प्रिती सूदन: नई यूपीएससी प्रमुख और उनके इतने वर्षों के अनुभव की कहानी

प्रिती सूदन: नई यूपीएससी प्रमुख और उनके इतने वर्षों के अनुभव की कहानी
Shubhi Bajoria 31 जुलाई 2024 17 टिप्पणि

प्रिती सूदन का परिचय

प्रिती सूदन, एक ऐसी महिला जिनकी जीवनी प्रेरणादायक है, उन्होंने अपने 37 वर्षों के लंबे और प्रभावशाली करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 1983 बैच की अधिकारी हैं और आंध्र प्रदेश कैडर से संबंध रखती हैं। अब, उन्हें संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की नई अध्यक्ष नियुक्त किया गया है और वे 1 अगस्त 2024 से अपने पदभार ग्रहण करेंगी।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

प्रिती सूदन का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा का क्षेत्र भी अत्यंत प्रभावशाली है। उन्होंने अपने शैक्षिक जीवन की शुरुआत से ही कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ अनेकों उत्कृष्टता प्राप्त की। उनकी सार्वजनिक सेवा की यात्रा ने उन्हें कई महत्वपूर्ण मोड़ों पर लाया, जहां उन्होंने अपनी कड़ी संघर्षशीलता और उच्च नैतिकता का परिचय दिया।

स्वास्थ्य मंत्रालय में योगदान

प्रिती सूदन 2017 से जुलाई 2020 तक केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के पद पर रहीं। इस दौरान उन्होंने भारत के COVID-19 महामारी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई जिम्मेदारियों का निर्वहन किया, जिनमें महामारी नियंत्रण, वैक्सीन निर्माण, और स्वास्थ्य सेवाओं की सुदृढ़ता शामिल है।

अंतरराष्ट्रीय कार्य और अनुभव

प्रिती सूदन ने केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी योग्यता साबित की है। वह विश्व बैंक के साथ एक सलाहकार के रूप में कार्य कर चुकी हैं और उन्होंने कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में नेतृत्व के पद संभाले हैं। वह तम्बाकू नियंत्रण के फ्रेमवर्क कन्वेंशन की COP-8 की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं और मातृत्व, नवजात और बाल स्वास्थ्य के लिए साझेदारी की उपाध्यक्ष भी रही हैं। उनका यह अंतरराष्ट्रीय अनुभव इस नए पद पर भी उनके कार्य को और अधिक प्रभावी बनाएगा।

अन्य मंत्रालयों में भूमिका

अन्य मंत्रालयों में भूमिका

स्वास्थ्य विभाग के अलावा, प्रिती सूदन ने महिला और बाल विकास मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय में भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया है। इन विभागों में उनका कार्यकाल भी उतना ही सराहनीय रहा है। आंध्र प्रदेश में अपने गृह राज्य में उन्होंने वित्त, योजना, आपदा प्रबंधन, पर्यटन और कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाला है।

यूपीएससी के रूप में नई भूमिका

मनीष सोनी के इस्तीफे के बाद प्रिती सूदन का यूपीएससी के अध्यक्ष के रूप में चयन एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है। मनीष सोनी, जिन्होंने मई 2023 में पद ग्रहण किया था, ने पद शासन से संबंधित किसी भी विवाद के बिना इस्तीफा दिया। प्रिती सूदन अब 65 वर्ष की आयु तक, यानी अप्रैल 2025 तक इस पद पर रहेंगी।

उनकी नियुक्ति ने उन्हें आयोग की दूसरी महिला अध्यक्ष बना दिया है, इससे पहले 1996 में रोज मिलियन बाथेव खरबुली इस पद पर रही थीं। इस दृष्टिकोण से उनकी नियुक्ति एक प्रेरणा का स्रोत भी है।

नवीन सिविल सेवकों का चयन

यूपीएससी का अध्यक्ष बनना अपने आप में एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह संस्था भारतीय सिविल सेवकों के चयन की प्रक्रिया को जिम्मेदारीपूर्वक संभालती है। प्रिती सूदन की वर्षों की अनुभव और नेतृत्व क्षमता नए सिविल सेवकों के चयन में गुणात्मक सुधार लाने में सहायक होगी।

समापन और भविष्य दृष्टि

प्रिती सूदन की यह यात्रा केवल उनके व्यक्तिगत जीवन की सफलता ही नहीं, बल्कि भारतीय सरकारी प्रणाली में महिलाओं की भूमिका को भी दर्शाती है। उनकी नेतृत्व क्षमता और अनेक वर्षों का अनुभव निश्चय ही यूपीएससी के कार्य को अगले स्तर तक ले जाएगा। यह देखना अत्यंत रोचक होगा कि वे अपने इस नए पद पर किस प्रकार से शासकीय कार्यों में सुधार और नवीनता लाएंगी।

17 टिप्पणि
Abhinav Dang अगस्त 2 2024

प्रिती सूदन की नियुक्ति एक ऐतिहासिक क्षण है। 37 साल का अनुभव, स्वास्थ्य मंत्रालय में कोविड के दौरान नेतृत्व, विश्व बैंक के साथ काम - ये सब कुछ बस एक नाम नहीं, बल्कि एक संस्कृति का प्रतीक है। यूपीएससी में ऐसी व्यक्तित्व की जरूरत है जो ब्यूरोक्रेसी को बदल सके, न कि बस चलाए।

krishna poudel अगस्त 4 2024

अरे भाई ये सब तो बस प्रेस रिलीज का झंडा है। कितनी और महिलाएं इतने सालों तक सरकारी नौकरी में रहीं और अध्यक्ष नहीं बन पाईं? ये सिर्फ टीवी पर दिखाने के लिए बनाया गया नारा है।

Anila Kathi अगस्त 6 2024

मैं तो बस इतना कहूंगी कि ये बहुत बड़ी बात है 😊 एक महिला जो देश के सबसे कठिन परीक्षा की निगरानी करेगी? वाह! मेरी बहन भी IAS की तैयारी कर रही है - अब वो और भी ज्यादा हौसला पाएगी ❤️

vasanth kumar अगस्त 7 2024

देखो तो बहुत सारे लोग इसे एक सिंबल के तौर पर देख रहे हैं। पर असली बात ये है कि उनकी नीतिगत बुद्धिमत्ता कितनी गहरी है। तम्बाकू नियंत्रण से लेकर बाल स्वास्थ्य तक - ये सब एक जीवन भर की जुगाड़ है। बस इतना ही कहना है कि ये लोग अपने काम को जीते हैं।

Andalib Ansari अगस्त 7 2024

क्या हम वाकई इस बात को समझ पा रहे हैं कि यूपीएससी एक ऐसी संस्था है जो देश के भविष्य के नेताओं को चुनती है? प्रिती सूदन का अनुभव उस चयन प्रक्रिया में नैतिकता, न्याय और दूरदर्शिता का आधार बनेगा। ये बस एक नियुक्ति नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है।

Pooja Shree.k अगस्त 9 2024

बहुत अच्छा हुआ... बहुत अच्छा हुआ... बहुत अच्छा हुआ... ये बहुत बड़ी बात है... मैं बहुत खुश हूँ... बहुत खुश हूँ... बहुत खुश हूँ... ये नियुक्ति बहुत अच्छी है...

Vasudev Singh अगस्त 9 2024

आप लोगों को पता है कि एक आईएएस अधिकारी को कितने साल लगते हैं ताकि वो अपने करियर के शीर्ष पर पहुंचे? ये आदमी या औरत जो अपने राज्य में वित्त, योजना, आपदा प्रबंधन, पर्यटन, कृषि - सब कुछ संभालता है, और फिर देश के सबसे बड़े नियुक्ति निकाय की अध्यक्ष बनता है - ये कोई आम बात नहीं है। ये तो एक जीवन का समर्पण है। अब आप बताइए कि कौन ऐसा करेगा जिसे अपनी जिंदगी का एक भी दिन अपने आप को नहीं बचाना पड़े?

Akshay Srivastava अगस्त 10 2024

यह बहुत अच्छा है, लेकिन यह एक असली सुधार नहीं है। यूपीएससी में अभी भी राजनीतिक दबाव, अनियमितता और अंतर्गत भेदभाव का मुद्दा है। एक महिला अध्यक्ष बनने से ये समस्याएं खत्म नहीं हो जाएंगी। अगर वो वाकई बदलाव लाना चाहती हैं, तो उन्हें आयोग के अंदर के अंधेरे को उजागर करना होगा - और उनके पास ऐसा करने का नैतिक साहस है?

Amar Khan अगस्त 10 2024

बस एक बात... मैंने इसके बारे में एक लेख पढ़ा था... लेकिन अब मैं भूल गया... क्या वो एक बार बिहार में थीं? या उत्तर प्रदेश में? या फिर राजस्थान? मुझे याद नहीं... लेकिन वो बहुत बड़ी थीं... बहुत बड़ी... और अब यूपीएससी में हैं... अच्छा हुआ...

Roopa Shankar अगस्त 11 2024

मैं इस नियुक्ति को एक बहुत बड़ी जीत मानती हूँ - न केवल प्रिती सूदन के लिए, बल्कि हर उस लड़की के लिए जो अभी घर पर पढ़ रही है और सोच रही है कि क्या वो कभी ऐसा कर पाएगी। ये एक संदेश है: तुम नहीं तोड़ सकते, तुम बदल सकते हो।

shivesh mankar अगस्त 12 2024

मैं इस बात को समझता हूँ कि कई लोग इसे एक राजनीतिक चाल के रूप में देख रहे हैं। पर अगर आप उनके काम को देखें - वो जो एक जिले में बाढ़ के बाद बचाव योजना बनाती हैं, फिर विश्व स्तर पर तम्बाकू नियंत्रण के लिए बैठकों में भाग लेती हैं - तो ये कोई ट्रेंड नहीं, बल्कि एक जीवन भर की लगन है। इसे बस एक बैंडविड्थ के रूप में न देखें।

avi Abutbul अगस्त 13 2024

मैंने इस बारे में कुछ नहीं सुना था, लेकिन अब जब मैंने पढ़ा, तो बहुत अच्छा लगा। इन्होंने बहुत कुछ किया है। ये लोग ही देश के लिए वाकई काम करते हैं।

Hardik Shah अगस्त 14 2024

अरे ये सब बकवास है। इतना अनुभव? क्या वो जब भी गलती करती थीं, तो उनके ऊपर लोगों ने चिपक जाने का फैसला किया? यूपीएससी के लिए बस एक नाम चाहिए था, और वो एक महिला थी - इतना ही।

manisha karlupia अगस्त 16 2024

क्या कभी ये सोचा गया है कि इतने सालों तक ये लोग अकेले कैसे चले? बिना समर्थन के, बिना उत्साह के... क्या वो भी थक गई होंगी? क्या कभी कोई उन्हें बस एक चाय देने के लिए आया? मैं बस ये सोच रही हूँ...

vikram singh अगस्त 17 2024

ये तो जैसे कोई बॉलीवुड फिल्म हो - बिना गाने के, बिना ड्रामा के, बस एक औरत जो जीत गई। पर ये फिल्म असली है। ये वो औरत है जिसने अपने बैच के सभी लड़कों को पीछे छोड़ दिया - और अब वो उनके सामने खड़ी है। ये तो राजा बनने जैसा है।

balamurugan kcetmca अगस्त 18 2024

मैंने इस बारे में बहुत कुछ पढ़ा है। वो न सिर्फ एक अधिकारी हैं, बल्कि एक शिक्षक हैं। जब वो किसी नए अधिकारी को ट्रेन करती थीं, तो वो उन्हें सिर्फ नियम नहीं, बल्कि इंसानियत सिखाती थीं। मैं एक आईएएस कैंडिडेट हूँ, और अगर मैं एक दिन उनके सामने खड़ा हो सकूँ, तो मैं उन्हें बस एक बार धन्यवाद कहना चाहूंगा।

Abhinav Dang अगस्त 19 2024

अब ये सब बातें बहुत अच्छी हैं, पर एक बात जो मैं नहीं समझ पा रहा - जब तक यूपीएससी में नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव नहीं होगा, तब तक ये सब नारे ही रहेंगे। अगर एक महिला अध्यक्ष बन गईं, तो क्या अब नियुक्ति के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ेगी? या फिर वो भी अभी भी उसी अंधेरे में रहेंगी जहाँ से वो निकलने की कोशिश कर रही हैं?

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