एंजल टैक्स क्या है? पूरी जानकारी एक ही जगह

आप ने सुना होगा ‘एंजल टैक्स’ के बारे में, पर असली बात समझी है या नहीं? सरल शब्दों में कहें तो यह टैक्स तब लगता है जब कोई एंजल इन्वेस्टर (निवेशक) स्टार्टअप को बहुत कम वैल्युशन पर शेयर बेचता है। सरकार इसको ‘कम कीमत पर शेयर बिक्री’ मानती है और उस अंतर पर कर लेती है। अब सवाल उठता है – कब, किसे और कैसे?

एंजल टैक्स के मुख्य नियम

सबसे पहले देखिए कि कौन से मामलों में यह लागू होता है:

  • स्टार्टअप को एंजल इन्वेस्टर ने शेयर बेचा हो, और वह कीमत बाजार मूल्य (FMV) से कम हो।
  • शेयर का वैल्युशन दो साल के अंदर नहीं बढ़ा हो या कंपनी अभी भी ‘स्टार्टअप’ की शर्तें पूरी करती हो।
  • निवेश राशि 25 लाख रुपये से ऊपर हो, तब टैक्स लगेगा।

अगर इन सभी शर्तों में से एक भी नहीं मिलती तो एंजल टैक्स नहीं लगेगा। ध्यान रखें कि ‘बाजार मूल्य’ का निर्धारण राजस्व विभाग के नॉर्म्स पर होता है, इसलिए सही वैल्युएशन रिपोर्ट बनवाना ज़रूरी है।

बचने की आसान टिप्स

अब बात करते हैं कैसे बचा जाए इस टैक्स से:

  1. सही वैल्युएशन चुनें – अनुभवी फाइनेंस एक्सपर्ट या चार्टर्ड अकाउंटेंट को रिपोर्ट बनवाएँ। कम कीमत पर नहीं, बल्कि उचित मार्केट रेट पर शेयर बेचें।
  2. इश्यू की तारीख से दो साल पहले स्टार्टअप का ‘स्टेज’ बदल दें – यदि कंपनी अब ‘स्टार्टअप’ नहीं रही तो टैक्स लागू नहीं होगा।
  3. निवेश को इक्विटी के बजाय फंडेड डेब्ट या प्रॉमिसरी नोट में बदलें, क्योंकि इन पर एंजल टैक्स नहीं लगता।
  4. आरएसए (राइट ऑफ़ सॉलिडरिटी) क्लॉज़ का उपयोग करें – इससे शेयर की वैल्युशन को स्थिर रखा जा सकता है और टैक्स बचाया जा सकता है।

इन उपायों को अपनाकर आप न सिर्फ टैक्स बचा सकते हैं, बल्कि निवेशकों के साथ भरोसेमंद संबंध भी बना सकते हैं। याद रखें, सही दस्तावेज़ीकरण और समय पर रिटर्न फाइलिंग बहुत अहम है।

अगर अभी भी कोई शंका है तो किसी टैक्स सलाहकार से मिलें। छोटे‑छोटे कदम आपके स्टार्टअप को बड़े नुकसान से बचा सकते हैं। एंजल टैक्स को समझना आसान नहीं, लेकिन सही जानकारी और प्रोफेशनल मदद से आप इसे आसानी से हेंडल कर सकते हैं।

Shubhi Bajoria 24 जुलाई 2024

बजट 2024: स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने हेतु एंजल टैक्स समाप्त

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 में दशक पुराने एंजल टैक्स को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा है, जो स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार है। यह टैक्स 2012 में मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए लागू किया गया था और स्टार्टअप्स को निवेश में रुकावट का सामना करना पड़ता था। इस कदम का निवेशकों और स्टार्टअप फाउंडर्स द्वारा स्वागत किया गया है।