प्रियंका गांधी ने लिया लोकसभा उपचुनाव में वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला

प्रियंका गांधी ने लिया लोकसभा उपचुनाव में वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला
Shubhi Bajoria 18 जून 2024 6 टिप्पणि

प्रियंका गांधी का नया राजनीतिक कदम

प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने राजनीतिक करियर का नया अध्याय शुरू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने वायनाड से लोकसभा उपचुनाव लड़ने की घोषणा की है। इस फैसले ने कांग्रेस पार्टी में एक नई स्फूर्ति ला दी है, और पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी जोश भर दिया है। प्रियंका गांधी के इस निर्णय से उनकी राजनीतिक योग्यता और नेतृत्व क्षमता पर एक बार फिर से मुहर लग गई है।

वायनाड से चुनाव लड़ने का निर्णय

वायनाड से चुनाव लड़ने के फैसले पर प्रियंका गांधी ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि वह इस क्षेत्र के लोगों के लिए हर संभव प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि वायनाड के लोगों की उम्मीदें उन पर टिकी हैं और वह उनके विश्वास पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करेंगी।

रायबरेली के साथ संबंध

प्रियंका गांधी ने यह स्पष्ट किया है कि वायनाड से चुनाव लड़ने के बाद भी उनके और रायबरेली के बीच का संबंध बना रहेगा। उन्होंने कहा कि वह पिछले 20 सालों से रायबरेली में काम कर रही हैं और वहां के लोगों के साथ उनकी घनिष्ठता बनी रहेगी। उनके इस बयान से रायबरेली के लोगों में भी संतुष्टि की भावना उभरी है।

प्रियंका गांधी की राजनीतिक यात्रा

प्रियंका गांधी की राजनीतिक यात्रा

प्रियंका गांधी ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी रणनीति के तहत कांग्रेस पार्टी ने रायबरेली और अमेठी जैसी प्रतिष्ठित सीटें जीतीं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव के साथ गठबंधन बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो यूपी में कांग्रेस के पुनरुत्थान में सहायक साबित हुआ।

यूपी में कांग्रेस का पुनरुत्थान

प्रियंका गांधी की रणनीति और नेतृत्व के कारण उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित किया गया। उनके प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस पार्टी ने कई महत्वपूर्ण सीटों पर विजय हासिल की और राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

हिमाचल प्रदेश में महत्वपूर्ण भूमिका

प्रियंका गांधी ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व किया और कांग्रेस को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी रणनीति और मेहनत के कारण ही कांग्रेस ने वहां की सत्ता पर कब्जा जमाया।

गांधी परिवार का ऐतिहासिक कदम

गांधी परिवार का ऐतिहासिक कदम

यदि प्रियंका गांधी वायनाड से लोकसभा उपचुनाव जीत जाती हैं, तो यह गांधी परिवार के लिए एक ऐतिहासिक घटना होगी। पहली बार प्रियंका, उनकी मां सोनिया गांधी और उनके भाई राहुल गांधी तीनों संसद में एक साथ होंगे। इससे कांग्रेस पार्टी में एक नई ऊर्जा का संचार होगा और पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ेगा।

प्रियंका गांधी के इस निर्णय से भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। उनकी राजनीतिक सूझ-बूझ और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें कांग्रेस पार्टी का नया संकट मोचक बना दिया है। उनकी इस राजनीतिक यात्रा का हर कदम कांग्रेस पार्टी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

6 टिप्पणि
avi Abutbul जून 19 2024

वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला बहुत अच्छा हुआ। प्रियंका जी अब तक जहां भी गईं, वहां के लोगों के दिल जीत लिए। ये निर्णय सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि लोगों के बीच जुड़ाव का प्रतीक है।

Hardik Shah जून 20 2024

अरे ये सब गांधी फैमिली का रिश्ता बनाए रखने का नाटक है। रायबरेली से जीतने के बाद भी वहां के लोगों को कुछ मिला? अब वायनाड में भी वही बातें करेंगे। इतनी बड़ी पार्टी और इतनी छोटी सोच।

manisha karlupia जून 21 2024

क्या ये सिर्फ एक चुनाव है या एक पीढ़ी का संक्रमण? मुझे लगता है कि प्रियंका जी ने अपने घर के इतिहास को नए तरीके से जीने का फैसला किया है। रायबरेली का बंधन नहीं टूट रहा, बल्कि वायनाड में एक नया बंधन बन रहा है। शायद यही तो वास्तविक नेतृत्व है।

vikram singh जून 23 2024

अरे भाई! ये तो बस गांधी फैमिली का राजनीतिक ब्रांडिंग बूम है! जैसे कोई नया आइसक्रीम फ्लेवर लॉन्च कर रहा हो - वायनाड वाला! सोनिया जी का डिज़ाइन, राहुल जी का टेस्ट, और अब प्रियंका जी का गोल्डन स्पून! अगर ये जीत गईं तो अगला चरण - गांधी परिवार का लोकसभा टीम बनाना! तीनों एक साथ, चारों ओर से फैंस भीड़ लगेगी!

balamurugan kcetmca जून 23 2024

इस निर्णय के पीछे केवल राजनीतिक गणित नहीं, बल्कि एक गहरा सामाजिक संकल्प है। प्रियंका गांधी ने अपने अतीत को नहीं छोड़ा, बल्कि उसे एक नए भू-राजनीतिक संदर्भ में स्थान दिया। रायबरेली का संबंध उनकी राजनीतिक पहचान का आधार है, और वायनाड का चुनाव उसी आधार पर एक नया अध्याय लिख रहा है। ये तो बस चुनाव नहीं, ये एक राष्ट्रीय संवाद है - जहां एक व्यक्ति के निर्णय से दर्जनों के विश्वास जुड़ जाते हैं। इस तरह के नेतृत्व को देखकर लगता है कि भारतीय राजनीति में अभी भी उम्मीद का दीपक जल रहा है।

Arpit Jain जून 23 2024

अरे ये सब बकवास है। जब तक गांधी परिवार के बिना कांग्रेस नहीं चलेगा, तब तक ये पार्टी बर्बाद ही होगी। वायनाड में जीतने का मतलब ये नहीं कि लोगों को खुश किया गया, बल्कि ये कि अब तक का राजनीतिक अनुकरण जारी है। बस एक और नाम लगा दिया, बाकी सब वही।

कुछ कहो