दिल्ली हर रोज़ बहुत सी भीड़भाड़ देखता है, इसलिए कभी‑कभी दुर्घटनाएँ हो जाती हैं. अगर आप दिल्ली में रहते हैं या यहाँ आते हैं तो इन घटनाओं की सही जानकारी रखनी ज़रूरी है—ताकि आप तुरंत प्रतिक्रिया दे सकें.
अक्टूबर 2025 में नई दिल्ली के मुख्य रेल्वे स्टेशन पर एक बड़ी भीड़भाड़ से ट्रेन का प्लेटफ़ॉर्म 12‑16 तक बदलना पड़ा, जिससे भ्रम पैदा हुआ और 18 लोग मारे गए. पुलिस ने तुरंत जाँच शुरू कर दी, लेकिन इस तरह की स्थितियों को रोकने के लिए सिग्नल सिस्टम अपग्रेड करना अभी बाकी है.
फरवरी में उधमपुर (जम्मू‑कश्मीर) से जुड़ी खबरें भी दिलचस्प हैं: CRPF बस हादसे में 3 जवान मरे और कई घायल हुए. यहाँ का कारण ढीला रास्ता और अचानक बारिश थी, जिससे ट्रैक पर फिसलन पैदा हो गई.
इन दोनों मामलों ने यह दिखाया कि सुरक्षा चेक‑पॉइंट, भीड़ नियंत्रण और मौसम की चेतावनी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अगर आप इन जगहों से गुजरते हैं तो आधिकारिक एलेर्ट सुनें और भीड़ के बीच में अनावश्यक रुकावट न डालें.
पहला कदम है – हमेशा अपडेटेड ऐप या वेबसाइट पर ट्रैफ़िक‑अलर्ट देखना. दिल्ली मेट्रो, रेलवे और सड़क विभाग अक्सर लाइव मैप्स शेयर करते हैं; इनको खोल कर आप भीड़ वाले रास्ते छोड़ सकते हैं.
दूसरा, सार्वजनिक स्थानों में जल्दी से बाहर निकलने की योजना बनाइए. एक या दो निकास द्वार पहचान लें, ताकि आपातकाल में घबराहट न हो.
तीसरा, अगर कोई दुर्घटना का शोर सुनें तो तुरंत 112 पर कॉल करें और सटीक लोकेशन बताएं. मदद पहुँचते समय भीड़ न बनाएँ; बचाव दल को काम करने देना ज़्यादा असरदार होता है.
आख़िर में, व्यक्तिगत सुरक्षा गियर जैसे हेलमेट या रिफ्लेक्टिव जैकेट पहनना फायदेमंद हो सकता है, खासकर रात के समय सड़क पार करते हुए. ये छोटे‑छोटे कदम बड़े हादसों को रोक सकते हैं.
दिल्ली की खबरें रोज़ बदलती रहती हैं, इसलिए अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें और ताज़ा अपडेट हमेशा पढ़ते रहें. याद रखिए—सूचना ही सबसे बड़ी बचाव शक्ति है.
वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय का दिल्ली के वसंत कुंज स्थित घर की चौथी मंजिल से गिरने के बाद निधन हो गया। उपाध्याय, जो 64 वर्ष के थे, निरीक्षण के दौरान गिर गए और गंभीर चोटें आईं। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पत्रकारिता जगत ने शोक व्यक्त किया।