जब हम जलभराव, अधिकांश हिस्सों में तेज़ बारिश या नदी के स्तर में अचानक वृद्धि के कारण उत्पन्न होने वाली जल आपदा है. Also known as बाढ़, it disrupts daily life, damages property, और अक्सर आर्थिक तथा सामाजिक नुकसान लाता है। इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि जलभराव एक जटिल घटना है जो कई घटकों के संयोजन से बनती है।
पहला महत्वपूर्ण घटक है मानसून, भारत में जून से सितम्बर तक जारी तीव्र वर्षा प्रणाली. मानसून के दौरान तालाब, नदी और जलाशयों का जल स्तर तेज़ी से बढ़ता है, जिससे ओवरफ्लो की संभावना बढ़ जाती है। दूसरा घटक है नदी, भौगोलिक प्रणाली जो बड़े पैमाने पर पानी को एकत्रित कर समुद्र या झील में ले जाती है. जब बारिश का पानी नदी में मिल जाता है, तो नदी की धाराएँ अपनी अधिकतम क्षमता से बाहर धकेल देती हैं और बैंडरोल बन जाता है। तीसरा प्रमुख घटक है शहरी जल निकासी, शहर में पानी को सड़क, नाली और नालों के माध्यम से बाहर ले जाने की प्रणाली. आज के कई शहरों में पुरानी या अपर्याप्त निकासी व्यवस्था, कंक्रीट की भरमार और अतिक्रमण के कारण जल का प्रवाह तेजी से रुक जाता है, जिससे जलभराव के जोखिम में इजाफा होता है।
इन तीन मुख्य इकाइयों के बीच कई सिमेंटिक कनेक्शन बनते हैं। पहला ट्रिपल: "जलभराव सम्बन्धित है मानसून से" – क्योंकि भारी बारिश ही जलभराव का प्रमुख ट्रिगर है। दूसरा ट्रिपल: "नदी सहयोग करती है जलभराव में" – नदी के ओवरफ्लो से बहाव तेज़ होता है। तीसरा ट्रिपल: "शहरी जल निकासी रोकती है जलभराव को" – जब निकासी सही ढंग से कार्य करती है तो नुकसान कम हो सकता है। चौथा ट्रिपल: "जलप्रबंधन आवश्यक है जलभराव नियंत्रण के लिए" – सटीक भविष्यवाणी, समय पर चेतावनी और रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग सतह पर प्रभाव को घटा सकती है।
इन संबंधों को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे हम प्रभावी बचाव उपाय तैयार कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि हम जानते हैं कि किसी नदी का जल स्तर 5 मीटर से ऊपर जाने पर बाढ़ का जोखिम बढ़ जाता है, तो हम उस स्तर को मॉनिटर करने के लिए रिमोट‑सेंसिंग या जल स्तर सेंसर स्थापित कर सकते हैं। इसी तरह, शहरी नालियों को साफ़‑सफ़ाई और नियमित रख‑रखाव से जल निकासी की क्षमता बढ़ायी जा सकती है, जिससे जलभराव की संभावना घटती है।
बचाव के उपाय तीन स्तरों में बाँटे जा सकते हैं: व्यक्तिगत, सामुदायिक और सरकारी। व्यक्तिगत स्तर पर हर घर में जलरोधक दरवाज़े, उठाव वाले फ़्लोर, और बुनियादी आपातकालीन किट (टॉर्च, बैटरियों, पानी की बोतलें) रखना मददगार है। सामुदायिक स्तर पर पड़ोस में जल निकासी के लिए सामुदायिक नाली साफ़ करवाना, जलरोधक बाड़ लगाना और आपदा नर्माण योजना बनाना उपयोगी रहता है। सरकारी स्तर पर व्यापक जल प्रबंधन नीति, जलभण्डारण के लिये बांध और नहर, और तेज़ी से बाढ़ चेतावनी प्रणाली स्थापित करना अनिवार्य है।
वर्तमान में भारत में जलभराव के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है, खासकर उत्तर भारत के कई शहरों में जहाँ अत्यधिक बारिश और अनधीकित जलाशय एक साथ प्रभावित होते हैं। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं: 1) जलवायु परिवर्तन के कारण अनियमित वर्षा पैटर्न, 2) शहरीकरण के कारण प्राकृतिक जलभरण क्षेत्रों का नुकसान, 3) पुरानी जल निकासी संरचनाएँ, और 4) सार्वजनिक जागरूकता की कमी। इन कारणों को दूर करने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण चाहिए, जिसमें विज्ञान‑आधारित पूर्वानुमान, नियोजन, सामाजिक शिक्षा और तकनीकी नवाचार शामिल हों।
उदाहरण के तौर पर, डोपामिन रिव्यू के साथ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर वास्तविक‑समय बाढ़ चेतावनी प्रदान करने वाले ‘वॉटर अलर्ट’ ऐप को अपनाने से कई शहरों में राहत कार्य तेज़ हुआ है। इसी प्रकार, किसानों के बीच जलभरण के लिए ‘वर्षा जल संग्रहण’ तकनीक को बढ़ावा देने से ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव की समस्या कम हुई है। ये केस स्टडीज दिखाते हैं कि तकनीक और लोगों की भागीदारी से जलभराव को नियंत्रित किया जा सकता है।
जब हम इस टैग पेज की बात करते हैं, तो नीचे आपको विभिन्न लेख, रिपोर्ट और विशेषज्ञ राय मिलेंगी जो जलभराव के विभिन्न पहलुओं को कवर करती हैं – मौसम पूर्वानुमान, नदी प्रवाह, शहरी योजना, आपदा प्रबंधन, और व्यक्तिगत सुरक्षा उपाय। इन लेखों को पढ़कर आप न सिर्फ कारणों को समझ पाएँगे, बल्कि प्रभावी रोकथाम और तुरंत बचाव के लिए तैयार भी हो सकेंगे। अब आप आगे के लेखों में गहराई से जा सकते हैं और अपने क्षेत्र में जलभराव से निपटने के लिए उपयोगी टिप्स और गाइडलाइन प्राप्त कर सकते हैं।
23 सितंबर 2025 को कोलकाता में चार दशकों में सबसे अधिक वर्षा हुई, जिससे शहर में वादर भरी जलभराव की स्थिति बन गई। इस दुर्लभ बवंडर में 10 लोगों की मौत हुई, अधिकांश बिजली के संपर्क में आकर मर गए। कोलकाता हवाई अड्डे पर 90 से अधिक उड़ानें रद्द हुईं, जबकि कई ट्रेनें देर या रद्द हुईं। यू.एस. कांसुलेट ने भी अपने दफ्तर बंद कर दिए और दुर्गा पूजा की तैयारियों में भी बाधा आई। शहर अब धीरे‑धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है।