भारत और चीन के बीच लद्दाख में सैन्य गतिरोध समाप्ति पर सहमति के संकेत

भारत और चीन के बीच लद्दाख में सैन्य गतिरोध समाप्ति पर सहमति के संकेत
Shubhi Bajoria 22 अक्तूबर 2024 15 टिप्पणि

भारत-चीन संबंधों की नई दिशा

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध समाप्त करने के लिए हुए समझौते ने दोनों देशों के संबंधों में एक नई दिशा का संकेत दिया है। यह कदम न केवल सीमा पर लंबे समय से चली आ रही तनावपूर्ण स्थिति को समाप्त करने की दिशा में है, बल्कि दोंनों देशों की विदेश नीतियों में बदलाव के संकेत भी हैं। इस समझौते की पुष्टि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ परस्पर संवाद और सामरिक प्रयासों द्वारा सीमा संबंधित मुद्दों का समाधान खोजने के इच्छुक हैं।

समझौते का महत्त्व और प्रभाव

समझौते के अनुसार, दोनों देशों की सेनाएं अपनी पूर्व-अप्रैल 2020 की स्थिति में लौटेंगी और विवादास्पद क्षेत्रों जैसे देपसांग और डेमचोक में गश्ती प्रणाली को पुनः स्थापित करेगी। यह न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में किसी भी अनिर्णीत मुद्दों के समाधान की गुंजाइश भी प्रदान करता है। यह कदम भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा पूर्व में व्यक्त की गई आशाओं की पूर्ति करता है, जिन्होंने कहा था कि लगभग 75% अलगाव के मुद्दों का समाधान हो चुका है, लेकिन गश्ती व्यवस्थाओं की स्थापना अब भी एक प्रमुख चुनौती है।

विदेश नीति में बदलाव

समझौते से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देश अपनी विदेश नीतियों में कैसे बदलाव कर रहे हैं और विवादित मुद्दों को कैसे संबोधित कर रहे हैं। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि यह समझौता सैनिकों की वापसी की दिशा में जरूरी कदम उठाने में सहायक होगा और 2020 में उभरे मुद्दों को भी प्राथमिकता से संबोधित करेगा। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच किसी भी संभावित संघर्ष को कम करना और एक स्थिरता की दिशा में बढ़ना है।

डिप्लोमैटिक चैनलों की भूमिका

सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के एक श्रृंखला के बाद यह समझौता संभव हो पाया, जिसमें हाल ही में बीजिंग में आयोजित 31वीं भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र (WMCC) वार्ता शामिल थी। इस प्रकार की वार्ताओं के माध्यम से दोनों देश यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि सीमा पर किसी भी प्रकार की अस्थिरता से बचा जा सके और दीर्घकालिक स्थिरता स्थापित हो सके।

इन नवीन घटनाओं के पश्चात, उम्मीद की जा सकती है कि दोनों देश एक अधिक सौहार्द्रपूर्ण संबंध स्थापित करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं, जो कि केवल क्षेत्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है।

15 टिप्पणि
Balakrishnan Parasuraman अक्तूबर 24 2024

ये सब नाटक है! चीन ने कभी सच्चाई नहीं बोली, अब भी वो हमारी सीमा पर कब्जा बनाए हुए हैं। ये 'समझौता' बस एक धोखा है जिससे हम लोग आराम कर रहे हैं। असली जीत तभी होगी जब चीनी सैनिक हमारी जमीन से बाहर निकल जाएंगे।

Animesh Shukla अक्तूबर 24 2024

क्या ये सच में एक नई शुरुआत है... या बस एक ठहराव? जब दो ऐसे विशालकाय देश एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं, तो शायद ये बातचीत ही असली जीत है... युद्ध तो हमेशा आसान होता है, पर शांति के लिए दिमाग चाहिए।

Abhrajit Bhattacharjee अक्तूबर 26 2024

इस समझौते को बहुत धीरे-धीरे और सावधानी से आगे बढ़ाना होगा। विश्वास तो टूट चुका है, लेकिन फिर भी एक छोटा सा कदम अच्छा है। अगर हम इसे गलत तरीके से इस्तेमाल करेंगे, तो ये फिर से टूट सकता है।

Raj Entertainment अक्तूबर 28 2024

अच्छा हुआ! अब बस धीरे-धीरे बात करते रहो। दोस्त बनना है तो दोस्ताना बात करो। ये जो लोग लड़ने को तैयार हैं, वो भी जानते हैं कि अब ये जंग नहीं जीत सकते।

Manikandan Selvaraj अक्तूबर 29 2024

चीन ने अभी तक एक भी बंदूक उतारी नहीं है और तुम ये बातें कर रहे हो... ये सब धोखा है भाई... वो तुम्हारे दिमाग में घुस गए हैं... अब तुम उनके लिए गीत गा रहे हो

Naman Khaneja अक्तूबर 29 2024

ये तो बहुत अच्छा हुaa!! 😊 अब शांति आएगी... बस थोड़ा इंतजार करो... दोस्ती बनती है धीरे-धीरे... जल्दबाजी में नहीं... 🙏

Gaurav Verma अक्तूबर 31 2024

ये सब चीन का चाल है... अगले 6 महीने में वो फिर से आगे बढ़ जाएंगे... और हम फिर से बातचीत के लिए बैठेंगे... ये चक्र तो बंद ही नहीं हो रहा...

Fatima Al-habibi नवंबर 2 2024

क्या आप वाकई मानते हैं कि एक ऐसे देश के साथ विश्वास किया जा सकता है जिसने 2020 में अपने खुद के नियमों को तोड़ा था? यहाँ तक कि इस समझौते को भी बुलाया गया 'समझौता'... जबकि इसे 'अनुमति' कहना अधिक उचित होता।

Nisha gupta नवंबर 3 2024

यह समझौता एक नई शुरुआत का प्रतीक है, लेकिन इसके पीछे एक गहरी भावनात्मक परिवर्तन की आवश्यकता है। जब तक हम दोनों देशों के लोग एक-दूसरे को दुश्मन नहीं समझेंगे, तब तक शांति अस्थायी रहेगी।

Roshni Angom नवंबर 5 2024

क्या ये असली बदलाव है... या बस एक अलग तरह का नाटक...? मुझे लगता है कि दोनों तरफ से लोग थक गए हैं... युद्ध नहीं, बस बातचीत... बातचीत ही अब असली शक्ति है... अगर हम इसे गलत नहीं समझें... तो शायद... शायद ये काम कर जाए...

vicky palani नवंबर 6 2024

ये सब बकवास है... चीन ने लद्दाख में हमारे सैनिकों को मारा... और अब वो हमें शांति का पाठ पढ़ा रहा है... ये दोस्ती की बातें बस एक शर्मनाक ढंग से अपनी हार को छिपाने की कोशिश है

jijo joseph नवंबर 8 2024

इस समझौते का एक महत्वपूर्ण आयाम यह है कि यह डिप्लोमैटिक चैनल्स के लिए एक फ्रेमवर्क प्रदान करता है जो एक्सप्लिसिट इंस्टिट्यूशनल एंगेजमेंट के माध्यम से एक रिस्क-मिटिगेशन आर्किटेक्चर को स्थापित करता है। यह एक स्ट्रैटेजिक नैरेटिव के रूप में कार्य करता है जो एक्सपेक्टेशन मैनेजमेंट के लिए एक कॉन्टेक्स्ट प्रदान करता है।

Manvika Gupta नवंबर 10 2024

मुझे डर लगता है... ये सब फिर से बर्बाद हो जाएगा... मैं अब ये बातें सुनना नहीं चाहती...

leo kaesar नवंबर 11 2024

चीन ने अभी तक एक भी टैंक नहीं वापस किया... ये सब बस एक बहाना है... तुम लोगों को ये समझौता बहुत अच्छा लग रहा है... लेकिन ये तो बस एक झूठ है

Ajay Chauhan नवंबर 11 2024

अच्छा हुआ... अब तो ये भी बहुत लंबा चल रहा था... अब बस एक बार जल्दी से इसे बंद कर दो... और अपने घरों में जाओ... ये सब बहुत ज्यादा बोझ है

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