निपाह वायरस एक जटिल रोगजनक है जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया में देखी गई है। पहली बार यह मलेशिया में 1998‑99 में बड़ते बैटरियों (फ्लाइंग फ़ॉक्स) से जुड़ी पिग फार्मों में प्रकट हुआ था और बाद में बांग्लादेश व भारत में इंसानों को संक्रमित करने लगा। वायरस तेज़ी से फैलता है, इसलिए इसे गंभीर माना जाता है। अगर आप इस रोग के बारे में सही जानकारी रखते हैं तो बचाव आसान हो सकता है।
निपाह संक्रमण की शुरुआती अवधि में बुखार, सिर दर्द, ठंड लगना या मांसपेशियों में खिंचाव जैसे सामान्य लक्षण दिखते हैं। कुछ दिनों बाद उल्टी, दस्त, भ्रम, झटके या श्वसन समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। गंभीर मामलों में पन्युमोनिया और दिमागी कार्य बिगड़ने (एन्सेफैलाइटिस) तक पहुंच सकता है, जिससे मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। वायरस मुख्यतः फल-भूरे (डेट पै्रम) के कच्चे रस या बैटरियों की लार से फैलता है, इसलिए साफ‑सफ़ाई और कच्चा न पीने वाले खाद्य पदार्थों से बचना जरूरी है। घर में पालतू जानवरों को बाहर नहीं निकालें और उनके साथ घनिष्ठ संपर्क से बचें।
अभी तक निपाह वायरस के लिए कोई विशिष्ट दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इलाज मुख्यतः लक्षणों को कम करने और शरीर की समर्थन प्रणाली को मजबूत करने पर केंद्रित होता है—जैसे कि ऑक्सीजन सपोर्ट, तरल पदार्थ देना और एंटीबायोटिक से सेकेंडरी संक्रमण रोकना। अगर तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जाए तो रोग की प्रगति धीमी हो सकती है। अस्पताल में अलग‑अलग कक्ष (आइसोलेशन) बनाकर मरीज को रखेंगे ताकि वायरस दूसरों तक न पहुंचे। सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करें, जैसे कि हाथ धोना, मास्क पहनना और संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखना।
यदि आपका या आपके आस‑पास किसी को ऊपर बताए गए लक्षण दिखें तो तुरंत स्वास्थ्य केंद्र में रिपोर्ट करें। समय पर जांच से डॉक्टर जल्दी उपचार शुरू कर सकते हैं। साथ ही स्थानीय समाचार और सरकारी हेल्पलाइन पर अपडेट लेते रहें, क्योंकि निपाह वायरस के बारे में नई जानकारी लगातार आती रहती है।
संक्षेप में, निपाह वायरस एक खतरनाक रोगजनक है लेकिन सही सावधानियों से आप इसे रोक सकते हैं। साफ‑सफ़ाई, कच्चे डेट पै्रम रस से बचाव और जल्दी डॉक्टर से संपर्क करना सबसे असरदार कदम हैं। याद रखें—जागरूकता ही सुरक्षा का पहला कदम है।
केरल के मलप्पुरम जिले में 14 वर्षीय बालक की निपाह वायरस पॉज़िटिव पाए जाने के एक दिन बाद मौत हो गई। बालक का निधन कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ। केरल के स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात की पुष्टि की और संक्रमण रोकने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए। पहले भी निपाह वायरस केरल में घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं।