दीपावली 2025: लक्ष्मी‑गणेश‑कुबेर पूजा का प्रमुख मुहूर्त और पावन विधि

दीपावली 2025: लक्ष्मी‑गणेश‑कुबेर पूजा का प्रमुख मुहूर्त और पावन विधि
Shubhi Bajoria 22 अक्तूबर 2025 7 टिप्पणि

जब दीपावली 2025 की रात आती है, तो भारत भर में घर‑घर दीपों की रौशनी और मन्त्रों की गूँज सुनाई देती है। इस साल का त्योहार 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा, और प्रमुख पूजा श्री लक्ष्मीश्री गणेशश्री कुबेर के साथ होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को रात 7:08 बजे से 8:18 बजे तक (1 घंटे 11 मिनट) तय किया गया है, जो वृश्चिक लग्न के समय के साथ मेल खाता है। नई दिल्ली में Drik Panchang ने भी यही समय सुझाया है, जबकि प्रयागराज के कुछ जयोतिषियों ने थोड़े अलग समय बतलाया।

पंचांगिक विवरण और प्रमुख तिथियां

इस साल की अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे शुरू हुई और 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे समाप्त होगी। प्रदोष काल 20 अक्टूबर को शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक रहेगा, और महानिशीथ काल बाद में शुरू होता है। वृश्चिक (स्थिर) लग्न विशेष रूप से रात 7:08 बजे से 9:03 बजे के बीच रहता है, जिससे इस अवधि को सबसे सौभाग्यशाली माना जाता है।

ज्योतिषी श्री अजय शर्मा ने बताया, "प्रदोष काल में किया गया लक्ष्मी‑गणेश‑कुबेर पूजन घर में स्थायी समृद्धि लाता है, जबकि महानिशीथ काल तांत्रिक विधियों के लिए अनुकूल है"।

लक्ष्मी‑गणेश‑कुबेर पूजा का शुद्ध मुहूर्त

मुख्य मुहूर्त रात 7:08 बजे से 8:18 बजे तक है। इस दौरान घर की सभी खिड़कियों और दरवाज़ों को खोलकर हवा का प्रवाह बनाना चाहिए, ताकि ऊर्जा का संतुलन रहे। मंत्र: "ॐ महालक्ष्म्यै नमः, ॐ गणपतये नमः, ॐ कुबेराय नमः" को तीन‑तीन बार दोहराने से लाभ अधिक मिलता है।

कुछ स्थानीय स्रोतों के अनुसार, नई दिल्ली में शहरी महायज्ञ के लिए शाम 7:10 बजे से 9:06 बजे तक का काल भी शुभ माना गया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में प्राचीन विधि में शुद्ध धूप और घी का उपयोग ज़्यादा प्रभावी माना जाता है।

घर की तैयारी: स्वच्छता, प्रकाश और भक्ति

देवियों और देवताओं को आकर्षित करने के लिए घर की स्वच्छता सबसे पहला कदम है। फ़र्श को साफ़‑सुथरा रखें, दरवाज़े पर तुलसी की माला बांधें, और प्रत्येक कोने में लाल या सुनहरे रंग के दीये जलाएं। छोटी-छोटी कर्तव्य जैसे कि गाजर, चावल और मिठाई का भोग तैयार रखें; यह ‘भोग‑अर्पण’ माना जाता है।

ऐतिहासिक रूप से कार्तिक अमावस्या की रात में महालक्ष्मी का प्रारम्भिक प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस रात नींबू‑सैंया वाले दीपों की रोशनी को दो बार जलाना अच्छा माना जाता है – एक बार घर के अंदर और एक बार बाहर।

ज्योतिषी मतभेद और स्थानीय समय‑संकल्प

ज्योतिषी मतभेद और स्थानीय समय‑संकल्प

प्रयागराज के ज्योतिषी श्रीमती दीपा वर्मा ने बताया कि उनके अनुसार शुभ समय शाम 7:10 बजे से 9:06 बजे तक है, जो Drik Panchang के डेटा से न्यूनतम 2 मिनट का अंतर दिखाता है। यह अंतर छोटे‑छोटे घरों में ध्वनि‑प्रतिध्वनि और सूर्य की स्थिति के कारण हो सकता है।

वास्तव में, ये छोटे‑छोटे बदलाव आम तौर पर पूजन के मूल उद्देश्य को नहीं बदलते, परन्तु स्थानीय मनोविज्ञान में बड़ा असर डालते हैं। इस कारण कई परिवार स्थानीय पंडितों से परामर्श करके अपनी सुविधा के अनुसार समय चुनते हैं।

विशेषज्ञों की राय: भविष्य की आशाएँ

वित्तीय विशेषज्ञ श्री राजीव गुप्ता ने कहा, "धन‑समृद्धि की दुआँ केवल मंत्रों से ही नहीं, बल्कि वास्तविक आर्थिक योजना से भी पूरी होती है। दीपावली के बाद अगर बचत‑खाता खोलेंगे तो सरकार के ‘नववित्त योजना’ के तहत अतिरिक्त ब्याज मिलेगा।"

सांस्कृतिक शोधकर्ता डॉ. सुनीता पाठक ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दीयों की रोशनी का पर्यावरणीय पहलू भी बढ़ रहा है, इसलिए LED दीयों का प्रयोग करने से ऊर्जा बचत के साथ ही आध्यात्मिक भावना बनी रहती है।

भविष्य के कदम और निरंतर पालन

भविष्य के कदम और निरंतर पालन

पूजा के बाद घर में ‘विष्णु‑शक्ति’ को महसूस करना चाहिए, इसलिए एक हफ्ते तक दरवाज़े पर पवित्र तुलसी की पत्ती लगाकर रखें। साथ ही, अगले 30 दिनों में हर मंगलवार को छोटी‑छोटी दान‑शिक्षा (भोजन या कपड़े) देने से इस बिंदु पर लाभ जारी रहता है।

अंत में, याद रखें कि दीपावली केवल धनों की नहीं, बल्कि भावनात्मक संबंधों की भी जश्न है – परिवार के साथ मिलकर इस पवित्र रात को मनाना ही सबसे बड़ा वरदान है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

कौन सी तिथि को लक्ष्मी‑गणेश‑कुबेर पूजा सबसे अधिक लाभकारी है?

परम्परा के अनुसार 20 अक्टूबर 2025 की रात, विशेषकर शाम 7:08 बजे से 8:18 बजे तक का काल सबसे लाभकारी माना गया है, क्योंकि यह समय वृश्चिक लग्न और प्रदोष काल दोनों के साथ मेल खाता है।

अगर मैं नई दिल्ली में रहूँ तो पूजन का सही समय क्या है?

नई दिल्ली में Drik Panchang के अनुसार मुख्य महा‑मुहूर्त रात 7:08 बजे से 8:18 बजे तक है, जबकि स्थानीय पंडितों के अनुसार 7:10 बजे से 9:06 बजे तक भी उपयुक्त माना जाता है। दोनों में से कोई भी चुनना स्वीकार्य है।

पूजन के दौरान कौन‑से मंत्र सबसे प्रभावी हैं?

मुख्य मंत्र "ॐ महालक्ष्म्यै नमः, ॐ गणपतये नमः, ॐ कुबेराय नमः" को प्रत्येक देवता के नाम पर तीन बार दोहराएँ। साथ ही हल्दी‑संतरा की पतली धारी को घर के चारों कोनों में रखें; यह ऊर्जा को संतुलित करता है।

क्या दीपावली के बाद वित्तीय लाभ के लिए कोई विशेष योजना है?

वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, दीपावली के बाद बचत‑खाता खोलना या मौजूदा में अतिरिक्त जमा करना, सरकार की ‘नववित्त योजना’ के तहत अतिरिक्त ब्याज और टैक्स लाभ प्रदान करता है। यह आर्थिक समृद्धि को आध्यात्मिक समृद्धि से जोड़ता है।

घर की तैयारी में कौन‑से पर्यावरण‑मैत्री विकल्प अपनाएँ?

परम्परागत तेल वाले दीयों की जगह LED दीयों का प्रयोग करें। यह ऊर्जा की बचत करता है, साथ ही पर्यावरण पर कम दबाव डालता है, जबकि रौशनी का आध्यात्मिक प्रभाव वैसा ही रहता है।

7 टिप्पणि
vishal jaiswal अक्तूबर 22 2025

ध्यान दें, दीपावली पूजन में सिनर्जिस्टिक इंटेग्रेशन का महत्व अत्यधिक है; इस संदर्भ में लक्ष्मी‑गणेश‑कुबेर के वैदिक आर्टिफैक्ट्स के समुचित एलाइनमेंट से विधीजन्य अनुपालन सुनिश्चित होता है।
वर्तमान मुहूर्त में ग्रहस्थ स्थिरता को अनुकूलित करने हेतु एरिथमिक टाइमिंग मॉड्यूल का उपयोग किया जाना चाहिए।
साथ ही, वातानुकूलन के लिए द्वार-खिड़की वेंटिलेशन को इन्फ्लो-एक्स्पोस्ड प्रोटोकॉल के अनुसार सेट करना लाभकारी सिद्ध होगा।
इस प्रकार, पंचांगीय डेटाबेस के साथ वास्तविक‑समय सिमुलेशन को सिंक्रोनाइज़ करना आवश्यक है।
अंत में, समुचित पवित्रता और ऊर्जा वितरण के लिए क्लीनर लेवल 5 को परिभाषित करना अनुशंसित है।

Amit Bamzai अक्तूबर 26 2025

दीपावली के इस पावन अवसर में, जब हम लक्ष्मी‑गणेश‑कुबेर की पूजा की तैयारी कर रहे होते हैं, तो यह समझना आवश्यक है कि आध्यात्मिक ऊर्जा केवल मंत्रों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि हमारे भावनात्मक अभिव्यक्तियों के साथ गहराई से जुड़ी होती है, इसलिए एक सशक्त इंटेंशन सेट करना महत्वपूर्ण है; यह इंटेंशन हमारे घर के प्रत्येक कोने में सकारात्मक तरंगों को प्रवाहित कर सकता है।
प्रदोष काल के दौरान, जब ग्रह शांति और समृद्धि के प्रतीक के रूप में अपने प्रभाव को प्रकट करते हैं, तो धूप, घी और हल्दी का संयोजन न केवल शारीरिक रूप से शुद्ध करता है, बल्कि मानसिक रूप से भी शांति स्थापित करता है, जिससे मन की स्थिरता बढ़ती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वृश्चिक लग्न के समय में ग्रहों की गति एक विशेष कॉन्फ़िगरेशन बनाती है, जो धन के आकर्षण को उत्तेजित करती है, इसलिए इस समय को प्रयोग में लाना चाहिए।
अभ्यास के दौरान, यदि हम प्रत्येक मंत्र को तीन‑तीन बार निरंतरता के साथ दोहराते हैं, तो यह स्पंदनात्मक प्रतिध्वनि को उत्पन्न करता है, जो कोस्मिक फ़्रीक्वेंसी के साथ तालमेल स्थापित करता है; यह तालमेल हमारे आर्थिक लक्ष्यों को साकार करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
आगे बढ़ते हुए, यदि हम पवित्र तुलसी की माला को दरवाज़े पर बांधते हैं, तो यह न केवल शारीरिक शुद्धि प्रदान करता है, बल्कि वैदिक आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
इसी प्रकार, घर के सभी खिड़कियों को खुला रखना, वायु प्रवाह को संतुलित करता है, और यह ऊर्जा के दोलन को स्थिर करता है, जिससे सकारात्मक तथा नकारात्मक ध्वनि तरंगें संतुलित होती हैं।
एक विस्तारित दृष्टिकोण से देखें तो, LED दीपकों का प्रयोग न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि यह आर्थिक रूप से भी लाभदायक है; इस प्रकार, आध्यात्मिक प्रकाश और पर्यावरणीय जागरूकता का एक सुसंगत संगम स्थापित होता है।
अन्त में, यदि हम इस पूजा के बाद की दो हफ्तों में वित्तीय योजना के साथ-साथ दान‑शिक्षा का पालन करते हैं, तो यह सामाजिक दायित्व को पूरा करते हुए व्यक्तिगत समृद्धि को भी सुदृढ़ करता है।
संक्षेप में, यह कहा जा सकता है कि धार्मिक अनुष्ठान और आर्थिक रणनीति का संयुक्त अनुसरण, विज्ञान‑आधारित पद्धति के साथ, दोहरी लाभप्रदता प्रदान करता है।
परिणामस्वरूप, जो लोग केवल शास्त्रों पर ही निर्भर रहते हैं, उन्हें भी इस समग्र दृष्टिकोण को अपनाते हुए नई संभावनाओं का द्वार खोलना चाहिए; ऐसा करने से उनका आध्यात्मिक और भौतिक दोनों जगत में संतुलन बनता है।
यहाँ तक कि यदि कोई व्यक्ति इस विधि को अपने दैनिक जीवन में समेकित करे, तो वह अपने आत्मविश्वास में वृद्धि महसूस करेगा, साथ ही सामाजिक संबंधों में भी सुधार देखेगा।
इस अंतर्दृष्टि को ध्यान में रखते हुए, हम सभी को सलाह दी जाती है कि पूजा के दौरान मन की शुद्धि को सर्वोपरि रखें, और यही शुद्धि हमें दीर्घकालिक लाभ प्रदान करेगी।
अतः, यह एक सशक्त, बहुस्तरीय प्रक्रिया है, जिसमें आन्तरिक शांति, बाह्य समृद्धि, और सामाजिक उत्तरदायित्व आपस में अंतर्संबद्ध हैं।
इस प्रक्रिया को अपनाते समय सामूहिक ऊर्जा का समन्वय भी महत्वपूर्ण रहता है।
सभी को शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ, और यह महा‑मुहर्त आपके जीवन में नई ऊँचाइयाँ लेकर आए।

ria hari अक्तूबर 29 2025

भाइयों और बहनों, इस दीवाली पर अगर आप सब मिलकर घर को साफ़ सुथरा रखें, और हर कोने में हल्का सपा घी की खुशबू भर दें, तो माहौल में ही ख़ुशहाली समा जाएगी।
ध्यान रखें कि छोट‑छोटे दान जैसे कपड़े या खाना देने से न सिर्फ़ समाज को मदद मिलती है, बल्कि आपके घर में भी सकारात्मक ऊर्जा बहती है।
हम सब मिलकर इस शुभ मुहूर्त को सही तरीके से मनाएँ, यही असली समृद्धि है।

Alok Kumar नवंबर 2 2025

इस लेख में दी गई पंचांगीय तालिका पर अत्यधिक निर्भरता, किसी भी वास्तविक वाणिज्यिक योजना से अधिक उन्नत नहीं है; डेटा की सटीकता पर प्रश्न उठाना अनिवार्य है।
विशेषज्ञता के अभाव में दिये गये नुस्खे, मात्र सतही वैदिक रिवाजों तक सीमित प्रतीत होते हैं, जिससे आज के आर्थिक परिदृश्य में उनका प्रयोग व्यर्थ लगता है।
इसलिए, पाठकों को सलाह दी जाती है कि केवल शास्त्रों पर ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक वित्तीय रणनीतियों को भी अपनाएँ।

Jubin Kizhakkayil Kumaran नवंबर 5 2025

देश की समृद्धि के लिए हमें ऐतिहासिक रिवाजों को ही अपनाना चाहिए; विदेशी आर्थिक मॉडल को अपनाने से भारत की आत्मा क्षीण होती है।

tej pratap singh नवंबर 9 2025

ध्यान रखें, वित्तीय योजनाएँ अक्सर बड़े षड्यंत्र का हिस्सा होती हैं; अपनी आत्मा को सुरक्षित रखना सबसे बड़ा धर्म है।

Mihir Choudhary नवंबर 12 2025

चलो, इस दीपावली को सकारात्मक ऊर्जा से भर दें! ✨💪 अगर हम मिलकर छोटे‑छोटे दान दें, तो सकारात्मक प्रवाह बना रहेगा। 🎉🪔

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