उत्तर प्रदेश में महर्षि वाल्मीकि जयंती पर अखंड रामायण पाठ का महामहिम आयोजन

उत्तर प्रदेश में महर्षि वाल्मीकि जयंती पर अखंड रामायण पाठ का महामहिम आयोजन
Shubhi Bajoria 6 अक्तूबर 2025 1 Comment

उत्तरी प्रदेश की उत्तर प्रदेश सरकार ने महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर सभी मंदिरों में अखंड रामायण पाठ का आयोजन करने का आदेश जारी किया है। यह पहल अमृत अभिजात, पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव, ने 7 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) को लागू करने के निर्देशों में मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों और निदेशकों को लिखित पत्र भेजा।

महर्षि वाल्मीकि जयंती और उसका सांस्कृतिक महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, महर्षी वाल्मीकि जयंती 2025उत्तर प्रदेश का उत्सव आश्विन पूर्णिमा के दो दिन बाद मनाया जाता है। पूर्णिमा का उदय 6 अक्टूबर 2025 दोपहर 12:24 बजे और समापन 7 अक्टूबर सुबह 9:17 बजे होता है, जिससे शरद पूर्णिमा का व्रत 6 अक्टूबर को रखा गया है।

ऐतिहासिक रूप से वाल्मीकि जी को संस्कृत के प्रथम महाकाव्य का रचनाकार माना जाता है; उनका "रामायण" न केवल धार्मिक ग्रंथ है बल्कि सामाजिक नैतिकता का खजाना भी। उनका योगदान आज भी भारतीय कला, साहित्य और दर्शन में जीवित है, इसलिए उनके जयंती की महत्त्वपूर्णता हर साल बढ़ती जा रही है।

सरकारी घोषणा और कार्यात्मक ढांचा

सरकार ने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि हर एक जिले में जनपद, तहसील और विकास खंड स्तर पर समिति बनाई जाएगी। इन समितियों को 8, 12 या 24 घंटे के अखंड पाठ की व्यवस्था करनी होगी और साथ ही दीप प्रज्ज्वलन का कार्यक्रम भी शामिल करना होगा।

दिए गए आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में लगभग 30,000+ मंदिरों पर यह पहल लागू होगी। प्रत्येक मंदिर में पाठ के दौरान संगीतमय प्रस्तुतीकरण, शास्त्रीय नृत्य और कथा सुनाने की व्यवस्था की जाएगी, जिससे स्थानीय संस्कृति को भी नई जान मिलेगी।

क्षेत्रीय पहल और प्रमुख अधिकारियों की भूमिका

मेऱठ जिले में डॉ. वीके सिंह, जिलाधिकारी, ने बताया कि वह इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए नुपुर गोयल, मुख्य विकास अधिकारी, को नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे। उन्होंने कहा, "हम सभी मंदिरों में अखंड रामायण पाठ को सुचारु रूप से चलाने के लिए तकनीकी सहायता, आवाज़ व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था को एक साथ लाएंगे।"

लालापुर, चित्रकूट में वाल्मीकि की तपोस्थली को विशेष मान्यता दी गई है। वहाँ पर स्थानीय प्रशासन वृहद कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसमें कबीरों के शिष्य, धार्मिक विद्वान और गवर्नर के विशेष अतिथि शामिल होंगे।

समुदायिक प्रतिक्रिया और सांस्कृतिक प्रभाव

समुदायिक प्रतिक्रिया और सांस्कृतिक प्रभाव

स्थानीय जनता ने इस कदम का स्वागत किया है। मेरठ के एक वरिष्ठ पुजारी ने कहा, "अखंड रामायण पाठ से गांव-शहर में शांति और सुख का माहौल बना रहता है, घरों में बरकत आती है।" दूसरी ओर, कुछ युवा वर्ग ने कहा कि इस अवसर पर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के जरिए पाठ को लाइव स्ट्रीम किया जाए, ताकि दूरस्थ लोग भी भाग ले सकें।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस जयंती पर भगवान श्रीराम की पूजा और रामायण का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस पहल के माध्यम से राज्य सरकार न केवल धार्मिक परम्पराओं को जिंदा रख रही है, बल्कि संस्कृति को भी पर्यटन के नए आयाम में ले जा रही है।

भविष्य की दिशा और संभावित विस्तार

प्रशासनिक स्रोतों के अनुसार, यदि इस वर्ष का कार्यक्रम सफलता से संपन्न होता है, तो अगली बार इस मॉडल को बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में लागू करने की संभावना है। इस पहल से युवा वर्ग में धार्मिक जागरूकता बढ़ेगी और साथ ही छोटे और मध्यम शहरों में आर्थिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

एक और खास बात यह है कि इस वर्ष के पाठ में शास्त्रों के साथ-साथ आधुनिक संगीतकारों को भी शामिल किया जाएगा, जिससे पारंपरिक और समकालीन शैली का मिश्रण होगा। इससे न केवल लोगों का ध्यान बनेगा, बल्कि नई पीढ़ी को भी साहिता मिलेगी।

मुख्य तथ्य

मुख्य तथ्य

  • आयोजन तिथि: 7 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
  • मुख्य निर्देशक: अमृत अभिजात, पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव
  • नोडल अधिकारी मेरठ में: नुपुर गोयल
  • पाठ की अवधि विकल्प: 8, 12 या 24 घंटे
  • विशेष स्थल: लालापुर, चित्रकूट

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

महर्षि वाल्मीकि जयंती का मूल उद्देश्य क्या है?

जयंती का मुख्य लक्ष्य आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के साहित्यिक योगदान को सम्मानित करना और रामायण के नैतिक संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है। इस अवसर पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक जागरूकता का दोहन किया जाता है।

कार्यक्रम में किन-किन शहरों में विशेष आयोजन होगा?

मुख्य आयोजन लालापुर, चित्रकूट में होगा, जबकि मेरठ, लखनऊ, आगरा, कानपुर और वाराणसी जैसे बड़े शहरों के सभी प्रमुख मंदिरों में अखंड रामायण पाठ आयोजित किया जाएगा। प्रत्येक जिले में स्थानीय समिति इसे नियंत्रित करेगी।

अखंड रामायण पाठ के दौरान कौन‑कौन सी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी?

पाठ के साथ प्रकाश व्यवस्था, साउंड सिस्टम, नृत्य एवं कथा प्रस्तुति, और पूजा स्थल पर विशेष पवित्र पदार्थ वितरित किए जाएंगे। साथ ही, डिजिटल स्क्रीन पर पाठ का लाइव ट्रांसलेशन भी दिखाया जाएगा।

क्या यह पहल अन्य राज्यों में दोहराई जाएगी?

यदि उत्तर प्रदेश में यह कार्यक्रम सफल रहता है, तो सरकार इसे बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों में भी लागू करने की योजना बना रही है, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक जागरूकता बढ़े।

आगमन के समय मंदिरों की भीड़ कैसे नियंत्रित होगी?

स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी प्रत्येक मंदिर में भीड़‑नियंत्रण योजना तैयार करेंगे, जिसमें प्रवेश‑बिंदु पर हेल्थ‑चेक, टिकट‑आधारित प्रवेश और सुरक्षा कर्मियों की ड्यूटी शामिल होगी।

1 Comment
Sameer Srivastava अक्तूबर 6 2025

ये जुगाड़ वाला आयोजन तो दिल दहलाने वाला है!!!! सब मंदिर में अखंड रामायण सुनना, जैसे हर कोने में खुशी का तूफान लाने जैसा... लेकिन खर्चा? कभि सोचा है???

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