जब हम महर्षि वाल्मीकि की बात करते हैं, तो महर्षि वाल्मीकि, प्राचीन भारत के प्रमुख कवि‑ऋषि, जिन्होंने महाकाव्य रामायण रची को सबसे पहले याद करते हैं। रामायण, वाल्मीकि द्वारा लिखित महाकाव्य, जिसमें राजसी कथा और नैतिक शिक्षाएँ हैं ने भारतीय सोच को दिशा दी। इस कथा में अयोध्या, राम का जन्मस्थल, जहाँ कई प्रमुख घटनाएँ घटित होती हैं प्रमुख स्थान रखती है, जबकि भाषा का आधार संस्कृत, प्राचीन भारतीय भाषा, जिसमें वाल्मीकि ने अपनी रचना को अभिव्यक्त किया है। वाल्मीकि के विचारों की जड़ें गहरी वन, ध्यान और तपस्या का स्थल, जहाँ उन्होंने ऋषि जीवन अपनाया में भी पाई जा सकती हैं।
वाल्मीकि ने कहा कि "धर्म ही जीवन का मूल है" — यह विचार रामायण की कथा में कई जगह दोहराया गया है, जैसे कि राम‑रावण की लड़ाई में धर्म की जीत। यह सत्य अब भी मानवता के मूलभूत सिद्धांतों में गूँजता है। रामायण के पात्रों की भावनात्मक गहराई ने बाद के रचनाकारों को प्रेरित किया। तुलसीदास ने वाल्मीकि की राम कथा को आधार बनाकर रामचरितमानस लिखा, जबकि बोधिसत्वों के सिद्धांत ने कई शास्त्रीय नाटक में जगह बनाई। इस प्रकार "वाल्मीकि ने रामायण रचा" (semantic triple) और "रामायण कथा में अयोध्या प्रमुख स्थान है" (semantic triple) दोनों परस्पर जुड़े हुए हैं।
वह एक साधु थे जो जीवन भर कठिन तपस्याएँ करते रहे। उनकी कथा में एक प्रमुख बात है कि उन्होंने वन में ध्यान साधना को अपनाया, जिससे उन्होंने मानसिक शांति और लेखन की प्रेरणा पाई। यह दिखाता है कि "संस्कृत भाषा वाल्मीकि की लेखन माध्यम थी" (semantic triple) और "वन में ध्यान साधना वाल्मीकि की प्रेरणा थी" (semantic triple)। आज के साहित्य में भी वाल्मीकि के सिद्धांतों का अनुसरण किया जाता है। कई आधुनिक उपन्यास, ग्रंथ, और फिल्में रामायण के मूल मूल्यों को पुनर्स्थापित करते हैं, जैसे कि न्याय, प्रेम, और कर्तव्य।
नीचे आप विभिन्न लेख, समाचार और विश्लेषण देखेंगे जो महर्षि वाल्मीकि के जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनके शास्त्रीय योगदान, और वर्तमान में उनके विचारों के प्रयोग को उजागर करते हैं। आप पढ़ेंगे कि कैसे उनके कार्यों ने भारतीय सांस्कृतिक पहचान को आकार दिया, और आज भी उनका प्रभाव कैसे जीवित है। यह संग्रह आपके लिए एक व्यापक संसाधन बनेगा, चाहे आप इतिहास को समझना चाहें या आध्यात्मिक संदेशों को अपने जीवन में लागू करना चाहते हों।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 7 अक्टूबर 2025 को महर्षि वाल्मीकि जयंती पर सभी मंदिरों में अखंड रामायण पाठ का आयामिक आयोजन किया, जिसमें मेरठ के डॉ. वीके सिंह ने नुपुर गोयल को नोडल अधिकारी नियुक्त किया।