निपाह वायरस एक ज़रूरी बीमारी है जो इंसान और जानवर दोनों में हो सकती है। अक्सर यह बैट या पालतू जानवरों के संपर्क से फैलता है, लेकिन सीधे व्यक्ति‑से‑व्यक्ति भी ट्रांसमिट हो सकता है। अगर आप इस रोग की पहचान जल्दी कर लें तो गंभीर जटिलताओं से बचना आसान हो जाता है।
सबसे पहले ध्यान दें कि शुरुआती लक्षण फ़्लू जैसी होती हैं: बुखार, सिरदर्द और थकान। फिर तेज़ी से सांस लेने में दिक्कत, उल्टी या दस्त, और कभी‑कभी मस्तिष्क के कार्य पर असर पड़ता है जिससे भ्रम या दौरा आ सकता है। अगर ये लक्षण दो दिन से अधिक समय तक बने रहें तो डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए।
एक महत्वपूर्ण संकेत है तेज़ी से बढ़ती श्वसन समस्या, जिसमें रोगी को खांसी या हिचकी जैसा लगना शुरू हो जाता है। कई मामलों में मरीज का जागरूकता स्तर गिर जाता है और वह प्रतिक्रिया नहीं देता – यह निपाह के गंभीर चरण की निशानी होती है।
रोकथाम सबसे आसान तब होती है जब आप बैट या पालतू जानवरों से सीधे संपर्क नहीं करते। अगर किसी खेत या जंगल में काम करना पड़े, तो हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं और सफ़ाई का ध्यान रखें। घर के अंदर पालतू जानवरों की स्वच्छता भी महत्वपूर्ण है; उनका भोजन कचरे से दूर रखिए।
सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर नियमित जांच कराएं। अगर कोई रोगी निकटवर्ती इलाक़े में निपाह के मामलों की रिपोर्ट करता है, तो तुरंत क्वारंटाइन और संपर्क tracing करें। यह कदम वायरस को आगे फैलने से रोकता है।
उपचार का मुख्य आधार है लक्षणों को नियंत्रित करना। एंटीबायोटिक बैक्टेरिया वाले इन्फेक्शन के लिए काम आते हैं, लेकिन निपाह खुद वायरस के कारण होता है इसलिए एंटीवायरल दवा अभी तक पूरी तरह मान्य नहीं हुई। फिर भी डॉक्टर जड़ता से रोगी को हाइड्रेटेड रखने और बुखार कम करने की दवाई देता है। गंभीर मामलों में इंटेंसिव देखभाल यूनिट (ICU) में वेंटिलेशन की जरूरत पड़ सकती है।
घर पर इलाज के लिए आराम, पर्याप्त पानी, हल्का आहार और डॉक्टर की सलाह से वैक्सिन या एंटीबॉडी थैरेपी लेना फायदेमंद हो सकता है। लेकिन याद रखें, स्व-इसेज का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए; हर कदम पेशेवर मार्गदर्शन में ही उठाएँ।समय पर जांच, सही लक्षण पहचान और तुरंत इलाज निपाह संक्रमण को नियंत्रित करने की कुंजी हैं। अगर आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति इन संकेतों से जुड़ा दिखता है तो देर न करें—डॉक्टर को दिखाएँ और स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का पालन करें।
निपाह वायरस के बारे में जानकारी साझा करना भी बहुत ज़रूरी है। अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों को यह बता कर आप एक बड़ा कदम उठा रहे हैं कि इस बीमारी से बचाव कैसे किया जा सकता है। याद रखें, जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
केरल के मलप्पुरम जिले में 14 वर्षीय बालक की निपाह वायरस पॉज़िटिव पाए जाने के एक दिन बाद मौत हो गई। बालक का निधन कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ। केरल के स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात की पुष्टि की और संक्रमण रोकने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए। पहले भी निपाह वायरस केरल में घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं।