अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च फिर से सुर्खियों में है, क्योंकि फर्म ने हाल ही में एक पोस्ट में भारत से जुड़ी एक बड़ी घोषणा के संकेत दिए हैं। इस फर्म ने अपनी खोजी और उच्च प्रभाव वाली रिपोर्टों के लिए ख्याति अर्जित की है, और इसके आने वाले खुलासे की प्रत्याशा ने निवेशकों और बाजार पर्यवेक्षकों को उत्तेजित कर दिया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, 'कुछ बड़ा जल्द ही, भारत,' जिससे संदेह होता है कि उनका अगला टारगेट किसी बड़े भारतीय व्यवसाय या व्यक्तित्व से संबंधित हो सकता है। पिछले साल, इस फर्म ने अदानी समूह पर वित्तीय अनियमितताओं, शेयर बाजार में हेराफेरी, और धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाए थे।
अदानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का जोरदार खंडन किया था, लेकिन रिपोर्ट के प्रकाशन के तुरंत बाद अदानी एंटरप्राइजेज के शेयर मूल्य में भारी गिरावट आई, जिससे समूह को 100 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ था। यह रिपोर्ट अदानी एंटरप्राइजेज के यूएसडी 2.5 बिलियन के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग से ठीक पहले जारी की गई थी, जिससे निवेशकों में चिंता की लहर दौड़ गई थी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने बाद में अदानी समूह को क्लीन चिट दी थी और एक विशेष जांच टीम (SIT) द्वारा कोर्ट-मॉनिटरिंग की मांग को खारिज कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद, अदानी समूह की छवि पर इसका असर पड़ा और शेयर बाजार में उनका मूल्यांकन भी प्रभावित हुआ।
हिंडनबर्ग रिसर्च का इतिहास उच्च-प्रोफ़ाइल कंपनियों को लक्षित करने का रहा है। इससे पहले, फर्म ने निकोला, क्लोवर हेल्थ, ब्लॉक इंक, कैंडी, और लॉर्ड्सटाउन मोटर्स जैसी कंपनियों पर भी निशाना साधा है। इन सभी कंपनियों पर किए गए आरोपों ने शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल मचाई थी। फर्म का अनुसंधान अत्यंत विस्तार से होता है और उनके खोजपरक निष्कर्ष अक्सर विवादित होते हैं, परंतु बाजार पर इसका बड़ा प्रभाव होता है।
क्या हिंडनबर्ग रिसर्च का नया टारगेट भी उतना ही प्रभावशाली होगा? इसकी पुष्टि तो समय ही कर सकेगा, लेकिन इससे निवेशक और बाजार विश्लेषक उत्सुक हो गए हैं और नई रिपोर्ट को लेकर कई तरह की अटकलें लगा रहे हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च की इस नई पोस्ट ने व्यापारिक जगत में हलचल पैदा कर दी है। फर्म की अगली घोषणा का हर कोई इंतजार कर रहा है, विशेषकर इसलिए क्योंकि पिछली बार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अदानी समूह के शेयर मूल्य को भारी नुक्सान पहुंचाने में सफल रही थी। फर्म की पिछली रिपोर्टों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस बार भी फर्म कोई न कोई बड़ा खुलासा करने जा रही है।
अदानी समूह के पिछले केस में भी हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट के साथ कई दस्तावेज और सबूत प्रस्तुत किए थे। हालांकि अदानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था, लेकिन हिंडनबर्ग ने बाजार में अपने आरोपों के दम को साबित कर दिखाया था।
हिंडनबर्ग रिसर्च की अगली रिपोर्ट के परिणामस्वरूप क्या होगा, इस पर अभी तक केवल कयास ही लगाए जा सकते हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि फर्म के द्वारा किए गए खुलासे व्यापार और निवेश में बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
इस समय निवेशक और विश्लेषक यह जानने के लिए बेसबरी हो रहे हैं कि हिंडनबर्ग ने इस बार किसे टारगेट किया है। क्या यह कोई और बड़ा भारतीय व्यापार समूह होगा, या फिर किसी और डिजिटल प्लेटफॉर्म का भंडाफोड़?
फिलहाल तो बस निगाहें लगी हैं और समय ही बताएगा कि अगले खुलासे से किसकी पोल खुलेगी। लेकिन एक बात तो तय है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की इस नई घोषणा से निवेशकों और बाजार के जानकारों में उत्सुकता और बेचैनी तो चरम पर पहुंच चुकी है।