प्रिती सूदन, एक ऐसी महिला जिनकी जीवनी प्रेरणादायक है, उन्होंने अपने 37 वर्षों के लंबे और प्रभावशाली करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 1983 बैच की अधिकारी हैं और आंध्र प्रदेश कैडर से संबंध रखती हैं। अब, उन्हें संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की नई अध्यक्ष नियुक्त किया गया है और वे 1 अगस्त 2024 से अपने पदभार ग्रहण करेंगी।
प्रिती सूदन का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा का क्षेत्र भी अत्यंत प्रभावशाली है। उन्होंने अपने शैक्षिक जीवन की शुरुआत से ही कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ अनेकों उत्कृष्टता प्राप्त की। उनकी सार्वजनिक सेवा की यात्रा ने उन्हें कई महत्वपूर्ण मोड़ों पर लाया, जहां उन्होंने अपनी कड़ी संघर्षशीलता और उच्च नैतिकता का परिचय दिया।
प्रिती सूदन 2017 से जुलाई 2020 तक केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के पद पर रहीं। इस दौरान उन्होंने भारत के COVID-19 महामारी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई जिम्मेदारियों का निर्वहन किया, जिनमें महामारी नियंत्रण, वैक्सीन निर्माण, और स्वास्थ्य सेवाओं की सुदृढ़ता शामिल है।
प्रिती सूदन ने केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी योग्यता साबित की है। वह विश्व बैंक के साथ एक सलाहकार के रूप में कार्य कर चुकी हैं और उन्होंने कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में नेतृत्व के पद संभाले हैं। वह तम्बाकू नियंत्रण के फ्रेमवर्क कन्वेंशन की COP-8 की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं और मातृत्व, नवजात और बाल स्वास्थ्य के लिए साझेदारी की उपाध्यक्ष भी रही हैं। उनका यह अंतरराष्ट्रीय अनुभव इस नए पद पर भी उनके कार्य को और अधिक प्रभावी बनाएगा।
स्वास्थ्य विभाग के अलावा, प्रिती सूदन ने महिला और बाल विकास मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय में भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया है। इन विभागों में उनका कार्यकाल भी उतना ही सराहनीय रहा है। आंध्र प्रदेश में अपने गृह राज्य में उन्होंने वित्त, योजना, आपदा प्रबंधन, पर्यटन और कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाला है।
मनीष सोनी के इस्तीफे के बाद प्रिती सूदन का यूपीएससी के अध्यक्ष के रूप में चयन एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है। मनीष सोनी, जिन्होंने मई 2023 में पद ग्रहण किया था, ने पद शासन से संबंधित किसी भी विवाद के बिना इस्तीफा दिया। प्रिती सूदन अब 65 वर्ष की आयु तक, यानी अप्रैल 2025 तक इस पद पर रहेंगी।
उनकी नियुक्ति ने उन्हें आयोग की दूसरी महिला अध्यक्ष बना दिया है, इससे पहले 1996 में रोज मिलियन बाथेव खरबुली इस पद पर रही थीं। इस दृष्टिकोण से उनकी नियुक्ति एक प्रेरणा का स्रोत भी है।
यूपीएससी का अध्यक्ष बनना अपने आप में एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह संस्था भारतीय सिविल सेवकों के चयन की प्रक्रिया को जिम्मेदारीपूर्वक संभालती है। प्रिती सूदन की वर्षों की अनुभव और नेतृत्व क्षमता नए सिविल सेवकों के चयन में गुणात्मक सुधार लाने में सहायक होगी।
प्रिती सूदन की यह यात्रा केवल उनके व्यक्तिगत जीवन की सफलता ही नहीं, बल्कि भारतीय सरकारी प्रणाली में महिलाओं की भूमिका को भी दर्शाती है। उनकी नेतृत्व क्षमता और अनेक वर्षों का अनुभव निश्चय ही यूपीएससी के कार्य को अगले स्तर तक ले जाएगा। यह देखना अत्यंत रोचक होगा कि वे अपने इस नए पद पर किस प्रकार से शासकीय कार्यों में सुधार और नवीनता लाएंगी।