अगर आप कुंभ मेले का प्लान बना रहे हैं तो ये लेख आपके लिए है। हम आपको बतायेंगे कि मेले में कौन‑से कार्यक्रम होते हैं, सबसे भीड़ भरा समय कब रहता है और यात्रा के दौरान किन चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए।
कुंभ मेले की शुरुआत प्राचीन काल से हुई है जब संत लोग स्नान को पवित्र मानते थे। हर 12 साल में चार प्रमुख नदियों के किनारे यह मेला आयोजित होता है – प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक। इन स्थानों पर मिलन का अर्थ है आध्यात्मिक शुद्धि और रोग‑मुक्ति।
इतिहासकार बताते हैं कि महाभारत में भी कुंभ मेले की झलक मिलती है। इसलिए आज‑कल लोग सिर्फ धार्मिक कारण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक माहौल और अनोखे खाने‑पीने के लिए भी आते हैं।
मेले में सबसे बड़ा आकर्षण स्नान घाट है। सुबह 6 बजे से लेकर शाम 9 बजे तक विभिन्न आरती, बाणास्री धूप, संगीत वाद्ययंत्रों की आवाज़ें सुनने को मिलती हैं। अगर आप पहली बार जा रहे हैं तो सवेतर घाट पर जल्दी पहुँचना फायदेमंद रहेगा क्योंकि भीड़ वहाँ सबसे ज़्यादा होती है।
स्नान के अलावा यहाँ शिल्प बाजार, हस्तशिल्प स्टॉल और स्थानीय व्यंजन की दुकानें लगती हैं। पथेरू (भेड़ों का मांस) से बने कबाब, जलेबी‑पुरी और कचौड़ी‑अचार खास तौर पर पसंद किए जाते हैं।
बच्चों के लिए झूला, घोड़सवारी और बैनर की प्रतियोगिताएं भी आयोजित होती हैं। इन छोटे‑छोटे इवेंट्स से मेले का माहौल और रंगीन बन जाता है।
अगर आप आध्यात्मिक पहलू में रूचि रखते हैं तो कुंभ मेला के दौरान होने वाले व्याख्यान, सत्संग और योग शिविर को मिस न करें। कई प्रतिष्ठित संत और विद्वान यहाँ आते हैं और लोगों को जीवन‑संकल्प पर सलाह देते हैं।
रहने की सुविधा के लिए मेले के पास कई सरकारी पनाहगाह और निजी कैंपिंग साइट्स उपलब्ध हैं। जल्दी बुकिंग करने से सस्ती दरों में जगह मिल जाती है। रात में अगर आप धूप वाले स्थान पर रहेंगे तो सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है – अपनी वस्तु‑सामान को हमेशा लॉक रखें।
भोजन की बात करें तो मेले के अंदर ही कई स्वच्छ खाने‑पीने की स्टॉल हैं, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कारणों से पानी को बोतल में खरीदना बेहतर रहेगा। साथ ही कुछ स्थानीय डॉक्टर भी प्राथमिक उपचार के लिए उपलब्ध होते हैं।
यात्रा की योजना बनाते समय ट्रेन और बस का समय पहले देख लें। कुंभ मेले वाले शहरों में अक्सर अतिरिक्त ट्रेनों का प्रबंध किया जाता है, पर टिकट जल्दी खत्म हो जाते हैं। यदि आप निजी वाहन से आ रहे हैं तो पार्किंग के लिए आधी रात तक का टाइम स्लॉट बुक करना समझदारी होगी।
मेले की भीड़ को संभालने के लिये स्थानीय पुलिस और स्वयंसेवकों ने विशेष टीम बनायी है। अगर आप कहीं अटक जाएँ या मदद चाहिए, तो इन स्टाफ़ से संपर्क कर सकते हैं। उनका नंबर अक्सर मेले की एंट्री पर लगे बोर्ड में लिखा रहता है।अंत में, कुंभ मेले का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यहाँ हर उम्र के लोग मिलते‑जुलते हैं और एक साथ अनुभव साझा करते हैं। चाहे आप धार्मिक हों या सिर्फ़ मस्ती‑खुशी की तलाश में हों, इस मेले में सबके लिए कुछ न कुछ खास है।
तो अब देर किस बात की? अपना बैग पैक करें, यात्रा योजना बनाएं और कुंभ मेले का जादू खुद महसूस करें!
नई दिल्ली के मुख्य रेलवे स्टेशन पर 16 फरवरी, 2025 को एक भगदड़ में 18 लोगों की मृत्यु हुई। प्रभावित व्यक्तियों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। लगभग दर्जन भर लोग घायल हो गए। भीड़ के कारण व्यापार शुरू होने से पहले प्लेटफॉर्म 12 से प्लेटफॉर्म 16 पर अचानक की गई घोषणा से भ्रम और बढ़ गया। सरकार ने जाँच के आदेश दिए हैं और मुआवज़ा घोषित किया है।