व संगीत दिवस पर एक कोलकाता लेखक अपनी व्यक्तिगत संगीत यात्रा और उससे जुड़ी चुनौतियों पर विचार करते हैं। लेख में वे बताते हैं कि संगीत उनके जीवन का अहम हिस्सा होने के बावजूद वे इसे कभी अच्छे से नहीं निभा पाए। उनके अनुभव आत्म-सन्देह और समाजिक जजमेंट के भय से भरपूर हैं, जो यह याद दिलाते हैं कि अपनी कमियों को स्वीकार करना भी एक प्रकार की ताकत हो सकती है।