बुद्ध पावर्णिमा 2024 – कब, क्यों और कैसे मनाएँ

क्या आप जानते हैं कि इस साल बुद्ध पावर्णिमा (बुध पूर्णिमा) कब पड़ रही है? यह तिथि हर वर्ष बदलती है क्योंकि बौद्ध कैलेंडर चंद्रमा के अनुसार चलता है। 2024 में यह 22 मई को मनाई जाएगी, जब चांद पूरा हो कर चमकेगा। इस दिन को कई लोग आध्यात्मिक शुद्धि और शांति की दिशा में एक कदम मानते हैं।

बुद्ध पावर्णिमा का महत्व

बुद्ध पावर्णिमा सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञानोदय और महापरिनिर्वाण को याद करने वाला दिन है। बौद्ध धर्म में इसे ‘वेसाक’ या ‘विसाखा’ भी कहा जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु के पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए धम्म (धर्म) के सिद्धान्तों पर ध्यान देते हैं। घर‑घर में दीप जलाकर, मंत्र पढ़कर और दान करके लोग आत्मिक संतुलन पाने की कोशिश करते हैं।

पूजा‑पाठ और साधारण रिवाज़

बुद्ध पावर्णिमा के दिन कई आसान उपाय होते हैं जिनको आप रोज़मर्रा में अपनाने से लाभ उठा सकते हैं:

  • सजावट: घर या मंदिर में सफेद फूल, धूप और दीप रखें। सफेद रंग शुद्धि का प्रतीक है।
  • ध्यान एवं प्रार्थना: सुबह उठते ही पाँच‑पाँच मिनट ध्यान लगाएँ। बोधिसत्व मंत्र जैसे "ॐ मणिपद्मे हूँ" दोहराएँ।
  • दान‑विचार: जरूरतमंदों को खाना, कपड़े या पुस्तकों का दान करें। छोटे‑छोटे दाने भी बड़े सकारात्मक परिणाम लाते हैं।
  • भोजन नियम: कई लोग इस दिन व्रत रखते हुए शाकाहारी भोजन लेते हैं। हल्का और पौष्टिक आहार शरीर को साफ़ रखता है।
  • धम्म प्रवचन सुनें: स्थानीय बौद्ध मंदिर या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर धम्म के व्याख्यान देखें। यह ज्ञान बढ़ाने का आसान तरीका है।

इन रिवाज़ों में कोई जटिलता नहीं – बस रोज़ की आदत में थोड़ा बदलाव कर ही आप इस पावर्णिमा को खास बना सकते हैं। यदि आपके पास बौद्ध मंदिर तक पहुँच नहीं है, तो घर पर ही छोटी सी पूजा जगह बनाकर वही माहौल तैयार करें।

बुद्ध पावर्णिमा के अवसर पर कई सामाजिक कार्यक्रम भी होते हैं – जैसे स्वच्छता कैंप, रक्तदान शिविर और पर्यावरण संरक्षण कार्यशालाएँ। ये गतिविधियाँ न केवल व्यक्तिगत शांति देती हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक प्रभाव भी डालती हैं। आप अपने आस‑पास के सामुदायिक केंद्र से जानकारी ले सकते हैं या सोशल मीडिया पर "#BuddhaPurnima2024" टैग करके अपडेट्स देख सकते हैं।

समाप्ति में यह कहना चाहूँगा कि इस पावर्णिमा को मनाने का मुख्य उद्देश्य खुद को बेहतर बनाना है – चाहे वह आध्यात्मिक हो, शारीरिक या सामाजिक। छोटा‑छोटा कदम आपके जीवन में बड़ी बदलाब ला सकते हैं। तो इस 22 मई को दीप जलाएँ, दान दें और धम्म की आवाज़ सुनें। शुभ बुद्ध पावर्णिमा!

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