भारत का किराना बाजार: क्या चल रहा है?

हर सुबह जब हम नयी दाल या तेल खरीदते हैं, तो अक्सर कीमत में छोटे‑छोटे बदलाव दिखते हैं। ये बदलाव सिर्फ रिटेलर की गलती नहीं होते—कई बार सरकारी नीतियों, मौसम या वैश्विक मांग से भी आते हैं। इस लेख में हम समझेंगे कि आज के किराना बाजार में क्या चल रहा है और आपके खर्च को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।

कीमतों पर असर डालने वाले मुख्य कारण

पहला कारण मौसम है। जब मानसून देर से आता या अनियमित रहता, तो धान, गेहूँ और सब्ज़ियों की फसलें कम हो जाती हैं। इससे बाजार में सप्लाई घटती है और कीमतें बढ़ती हैं। दूसरा बड़ा कारक है अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमत। भारत बहुत सारा रिफाइन्ड ऑयल आयात करता है; अगर वैश्विक स्तर पर तेल महँगा होता है, तो गैसोलिन और पेट्रोलियम‑आधारित पैकेजिंग सामग्री की लागत भी बढ़ती है, जिससे किराना वस्तुओं की कीमतें प्रभावित होती हैं।

तीसरा कारण सरकारी नीतियां हैं—विशेषकर कर में बदलाव या सब्सिडी का समायोजन। उदाहरण के तौर पर अगर आयात शुल्क घटाया जाता है तो कुछ मसाले सस्ते हो सकते हैं, जबकि शूल्क बढ़ने से कीमतें फिर से ऊपर जा सकती हैं। इन सभी कारकों को समझना आपके बजट प्लानिंग में मदद करेगा।

खरीदारों के लिए आसान टिप्स

पहला सुझाव है—स्थानीय बाजार और सुपरमार्केट की तुलना करें। कई बार छोटे किराना स्टॉल पर दाल या चावल कम कीमत पर मिल जाता है, जबकि बड़े रिटेलर में प्रोमोशन या डिस्काउंट हो सकते हैं। दोनों को देख कर आप सबसे बेहतर डील चुन सकते हैं।

दूसरा टिप: मौसमी खरीदारी करें। जब कोई फल‑सब्ज़ी अपनी पीक पर होती है, तो वह सस्ती और ताज़ा रहती है। जैसे टमाटर के मौसम में टमाटर की कीमत घटती है; उसी तरह मक्के या जौ के सीजन में इनकी कीमतें कम रहती हैं।

तीसरा: बड़ी पैकेजिंग में खरीदें, पर तभी जब आप उसकी सही तरीके से इस्तेमाल कर सकें। अक्सर 5 kg की बोरी में दाल सस्ती होती है, लेकिन अगर आपके पास फ्रीज़र या स्टोरेज नहीं है तो नुकसान हो सकता है। इसलिए अपनी जरूरत के हिसाब से ही बॉल्क खरीदें।

चौथा सुझाव—ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर छूट को ट्रैक करें। कई ई‑कॉमर्स साइट्स रोज़ नई डील लाती हैं, और कभी‑कभी वही कीमत स्थानीय मार्केट से भी कम होती है। बस यह देखना होता है कि डिलीवरी चार्ज या मिनिमम ऑर्डर आपके बजट में फिट बैठता है या नहीं।

पाँचवाँ और आखिरी टिप—स्थानीय किसान बाजार (एफएमसीजी) को मत भूलें। यहाँ ताज़ी सब्ज़ियां सीधे किसानों से मिलती हैं, जो मध्यस्थों की मार कम करती हैं। अक्सर एक ही कीमत पर आप ज्यादा क्वालिटी पा सकते हैं।

इन आसान उपायों को अपनाकर आप किराना खर्च में 10‑15 % तक बचत कर सकते हैं। याद रखें—बजट बनाते समय सिर्फ कुल रक्कम नहीं, बल्कि खरीदने की टाइप और टाइम भी महत्व रखता है।

यदि आप हमारी साइट पर बार‑बार आते रहेंगे तो आपको दैनिक अपडेटेड किराना कीमतें, विशेषज्ञ विश्लेषण और बाजार के प्रमुख ट्रेंड मिलते रहेंगे। यह जानकारी आपके शॉपिंग प्लान को तेज़ और सटीक बनाएगी।

Shubhi Bajoria 8 जुलाई 2024

Zepto डीमार्ट को 18-24 महीनों में पीछे छोड़ सकता है: आदित पलीचा

Zepto के सह-संस्थापक और सीईओ आदित पलीचा ने कहा है कि कंपनी अगले 18-24 महीनों में डीमार्ट की बिक्री से आगे निकल सकती है। दिल्ली में JIIF फाउंडेशन दिवस कार्यक्रम में यह बात कही गई। डीमार्ट, $30 बिलियन की कंपनी है, जो बिक्री में Zepto से मात्र 4.5 गुना बड़ी है। पलीचा को विश्वास है कि Zepto हर साल 2-3 गुना बढ़ सकता है।