नारायन जगेसन की यात्रा: तेज़ गेंदबाज़ी के सपने से KKR के विकेट‑कीपर बॅट्समैन तक

नारायन जगेसन की यात्रा: तेज़ गेंदबाज़ी के सपने से KKR के विकेट‑कीपर बॅट्समैन तक
Shubhi Bajoria 26 सितंबर 2025 7 टिप्पणि

आरम्भिक यात्रा और भूमिका परिवर्तन

कोइम्बटूर, तमिलनाडु में 24 दिसंबर 1995 को जन्मे नारायन जगेसन बचपन से ही क्रिकेट के मैदान में भाग लेते रहे। शुरुआती दिनों में उनका सपना तेज़ गेंदबाज़ बनने का था, लेकिन उनके पिता और कोच ने जल्दी ही उनकी झिल्ली (स्टम्प्स) के पीछे की क्षमता को पहचाना। पिता की सलाह और कोच की रणनीति ने उन्हें विकेट‑कीपर की दिशा में मोड़ दिया, जो बाद में उनके करियर की सबसे बड़ी मोड़ बन गया।

2016 में उन्होंने तमिलनाडु की ओर से रणजी ट्रॉफी में प्रथम बार पेशेवर क्रिकेट खेला। मध्यप्रदेश के खिलाफ हुए उस मैच में उन्होंने सिर्फ डेब्यू नहीं किया, बल्कि "प्लेयर ऑफ द मैच" का ख़िताब भी अपने नाम किया। इस जीत ने उन्हें घरेलू सर्किट में एक कदम आगे बढ़ाया।

TNPL से IPL तक: निरंतरता और रिकॉर्ड

TNPL से IPL तक: निरंतरता और रिकॉर्ड

टैनिल नडु प्रीमियर लीग (TNPL) में दिंदिगुल ड्रैगन्स के लिए खेलते हुए जगेसन ने 2016 की पहली सीज़न में 8 इन्किंग्स में 397 रन बनाए, औसत 56.71 के साथ। यह आंकड़ा तभी नहीं रुक गया—2018 में 396 रन, 2019 में 448 रन, और 2024 तक कुल 2,260 रन (औसत 41.09, स्ट्राइक रेट 126.82) बनाकर वह TNPL के इतिहास में सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ स्कोरर बन गए। 2019 में रूबी त्रिची वारियर्स के खिलाफ उनका पहला शतक भी इस लीग के परिदृश्य को बदल दिया।

TNPL में निरंतर प्रदर्शन ने IPL की निगाहें उनके ऊपर लटकीं। 2020 में उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स ने खरीदा, जहाँ वे टीम के बॅटिंग क्रम में भरोसेमंद विकल्प बन गए। 2023 में उनका ट्रांसफ़र कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) को हुआ, जहाँ उन्होंने अभी तक 13 मैचों में 162 रन बनाकर औसत 18 पर खेला, हाईस्ट स्कोर 39* रहा।

2025 में जगेसन के करियर की सबसे बड़ी ख़ुशी आई—जुलाई में इंग्लैंड के खिलाफ पाँचवाँ टेस्ट मैच के लिए उन्हें भारतीय राष्ट्रीय टीम में पहली बार बुलाया गया। यह जगह उन्होंने रिषभ पंत की चोट के कारण ली, पर यह बुलावा उनकी कई सालों की मेहनत और घरेलू क्रिकेट में लगातार प्रदर्शन की पुष्टि था।

अब नारायन जगेसन न केवल KKR के विकेट‑कीपर बॅट्समैन के रूप में बल्कि भारत टीम के संभावित भविष्य के खिलाड़ी के रूप में भी चर्चा में हैं। उनका सफर तेज़ गेंदबाज़ी के छोटे सपने से लेकर अंतरराष्ट्रीय मैदान तक, कई युवा क्रिकेटर्स के लिए प्रेरणा बन गया है।

7 टिप्पणि
Animesh Shukla सितंबर 26 2025

ये आदमी तो सच में एक अलग ही कहानी है... तेज़ गेंदबाज़ बनने का सपना देखकर भी उसने अपनी पहचान बदल ली, और वो भी बिना किसी शोर के। ये बस एक खिलाड़ी की कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान की है जो अपने आप को फिर से डिज़ाइन कर लेता है। क्या हम सब इतना लचीले हो सकते हैं? ये सोचने लायक है।

Abhrajit Bhattacharjee सितंबर 26 2025

TNPL में 2260 रन? ये कोई छोटी बात नहीं है। इतने सालों तक लगातार रन बनाना, औसत 41 के साथ, और स्ट्राइक रेट 126 भी? ये तो एक बिल्कुल नया रिकॉर्ड है। अब जब वो IPL में भी आ गए, तो उनकी टीम के लिए ये एक बड़ा फायदा है। कोई भी टीम ऐसे बैट्समैन को छोड़ नहीं सकती।

Raj Entertainment सितंबर 28 2025

भाई ये आदमी तो जिंदगी में कभी हार नहीं मानता। तेज़ गेंदबाज़ बनने का सपना छोड़कर विकेटकीपर बन गया, और अब टेस्ट टीम में भी दाखिला मिल गया। देखो ये बात... अगर तुम्हारा दिल जोर से दौड़ रहा हो, तो रास्ता बदल दो, लेकिन दौड़ना बंद मत करना। जय हिंद, जय नारायन!

Manikandan Selvaraj सितंबर 29 2025

इतनी मेहनत के बाद भी टेस्ट में बस एक मैच के लिए बुलाया गया? ये तो बस नाम के लिए बुलाया गया है। रिषभ पंत की चोट का फायदा उठाया गया है। अगर वो सच में टॉप लेवल का खिलाड़ी होता तो इतने सालों से घरेलू क्रिकेट में रहता? ये सब बस एक धोखा है। अब भी नाम बनाने के लिए बनाया गया है।

Naman Khaneja अक्तूबर 1 2025

वाह भाई वाह 😍 इतनी मेहनत के बाद ये रिजल्ट आया 😭 बहुत बढ़िया हुआ! तुम लोगों को याद है जब वो छोटा था और बॉल फेंक रहा था? अब वो टेस्ट में जा रहा है! बस देखो अब वो क्या करता है 😎❤️

Gaurav Verma अक्तूबर 3 2025

क्या आपको पता है कि इसका चयन इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट के लिए क्यों हुआ? क्योंकि भारत के विकेटकीपर बनाने के लिए एक ऐसा आदमी चाहिए जो न तो बहुत खराब हो और न ही बहुत अच्छा। ये बस एक बीच का ऑप्शन है। असली टैलेंट कहीं और है।

Fatima Al-habibi अक्तूबर 3 2025

अच्छा है कि उन्हें टेस्ट टीम में बुलाया गया। लेकिन ये बुलावा किसी तरह का रिस्पॉन्स नहीं है, बल्कि एक बेसिक बैकअप के तौर पर है। अगर वो असली टैलेंट होते, तो इतने सालों बाद नहीं बुलाए जाते। अब देखना होगा कि क्या वो वाकई कुछ कर पाते हैं।

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