अगर आप भारतीय त्यौहारों में रूचि रखते हैं तो ममेरु समारोह आपके लिए नया नहीं होना चाहिए। यह त्योहार मुख्यतः उत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों में मनाया जाता है और इसका उद्देश्य परिवार, खेती‑बाड़ी और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देना है।
समारोह का नाम दो शब्दों से बना है – “ममे” जिसका मतलब मातृभूमि या धरती और “रु” जो उत्सव को दर्शाता है। इस तरह ममेरु समारोह का मूल भाव ‘धरती की पूजा’ कहलाता है। लोग इसे अक्सर फसल कटाई के बाद, मौसम बदलने से पहले मनाते हैं।
प्राचीन ग्रंथों में इस त्यौहार का उल्लेख मिलता है जहाँ कहा गया है कि किसान अपने खेत की पहली फसल को देवी‑देवताओं को अर्पित करते थे। समय के साथ यह रिवाज गांव‑समुदाय में एक बड़ा सामाजिक कार्यक्रम बन गया। अब सिर्फ कृषि नहीं, बल्कि स्कूल‑कॉलेजन के छात्र, स्थानीय कलाकार और छोटे‑बड़े सभी लोग इसमें भाग लेते हैं।
मुख्य आकर्षण होते हैं – रंगीन पिचकारियां, लोक नृत्य, पारंपरिक गाने और मिट्टी की थालियों में पकाए गए व्यंजन। इन सबके पीछे एक ही बात होती है – मिलजुल कर खुश रहना। इस कारण से ममेरु समारोह को सामाजिक बंधन मजबूत करने वाला माना जाता है।
आजकल सोशल मीडिया के ज़रिए लोग अपने गांव की झलक दूर‑दूर तक पहुँचाते हैं। कई शहरों ने भी इस छोटे से ग्रामीण उत्सव को अपनाया और बड़े मंच पर पेश किया। स्कूलों में बच्चों को इस त्यौहार के बारे में पढ़ाया जाता है ताकि उनका सांस्कृतिक जड़ें मजबूत रहें।
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आप भी अगर ममेरु समारोह में भाग लेना चाहते हैं तो निकटतम पंचायत या स्थानीय समाचार पत्र से तारीख़ और समय की पुष्टि कर लें। यह त्यौहार न सिर्फ आपके मन को शांति देगा, बल्कि आपको अपनी जड़ों से जोड़े रखेगा।
अंत में, याद रखें—ममेरु समारोह केवल एक कार्यक्रम नहीं, यह हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है। इसे समझें, मानें और शेयर करें ताकि आने वाली पीढ़ियों तक ये परम्परा जीवित रहे।
अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी का समारोह ममेरु रस्म से मुंबई स्थित उनके घर अंतिलिया में शुरू हुआ। यह पारंपरिक गुजराती रस्म है जिसमें दुल्हन के मामा उसे उपहार देते हैं। समारोह में अंबानी परिवार के सदस्य शामिल हुए।