अगर आप शेयर‑बाजार में हाथ आज़माना चाहते हैं लेकिन सीधे स्टॉक चुनना मुश्किल लगता है, तो क्वांट म्यूचुअल फ़ंड आपके लिये ठीक रह सकता है। यह फ़ंड कंप्यूटर मॉडल और आँकड़े इस्तेमाल करके निवेश के फैसले लेता है, ना कि व्यक्तिगत भावना या अनुमान पर। इसलिए जोखिम कम रहता है और रिटर्न स्थिर हो सकते हैं।
पहला सिद्धांत है डेटा‑ड्रिवन निर्णय। फ़ंड मैनेजर्स बड़े पैमाने पर ऐतिहासिक कीमत, वॉल्यूम और कंपनियों की वित्तीय रिपोर्ट का विश्लेषण करके ऐसे शेयर चुनते हैं जो भविष्य में अच्छा कर सकते हैं। दूसरा नियम है एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग – कंप्यूटर प्रोग्राम तुरंत खरीद‑बेच का काम करता है, जिससे समय का नुकसान नहीं होता। तीसरा, पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन – अलग‑अलग सेक्टर के शेयर मिलाकर जोखिम को फैलाया जाता है। इन तीन बातों से फ़ंड की परफ़ॉर्मेंस अक्सर मार्केट औसत से बेहतर रहती है।
पहला, ऐतिहासिक रिटर्न देखिए। 3‑5 साल की रिटर्न ग्राफ़ देखें और समझें कि फ़ंड ने मार्केट चक्रों में कैसे प्रदर्शन किया। दूसरा, खर्चा दर (Expense Ratio) पर ध्यान दें; कम फीस वाले फ़ंड आपका मुनाफ़ा ज्यादा रखेंगे। तीसरा, फंड का आकार देखिए – बहुत बड़ा फंड लिक्विडिटी समस्याएँ पैदा कर सकता है, जबकि छोटा फ़ंड कभी‑कभी अस्थिर हो सकता है। चौथा, एसेट क्लास और सेक्टर की जानकारी लें; अगर आप टेक्नोलॉजी में भरोसा रखते हैं तो ऐसे फ़ंड देखें जो इस क्षेत्र पर ज़्यादा फोकस करते हों।
इन बिंदुओं को याद रखकर आप अपने लक्ष्य के हिसाब से क्वांट फ़ंड चुन सकते हैं। यदि आपका निवेश लक्ष्य दीर्घकालिक है, तो SIP (Systematic Investment Plan) शुरू करना समझदारी होगी। हर महीने तय रकम डालने से मार्केट की उछाल‑पिचल का असर कम होता है और रिटर्न धीरे‑धीरे बढ़ता है।
क्वांट फ़ंड में निवेश करने से पहले अपनी जोखिम क्षमता भी जाँचें। अगर आप हल्की गिरावट सह सकते हैं तो हाई‑ग्रोथ क्वांट फ़ंड देखें, लेकिन यदि स्थिर आय चाहिए तो ब्लेंडेड या डिफेंसिव फ़ंड बेहतर होंगे। याद रखें, कोई भी फ़ंड 100% सुरक्षित नहीं होता, इसलिए हमेशा अपने पोर्टफोलियो को विविध बनाकर रखें।
फ़ंड की नियमित रिपोर्ट पढ़ना न भूलें। अधिकांश म्यूचुअल कंपनियों की वेबसाइट पर महीने‑वार या तिमाही‑वार अपडेट मिलती है। इससे आपको पता चलेगा कि फ़ंड ने कौन‑से शेयर बेचे और नए किसमें निवेश किया। यदि आप समझते हैं कि रणनीति आपके लिये नहीं चल रही, तो बिना देर किए बदलाव कर सकते हैं।
एक बात खास ध्यान देने वाली है – टैक्स इम्पैक्ट। क्वांट म्यूचुअल फ़ंड से मिलने वाले डिविडेंड या कैपिटल गेन पर टैक्स नियम अलग होते हैं। लम्बी अवधि (3 साल से अधिक) के लिए रखे गए निवेश पर कर में छूट मिलती है, इसलिए लंबा निवेश प्लान बनाना फायदेमंद रहेगा।
अंत में, याद रखें कि क्वांट फ़ंड सिर्फ एक उपकरण है। इसे समझदारी से इस्तेमाल करने पर यह आपको मार्केट की अस्थिरता से बचाते हुए स्थायी रिटर्न दे सकता है। अभी अपने लक्ष्य तय करें, सही फ़ंड चुनें और छोटे‑छोटे निवेशों से शुरुआत करके धीरे‑धीरे पोर्टफोलियो बनाएं।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) क्वांट म्यूचुअल फंड के खिलाफ फ्रंट-रनिंग के आरोपों की जांच कर रहा है। मुंबई और हैदराबाद में छापेमारी की गई और कई व्यक्तियों से पूछताछ की गई। क्वांट म्यूचुअल फंड ने SEBI की पूछताछ की पुष्टि की है और पूरी तरह से सहयोग करने का आश्वासन दिया है।