जब हम कहते हैं ‘जन्मदर’, तो असल में बात जन्म दर की होती है। यह बताता है कि हर साल कितनी बार लोग पैदा होते हैं, यानी एक हजार लोगों पर कितने बच्चा जन्म लेते हैं। अगर आप अपने गांव या शहर के अस्पताल की रिपोर्ट देखें, तो वही आंकड़े अक्सर दिखते हैं.
सरकार और शोधकर्ता कुल जनसंख्या में पैदा हुए बच्चों का प्रतिशत निकालते हैं। फ़ॉर्मूला बहुत आसान है: (कुल जन्म संख्या ÷ कुल जनसंख्या) × 1000. उदाहरण के तौर पर, अगर किसी साल भारत की आबादी 1.4 बिलियन और जन्म 25 मिलियन हों, तो जन्मदर लगभग 18 होगी. ये नंबर हमें बताते हैं कि जनसंख्या कितनी तेजी से बढ़ रही है.
पिछले कुछ दशकों में भारत की जन्म दर धीरे‑धीरे घट रही है। 1990 में यह लगभग 30 थी, जबकि अब 2023 में करीब 17-18 पर स्थिर हो गई है. इसका कारण बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा का स्तर बढ़ना और महिलाओं के कामकाज में भागीदारी है. छोटे परिवारों को चुनने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है क्योंकि बच्चा पालना महंगा हो गया.
पर जन्मदर घटाने से केवल आर्थिक लाभ नहीं होता; यह पर्यावरण पर दबाव कम करता है, स्कूल और अस्पताल जैसी सुविधाओं के लिये संसाधन आसानी से उपलब्ध होते हैं. सरकार ने कई योजनाएं चलाईं जैसे ‘बच्चा मुक्त’ अभियान, परिवार नियोजन केंद्र, और महिलाओं को काम करने के अवसर देने वाले प्रोग्राम.
अगर आप एक युवा दम्पती हैं तो जन्मदर समझना आपके लिये भी फायदेमंद है। जब आप दो बच्चे रखने की सोचते हैं, तो वित्तीय योजना बनानी पड़ेगी – स्कूल फीस, स्वास्थ्य बीमा और भविष्य में कॉलेज के खर्चे. छोटे परिवार का मतलब कम खर्चा और बेहतर जीवन स्तर.
किसी भी क्षेत्र में जन्मदर को ट्रैक करने से स्थानीय प्रशासन को मदद मिलती है कि उन्हें कितनी स्कूलें या अस्पताल चाहिए। अगर किसी जिले में अभी‑ही जन्म दर बढ़ रही हो, तो सरकार नई प्राथमिक विद्यालयों की योजना बना सकती है.
संक्षेप में, जन्मदर एक ऐसा आंकड़ा है जो बताता है कि समाज कितना तेज़ी से बढ़ रहा है. इसे समझकर हम अपनी व्यक्तिगत और सामाजिक योजनाएं बेहतर बना सकते हैं. अगर आप चाहें तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या सरकारी पोर्टल पर जाकर अपने क्षेत्र की नवीनतम जन्म दर देख सकते हैं.
आखिरकार, जन्मदर सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि हमारे भविष्य का नक्शा है. इसे जानकर हम बेहतर निर्णय ले सकते हैं – चाहे वह परिवार नियोजन हो, शिक्षा योजना या नौकरी के अवसरों की तैयारी।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस की घटती जन्मदर के समाधान के लिए एक साहसिक पहल की शुरुआत की है। पुतिन ने रूसियों को अपने कार्यक्षेत्र की अवकाश अवधि का उपयोग प्रजनन के लिए करने का आग्रह किया है। सरकार फर्टिलिटी टेस्ट और आर्थिक प्रोत्साहन की पेशकश कर रही है। यह योजना देश की दीर्घकालिक सुरक्षा और जनसंख्या वृद्धि के लिए आवश्यक है।