अगर आप भारत में हो रहे दहशत के मामलों को समझना चाहते हैं तो यह पेज आपके लिए है। हम यहाँ पर हाल की प्रमुख घटनाओं, उनकी वजह और सरकार के कदमों का सरल सार पेश करेंगे। पढ़ते रहिए, क्योंकि जानकारी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
पिछले कुछ हफ्तों में कई ऐसे केस सामने आए जिनमें आतंकवादी तत्वों की भागीदारी स्पष्ट हुई। उदाहरण के तौर पर, उधमपुर (जम्मू-कश्मीर) में CRPF बस हादसे में तीन जवान मारे और 16 घायल हुए। इस दुर्घटना को अक्सर बुरे रास्ते या टालमेल कारण बताया गया, लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि क्षेत्र की अस्थिर स्थिति इसका एक हिस्सा थी।
एक और केस है पेरिस ओलंपिक से जुड़ा विवाद जहाँ महिला बॉक्सिंग में नियम उल्लंघन के आरोप लगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा मुद्दा भारत को भी सिखाता है कि खेलों में भी सुरक्षा मानकों की कड़ाई जरूरी है, खासकर जब दहशतवादियों का लक्ष्य दर्शक बनना हो।
इसके अलावा, कई बार छोटे शहरों में आतंकवादी हमले नहीं होते तो भी स्थानीय पुलिस की सतर्कता बढ़ जाती है। यह दिखाता है कि डर से ही नहीं बल्कि वास्तविक खतरे से भी लोग जागरूक होते जा रहे हैं।
सरकार ने कई पहलें शुरू की हैं – जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को अधिक अधिकार देना, तकनीकी मदद बढ़ाना और सामाजिक संगठनों को सहयोग करना। अगर आप किसी संदेहास्पद गतिविधि देखते हैं तो तुरंत स्थानीय पुलिस या हेल्पलाइन पर रिपोर्ट करें।
आपके रोज़मर्रा के जीवन में भी कुछ आसान कदम मददगार होते हैं: बड़े इवेंट्स में प्रवेश बिंदुओं की जाँच, सार्वजनिक जगहों पर अनजान वस्तुओं से दूरी बनाना और सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ को फ़िल्टर करना। इन छोटी-छोटी बातों से बड़ी सुरक्षा बनी रहती है।
आखिर में यह समझना ज़रूरी है कि आतंकवाद सिर्फ सरकार या पुलिस का काम नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। जागरूक रहें, सही जानकारी शेयर करें और जब भी मौका मिले तो मदद के हाथ बढ़ाएँ। यही तरीका है देश को सुरक्षित रखने का।
ब्राज़ील में सुप्रीम कोर्ट के बाहर एक व्यक्ति ने बम विस्फोट कर खुद की जान ली। इस घटना ने जी20 शिखर सम्मेलन के मद्देनज़र सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। पुलिस ने इसे आतंकवाद से जोड़ते हुए जांच शुरू की है, और संभावित अग्रगामी गुटों से संपर्क की खोज भी की जा रही है। इस हमले की निंदा न्यायमूर्ति अलेक्जेंडर डी मोरेस ने की, इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपराधीय उपयोग से जोड़कर बताया।