हर दिन हमें कई तरह की चीज़ें मिलती हैं जो हमारी सेहत पर असर डाल सकती हैं. कभी‑कभी वो छोटी सी आदत या वातावरण का बदलाव बड़ा जोखिम बन जाता है. इसलिए पहले समझते हैं कि आम तौर पर कौन‑से खतरे होते हैं और फिर बात करते हैं उन बचाव कदमों की, जिन्हें आप तुरंत अपना सकते हैं.
सबसे पहला कारण हवा में मौजूद प्रदूषक है. अगर आप भीड़ वाले शहर में रहते हैं या ट्रैफ़िक जाम के पास घर है तो सांस की समस्या जल्दी हो सकती है. दूसरा बड़ा खतरा खानपान से जुड़ा है: ज्यादा तले‑भुने, शक्कर वाला या प्रोसेस्ड फूड रोज़ खाने से मोटापा और डायबिटीज़ जैसी बीमारियां बढ़ती हैं. तीसरी बात तनाव की है – काम का दबाव, घर के झगड़े या सोशल मीडिया का लगातार चक्रा मन को थका देता है और हृदय रोग का जोखिम बढ़ाता है.
अब बात करते हैं क्या कर सकते हैं. सुबह उठते ही खिड़की खोलकर ताज़ी हवा लाएं, इससे फेफड़ों को आराम मिलता है. खाने में सब्जियां, फल और दालें शामिल करें, तेल व नमक कम रखें – यही शरीर को पोषण देता है और बीमारियों से बचाता है. रोज़ 30 मिनट तेज़ चलना या घर पर योग करना तनाव घटाता है और दिल की धड़कन स्थिर रखता है. अगर आप सिगरेट पीते हैं तो छोड़ने की कोशिश करें; यह सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा है, इसे खत्म करने से कई रोग दूर रहेंगे.
इन छोटे‑छोटे बदलावों को अपनाने में ज्यादा समय नहीं लगता, लेकिन असर बड़ी देर तक रहता है. याद रखें, स्वस्थ जीवन का मूल मंत्र "ज्यादा चलो, कम खाओ, साफ़ साँस लो". अगर आप इन बातों को रोज़मर्रा की आदत बना लें तो स्वास्थ्य खतरे अपने‑आप दूर होते दिखेंगे.
आखिर में यही कहूँगा कि सेहत सिर्फ डॉक्टर की दवा से नहीं बचती; यह हमारी दैनिक पसंद और छोटे‑छोटे फैसलों पर निर्भर करती है. आज ही एक कदम उठाएँ, चाहे वो सुबह की सैर हो या रात के खाने में सलाद जोड़ना – हर छोटा बदलाव बड़ी सुरक्षा देता है.
केरल के कोझिकोड में 14 वर्षीय मृदुल की दिमाग खानेवाले अमीबा, नेगलेरिया फाउलेरी से मृत्यु हो गई। यह पिछले दो महीनों में तीसरी ऐसी मौत है। इससे पहले मल्लपुरम और कन्नूर में ऐसे ही मामलों में पांच और तेरह साल की लड़कियों की जान गई थी। स्वास्थ्य अधिकारियों ने तालाब में नाहनेवालों को सतर्क रहने की सलाह दी है।